* अभिभावकों में बढ रही चिंता
* 16 नाबालिग किशोर भी हुए गायब
अमरावती/दि.14– इन दिनों स्कूल-कॉलेज सहित ट्यूशन क्लास जाने अथवा अपने किसी रिश्तेदार या सहेली के घर जाने के नाम पर अपने घर से निकलकर लडकियों के भाग जाने का प्रमाण बढ रहा है. विगत 9 माह के दौरान अमरावती जिले में 18 वर्ष से कम आयु वाली 128 नाबालिग युवतियां अकस्मात लापता हो गई है. इनमें से कितनी युवतियों का अपहरण हुआ है और कितनी अपने मन से भागी है. यह फिलहाल खोज का विषय है.
इस संदर्भ में पुलिस सूत्रों के मुताबिक बढती और कच्ची उम्र में नाबालिग लडके-लडकियों को प्रेम का बडा आकर्षण होता है और फिल्मों व बेवसीरिज में दिखाये जाने वाले दृश्यों का उनके कोमल मन पर काफी गहरा असर पडता है. ऐसे में वे अपने मन्य सपनों की दुनियां को साकार करते हुए उसे हकीकत में उतारने का प्रयास करते है और अपने प्रेम को पाने के लिए घर से भाग जाने जैसे रास्तों का अवलंब किया जाता है. ऐसा करने में लडकियों के साथ-साथ लडकों का सहभाग होता है. यहीं वजह है कि, विगत 9 माह के दौरान 18 वर्ष से कम आयु वाले 16 अल्पवयीन लडके भी अपने घर से फरार है.
उल्लेखनीय है कि, लडकों को घर का वारिस कहा जाता है, वहीं लडकियों को घर की प्रतिष्ठा माना जाता है. हर अभिभावक का यह सपना होता है कि, वह अपने विवाहयोग्य बच्चों की शादी बडी धूमधाम से करें. जिसके लिए काफी अरसा पहले से तैयारियां शुरु करते हुए पैसे जोडे जाते है, लेकिन कई बार बच्चों के दिमाग में कुछ अलग ही चलता रहता है और वे अपने माता-पिता के सपनों को धता बताते हुए कुछ अलग रास्तें पर चल पडते है. इनमें से कई लडके-लडकियां अपने घरवालों की इच्छा के खिलाफ जाकर घर से भागते हुए शादी कर लेते है.
इन दिनों ऐसे मामले लगातार सामने आ रहे है. जिसके पीछे मुख्य तौर पर अभिभावकों द्बारा अपने बच्चों की ओर समूचित ध्यान नहीं दिया जाना है. मौजूदा दौर में हर कोई अपने-अपने कामों में काफी अधिक व्यस्त रहता है और परिवार में किसी का भी इस बात की ओर ध्यान नहीं रहता कि, उनके घर के बच्चों का किसके साथ उठना-बैठना है. उनके स्कूल-कॉलज या ट्यूशन आने-जाने का निश्चित समय क्या है, वे कई-कई घंटों तक मोबाइल पर किसके साथ बात करते है. इन तमाम बातों की ओर ध्यान नहीं दिये जाने के चलते अल्पवयीन बच्चें कई बार अपना रास्ता भटक जाते है और अपना घर परिवार छोडकर भाग जाते है. ताकि वे अपने हिसाब से अपनी जिंदगी जी सके. विगत कुछ दिनों से ऐसी घटनाओं का प्रमाण लागतार बढ रहा है और विगत 9 माह के दौरान 128 लडकियां व 18 लडके अपने घरों से लापता हो गये. हालांकि इनमें से 100 लडकियों व 16 लडकों को पुलिस द्बारा दोबारा खोज निकाला गया.
यहां यह सर्वाधिक ध्यान दिये जाने बात है कि, कोविड संक्रमन के खतरे को देखते हुए लगाये गये लॉकडाउन के दौरान सभी स्कूल व कॉलेज लंबे समय तक बंद रहे और पढाई-लिखाई का काम ऑनलाइन तरीके से चल रहा था. जिसके लिए सभी अभिभावकों ने अपने बच्चों को मोबाइल व टैब खरीदकर दिये. किंतु काफी-काफी देर तक बच्चों का ऑनलाइन बने रहना अब अभिभावकों के लिए सिरदर्द साबित होने लगा है. क्योंकि पढाई-लिखाई के बाद खाली रहने वाले समय में लडके-लडकियां सोशल मीडिया साइड पर समय बिताते हुए अनजान लोगों से चैटींग करने में व्यस्त रहने लगे है और इन दिनों ऑनलाइन प्रेम व आकर्षण की गिरफ्त का शिकार होकर कई लडकियां अपने घर से भागने लगी है.
* बच्चों पर ध्यान देना जरुरी
दिनोंदिन अभिभावकों का अपने बच्चों के साथ आपसी संवाद कम हो रहा है. माता-पिता को पता ही नहीं होता कि, उनके बच्चों के मित्र परिवार में कौन-कौन लोग शामिल है. ऐसे में बेहद जरुरी है कि, माता-पिता अपने बच्चों के साथ मित्रवत व्यवहार करें, उनके विचारों को सुने. साथ ही कभी कभार उनके स्कूल व कॉलेज में जाकर उनके व्यवहार व गतिविधियों के बारे में जानकारी लें. साथ ही अगर बच्चों के किसी तरह के मानसिक तनाव की कोई समस्यां है तो मानसोपचार विशेषज्ञों के सहायता भी लें.
* विगत 2 वर्षों के दौरान घटीत घटनाओं को देखते हुए कहा जा सकता है कि, लापता होने वालों में अल्पवयीन लडकियों का प्रमाण काफी अधिक है. इसमें भी अधिकांश लडकियों को बहला-फुसलाकर भगा लिया गया था. हालांकि इसमें से अधिकांश लडकियों को पुलिस ने वापिस खोज निकाला है. लेकिन ऐसे मामलों को रोकने हेतु अभिभावकों ने समय रहते ध्यान देना चाहिए.
– तपन कोल्हे,
पुलिस निरीक्षक,
स्थानीय अपराध अन्वेषण शाखा,
अमरावती, जिला ग्रामीण पुलिस.