जले में कोविड मरीजों के अस्पताल भरती होने का प्रमाण घटा
अब पूरा जोर दिया जा रहा होम आयसोलेशन पर
मौजूदा 17 एक्टिव पॉजीटीव में से 3 मरीज ही अस्पताल में भरती
अमरावती-/दि.20 करीब ढाई वर्ष तक चले कोविड संक्रमण काल के दौरान कई परिवारों ने अपने सदस्यों व परिचितों को खो दिया और उस दौरान शहर का हर चौथा, पांचवा व्यक्ति कोविड संक्रमण की चपेट में था. परंतु अब धीरे-धीरे हालात पर पूरी तरह से काबू पाने में स्वास्थ्य महकमे को सफलता प्राप्त हुई है और अब कोविड संक्रमण की वजह से अस्पताल में भरती होनेवाले मरीजों की संख्या बेहद कम हो गई है. बल्कि अब संक्रमण की चपेट में आनेवाले इक्का-दुक्का मरीजों को होम आयसोलेशन में रखने पर पूरा जोर दिया जा रहा है.
बता देें कि, कोविड संक्रमण की पहली व दूसरी लहर के दौरान रोजाना दर्जनोें से लेकर सैंकडों मरीज पाये जाने का सिलसिला भी चला था और आये दिन इस बीमारी की वजह से लोगों की मौतें भी हो रहीं थी. परंतु अब हालात काफी हद तक नियंत्रण में आ गये है और अब कोविड से मौत होने का सिलसिला भी पूरी तरह से रूक गया है. हालांकि अब भी रोजाना दो से चार लोगों की कोविड टेस्ट रिपोर्ट पॉजीटीव आती है और इस समय जिले में कुल एक्टिव पॉजीटीव मरीजों की संख्या 17 है. लेकिन इसमें से केवल 3 मरीजों को ही इलाज के लिए सरकारी कोविड अस्पताल में भरती रखा गया है और शेष मरीज होम आयसोलेशन में रखे गये है. इससे यह समझा जा सकता है कि, अब इस बीमारी को लेकर पहले की तरह कोई भयावह स्थिति नहीं है.
सुपर कोविड के ढाई वर्ष का लेखा-जोखा
1,06,,996 – कोविड मरीजों पर इलाज
1,05,355 – मरीज हुए ठीक
1,627 – हुई थी मौतें
3 – मरीज हैं अभी भरती
जिले में कोविड वायरस के संक्रमण का असर पूरी तरह से कम हो गया है. इस समय रोजाना 2 से 3 मरीजों की टेस्ट रिपोर्ट पॉजीटीव आ रही है, लेकिन उनमें संक्रमण के कोई तीव्र लक्षण नहीं देखे जा रहे है. साथ ही किसी भी मरीज की स्थिति भी गंभीर नहीं है. ऐसे में उन्हें अस्पताल में भरती करने की कोई जरूरत नहीं पड रही.
ढाई वर्ष में कोविड से हुई 1,627 मौतें
अमरावती जिले में विगत ढाई वर्ष के दौरान कोेरोना के चलते 1,627 संक्रमितों की मौत हुई. जिसमें से 32 संक्रमित मरीज अन्य जिलों से इलाज हेतु अमरावती लाये गये थे. चूंकि कोविड संक्रमण काल के दौरान आस-पडौस के कई जिलाेंं के मरीज भी अमरावती के सुपर कोविड अस्पताल में इलाज हेतु भरती कराये गये थे. जिसके चलते संक्रमितों और संक्रमण के चलतें हुई मौतों के आंकडों में हमेशा ही थोडा-बहुत फर्क दिखाई देता है.