अमरावती

दिनोंदिन बढ रहा गर्भाशय थैली की बीमारी का प्रमाण

अमरावती /दि.12– बदलती जीवनशैली व खानपान की बदलती आदतों की वजह से महिलाओं में गर्भाशय संंबंधित विविध विकार तेजी से बढ रहे है. इसमें भी हार्मोन्स का संतुलन बिगडने व थोडी अधिक डीलडौल वाली महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन का प्रमाण बढने की वजह से उनके गर्भाशय में गांठ बनने का प्रमाण अधिक रहता है. जिसकी ओर महिलाओं द्वारा समय रहते ध्यान नहीं दिए जाने पर गर्भाशय की थैली को ऑपरेशन के जरिए बाहर निकाल देने की नौबत भी बन जाती है.

* गर्भाशय की थैली की बीमारियां कौन सी?
मासिक धर्म के दौरान अतिरिक्त रक्तस्त्राव, पेट के नीचले हिस्से में लगातार दर्द, ओवरी कैंसर, गर्भाशय का कैंसर, सर्वाइकल कैंसर, फेलोपियन ट्यूब का कैंसर, गर्भाशय की थैली के मुहाने पर सूजन, गर्भनलिका में सूजन और गर्भाशय के अस्तर पर सूजन जैसी गर्भाशय संबंधी बीमारियां होती है.

* क्या है प्रमुख वजह?
– गर्भाशय व गर्भाशय मार्ग में होने वाला जंतु संसर्ग, गीले कपडों से होने वाला संसर्ग, हार्मोन्स का संतुलन बिगडना, सफेद स्त्राव होना, एस्ट्रोजन संप्रेरक का प्रमाण अधिक रहना.
– इसके साथ ही बाहर का खानपान और तनावपूर्ण जीवन को भी प्रमुख वजह माना जा सकता है.

* क्या है लक्षण?
– पेट के नीचले हिस्से में दर्द रहना, कमर व पीट दुखना, अनियमित तरह से रक्तस्त्राव होना, मूत्र विसर्जन में दर्द होना, बुखार, उल्टी व जी मचलाने जैसे लक्षण रहना.
– ऐसे लक्षण दिखाई देने पर तुरंत विशेषज्ञ डॉक्टरों से मुलाकात कर अपनी स्वास्थ्य जांच करवानी चाहिए.

* गर्भाशय निकालना अंतिम पर्याय
फायब्राइड की गांठे अधिक रहना, गर्भाशय का कर्करोग रहना तथा गर्भाशय संबंधित गंभीर बीमारी रहना आदि वजहों के चलते गर्भाशय की थैली को निकाल देना ही अंतिम पर्याय रहता है.

* बदलती जीवनशैली तथा बेवजह के होते तनाव सहित जंतू ससंर्ग व हार्मोन्स के संतुलन में गडबडी की वजह से महिलाओं में गर्भाशय की बीमारियों बढ रही है. समय रहते ध्यान दिये जाने पर औषधोपचार के जरिए व हार्मोनल थेरेपी पद्धति से इलाज किया जा सकता है. गर्भाशय के संदर्भ में कोई बीमारी हो जाने पर सीधे गर्भाशय निकालने का निर्णय लेने की बजाय किसी योग्य स्त्री रोग विशेषज्ञों से मिलकर उनकी सलाह के अनुरुप ही अपना इलाज करवाना चाहिए.
– डॉ. मोनाली ढोले,
स्त्री रोग विशेषज्ञ

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