अमरावती/ दि.31-‘कोई हमारे खिलाफ साजिश रच रहा है. बार-बार यह महसूस होना कि कोई आपको धोखा देने की कोशिश कर रहा है या कोई आपको मारने की कोशिश कर रहा है’, या अचानक क्रोध में अधिक आक्रामक हो जाना मानसिक बीमारी के लक्षण हैं. इसे स्किजोफ्रेनिया भी कहते हैं.
विशेषज्ञों का मानना है कि युवाओं में इस बीमारी का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है. स्किजोफ्रेनिया एक प्रकार की मानसिक बीमारी है, मस्तिष्क का एक विकार है. स्किजोफ्रेनिया में कई दोष शामिल हैं. व्यक्ति वास्तविकता से संपर्क खो देते हैं और स्वयं एक भ्रामक और आभासी दुनिया में रहने लगते हैं. उनका दिमाग नियंत्रण से बाहर है. हालांकि, समय पर इलाज होने पर इसे ठीक किया जा सकता है. लेकिन स्किजोफ्रेनिया वाले मरीजों के रिश्तेदार बदनामी से डरते हैं. यह बात भी सामने आई है कि कई रिश्तेदार बदनामी के डर से मरीजों को अस्पताल नहीं लाते.
* स्किजोेफ्रेनिया क्या है?
स्किजोेफ्रेनिया एक मानसिक बीमारी है. इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति आभासी दुनिया में रहता है. वह लगातार डरा रहता है. उसे लगता है कि कोई उसके खिलाफ साजिश कर रहा है. मन पर नियंत्रण खो देने से वे और अधिक चिड़चिड़े हो जाते हैं.
* स्किजोेफ्रेनिया के लक्षण क्या हैं?
हमेशा भ्रम, संदेह या शंका, कुछ न कुछ की निरंतर भावना, भाषा और संचार में समस्याएं, एकाग्रता की कमी, अपने भीतर की दुनिया में रहना, नींद न आना, अजीब भावनाएं, अकेलापन बढ़ जाना.
* जिला अस्पताल में रोज दो नए मरीज
जिला सामान्य अस्पताल में रोजाना औसतन 10 से 15 सिजोफ्रेनिया के मरीज इलाज के लिए भर्ती होते हैं. अस्पताल प्रशासन ने बताया कि इनमें से एक से दो मरीज नए होते हैं. इसकी जानकारी देने के लिए परिजन सामने नहीं आते हैं.
काउंसलिंग और इलाज जरूरी
स्किजोफ्रेनिया के रोगी अजीब मतिभ्रम का अनुभव करते हैं. जितनी जल्दी इस बीमारी के लक्षण दिखाई देते हैं, मरीजों का इलाज करना उतना ही आसान हो जाता है. काउंसलिंग और दवा से मरीज को ठीक किया जा सकता है. इसलिए, स्किजोफ्रेनिया के लक्षणों का पता चलते ही मनोचिकित्सक को दिखाना जरूरी है.
– डॉ. अमोल गुल्हाने, मनोचिकित्सक, इर्विन
* युवाओं का अनुपात सबसे ज्यादा है
स्किजोफ्रेनिया पुरुषों में 15 से 25 वर्ष की आयु के बीच और महिलाओं में 25 से 35 वर्ष के बीच होता है.
– इस बीमारी का प्रकोप सबसे ज्यादा है. यह रोग बुजुर्गों में भी देखा जाता है.
* इलाज से ही बीमारी ठीक हो जाती है
स्किजोफ्रेनिया के रोगियों को उनके लक्षणों के आधार पर परामर्श दिया जाता है. साथ ही सिज़ोफ्रेनिया के प्रभाव को दवा से कम किया जा सकता है.
विशेषज्ञों का कहना है कि कुछ मरीजों को शॉक ट्रीटमेंट भी दिया जाता है.