अमरावतीमहाराष्ट्र

स्कूल में बच्चों की परीक्षा लें, या पोषण पखवाडा मनाएं

शिक्षकेत्तर कामों से शिक्षकों व मुख्याध्यापकों को टेंशन

अमरावती /दि.19– प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना अंतर्गत 8 से 28 अप्रैल की कालावधि दौरान शालाओं में पोषण आहार पखवाडा मनाने का निर्देश शिक्षा विभाग द्वारा सभी मुख्याध्यापकों को दिया गया है. परंतु इस समय सभी शालाओं में परीक्षा का दौर चल रहा है. ऐसे में सभी शिक्षकों व मुख्याध्यापकों के समक्ष यह समस्या बनी हुई है कि, वे अपनी शालाओं में बच्चों की परीक्षा लें, या फिर शाला में पोषण पखवाडा मनाएं.
पोषण अभियान उपक्रम के तहत भारत सरकार ने 8 अप्रैल से 28 अप्रैल तक पोषण पखवाडा मनाने की घोषणा की है. जिसका प्रमुख उद्देश्य पोषण के महत्व को लेकर जागरुकता निर्माण करना तथा स्वस्थ एवं निरोगी जीवन को प्रोत्साहित करना है. शालाओं में पहली से आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों को पोषण आहार दिया जाता है. जिसके तहत विविध प्रयोग भी किए जाते है. परंतु आज भी विद्यार्थियों को सही मायनों में पोषण आहार ही नहीं मिलता है. क्योंकि पोषण आहार को लेकर कोई जनजागृति नहीं की गई है. ऐसे में यद्यपि शालेय बच्चों को पोषण आहार उपलब्ध कराने के लिहाज से यह उपक्रम काफी बेहतरीन है. परंतु परीक्षा का समय रहने के चलते शिक्षकों को काफी कसरत व मशक्कत करनी पड रही है. क्योंकि शिक्षकों के पास पहले ही अशैक्षणिक कामों का बोज काफी अधिक है. वहीं अब सरकार एवं प्रशासन द्वारा शिक्षकों को एक ओर अशैक्षणिक काम का जिम्मा सौंप दिया गया है.
उल्लेखनीय है कि, जिला परिषद की शालाओं में शैक्षणिक गुणवत्ता तथा पट संख्या के कम होने को लेकर अक्सर ही काफी हो हल्ला मचता है. जिसके लिए शिक्षकों को जिम्मेदार माना जाता है. परंतु हकिकत यह है कि, शिक्षकों को शालाओं में पढाने हेतु समय ही नहीं मिल पाता. क्योंकि उन पर आए दिन किसी न किसी अशैक्षणिक काम का बोझ लाद दिया जाता है.

* 8 से 25 अप्रैल तक चलेगा उपक्रम
8 से 25 अप्रैल के दौरान पोषाहार पखवाडा मनाने के निर्देश है. पोषण के महत्व को लेकर जनजागृति करते हुए निरोगी जीवनशैली के लिए संतुलित आहार की आदत तथा मिशन पोषण नीति पर अमल करने हेतु यह उपक्रम चलाया जा रहा है. जिसमें जनजागृति कार्यक्रम, संवादात्मक व्याख्यान, चर्चासत्र एवं स्वास्थ कर्मचारियों हेतु मार्गदर्शन सत्र जैसे उपक्रमों का आयोजन होगा.

* रिपोर्ट तैयार कर पेश करनी होगी
सभी शालाओं को इस अभियान में शामिल होने का निर्देश दिया गया है. जिसमें कहा गया है कि, सभी विद्यार्थियों व उनके अभिभावकों को इस उपक्रम में शामिल होने हेतु प्रोत्साहित किया जाए. पोषण पखवाडा काल के दौरान शालाओं द्वारा चलाए गए उपक्रमों की रिपोर्ट तैयार कर उसमें आयोजित उपक्रम की जानकारी तथा उपक्रम में सहभागी विद्यार्थियों व अभिभावकों की संख्या से संबंधित रिपोर्ट पेश करनी होगी.

* मुख्याध्यापक व शिक्षक हुए परेशान
सरकार द्वारा शिक्षकों पर पहले ही कई अशैक्षणिक कामों का बोझ डालकर रखा गया है. जिसके चलते ऐसे कामों के बोझ को कम करने की मांग शिक्षकों द्वारा हमेशा ही उठाई जाती है. लेकिन ऐसा करने की बजाए सरकार एवं प्रशासन द्वारा आए दिन किसी नए काम का बोझ शिक्षकों पर डाला जाता है. जिससे शिक्षक भी काफी हद तक हैरान-परेशान हो गए है.

* परीक्षा कौन लेगा?
इस समय सभी शालाओं में वार्षिक परीक्षाएं चल रही है. ऐसे समय यदि पोषण पखवाडा मनाया जाता है और शिक्षकों को इस पखवाडे से संबंधित कामों में लगाया जाता है, तो विद्यार्थियों की परीक्षाएं कौन लेया, यह अपने आप में सबसे बडा सवाल है. जिसके चलते शिक्षकों ने सरकार एवं प्रशासन से पोषाहार पखवाडे जैसे अशैक्षणिक काम से खुद को दूर रखे जाने की मांग उठाई है. क्योंकि वार्षिक परीक्षा के तुरंत बाद वार्षिक मूल्यमापन तथा निपुन अध्ययन स्तर कृति कार्यक्रम का काम भी शुरु हो जाएगा.

Back to top button