अमरावती प्रतिनिधि/दि. १० – मोर्शी तहसील के भिलापुर में १४ अक्तूबर २०१३ को हुए विवाद में जातिय दंगा हुआ था, इसका अपराध शिरखेड पुलिस थाने में दर्ज किया गया था. इस मामले की स्थानीय विशेष जिला व सत्र न्यायालय के न्यायमूर्ति वी.एस.गायके की अदालत में सुनवाई ली गई. अदालत ने सभी आरोपियों को बाईज्जत बरी कर दिया है. अदालत में दायर किये गए दोषारोप पत्र के अनुसार भिलापुर निवासी प्रभुदास उके ने दी शिकायत में बताया है कि गांव के मयुर कालमेघ समेत ८ से १० लोगों ने इकट्ठा होकर जातिवाचक गालियां, महिला के साथ अश्लिल छेडखानी, इसी तरह नितीन उके पर हथियार व लाठियों से हमला कर घायल कर जाने की शिकायत शिरखेड पुलिस थाने में दर्ज की गई थी. इस मामले में पुलिस ने मयुर कालमेघ समेत ८ से १० लोगों के खिलाफ दफा ३५०, ३२४, २९४, १४३, १४७, १४८, १४९, सहधारा ३ (१), १०, ११, अनुसूचित जाति, जमाति कानून के तहत अपराध दर्ज किया गया था. इस मामले की तहकीकात उपविभागीय पुलिस अधिकारी डॉ.पाटिल ने करते हुए दोषारोप पत्र न्यायालय में पेश किया. अदालत में अंतिम सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने १० गवाहों के बयान लिये व आरोपियों को कडी सजा देने की मांग की. बचाव पक्ष की ओर से एड.प्रशांत भेलांडे ने दलीलें पेश की. दलीलों में उन्होंने जांच अधिकारी डॉ.पाटिल को जांच का अधिकार ही नहीं था. शिकायतकर्ता बौध्द समाज का होने के कारण अनुसूचित जाति-जमाति कानून अंतर्गत अपराध नहीं होता, ऐसा अदालत को बताया. बचाव पक्ष की दलीलों को मान्य करते हुए अदालत ने सभी आरोपियों का बाईज्जत बरी करने का फैसला सुनाया. आरोपियों की ओर से एड.प्रशांत भेलांडे को एड.रोहित उपाध्याय, एड.यश खांबरे, एड.श्रीकांत पांडे ने सहयोग किया.