अमरावती-/दि.1 हेडफोन का ज्यादा इस्तेमाल करने वालों अब सावधान रहें. हेडफोन का लगातार इस्तेमाल करने से साधारणतः 18 से 25 आयु वर्ग के करीबन 30 प्रतिशत युवाओं को कम सुनाई देने लगा है. उम्र के 70 वर्ष में दिखाई देने वाले बहरेपन के लक्षण अनेक युवाओं में दिखाई देने की धक्कादायक जानकारी है. कॉल सेंटर में काम करने वाले युवकों में बड़े पैमाने पर यह तकलीफ है.
युवक-युवतियों में हेडफोन का अति इस्तेमाल करने के कारण बहरेपन की बीमारी बढ़ रहा है. पहले हेडफोन कान के बाहर लगाए जाते थे. लेकिन अब सीधे कानों के अंदर हेडफोन लगाये जाते हैं. कानों की क्षमता 10 डेसिबल तक है. जिसके चलते बहरेपन की घटनाएं बढ़ रही है.
टीवी पर या फिल्म में कान में हेडफोन डालकर व्यायाम करते दिखाया जाता है, लेकिन ऐसा करना धोखादायक है. व्यायाम करते समय सबसे रक्त की आपूर्ति मांसपेशियों को होती है. कानों की चेतातंतू को कम आपूर्ति होती है. इस कारण से बहरे होेने की संभावना अधिक होती है.
कान के तीन भाग होते हैं. इसे बाह्यकर्ण, मध्यकर्ण एवं आंतरकर्ण कहते हैं. आंतरकर्ण यानि हड्डियों के बीच बिठाया गया एक नाजूक शंख,इस शंख का मुख्य काम यानि ध्वनीलहरों का संदेश चेतातंतू द्वारा मेंदू तक पहुंचाना है. इसे तीन अर्ध गोलाकार नलियां जुड़ी होती है. उन्हें एक साथ जोड़ने वाला छोटा बलून समान भाग होता है. यह शंख व नलियां तोल स्थित गति के बारे में मेंदू को संदेश भेजती है.90 डेसिबल तक की आवाज चेतातंतू को नुकसान पहुंचाती है, जिससे बहरापन आता है.
बहरापन अचानक नहीं आता. इसके कुछ वॉर्निंग है. इसमें हेडफोन का इस्तेमाल न करने पर भी कान में आवाज सुनाई देती है. रेडिओ या कुकर की सिटी की आवाज सुनाई देना, कान बुझे समान लगना यह लक्षण दिखाई देने पर तुरंत इएनटी डॉक्टर्स को दिखाना चाहिए.
– बहरे होने से बचने उपाय
* बहरापन टालने के लिए लगातार हेडफोन का इस्तेमाल न करें
* हेडफोन की आवाज उसकी आवाज क्षमता के सात प्रतिशत रखे.
* हेडफोन का इस्तेमाल एक घंटे से अधिक समय तक न करें.
* कान के बाहर लगाये जाने वाले हेडफोन का इस्तेमाल करें.
* भीड़ वाले स्थान पर हेडफोन का बढ़ाया गया आवाज शांत या कम आवाज के स्थान पर उसे कम करना न भूलें.
हेडफोन का लगातार इस्तेमाल करने से सेन्सरी न्यूरॉन डेफनेस होता है. यह अभ्यास से आगे आया है. हेडफोन का अति इस्तेमाल के कारण युवाओं में यह समस्या दिखाई देती है. बहरेपन की इस बीमारी पर उपचार नहीं, कर्ण यंत्र लगाना यही इस पर पर्याय है.
– डॉ. निरज मुरके, कान, नाक, गला तज्ञ