अमरावती

प्रलंबित रेलमार्गों को विकास की आशा

अमरावती/दि.16 – विदर्भ के विकास को रेलमार्ग के नेटवर्क की ताकत देने हेतु केवल कुछ हजार करोड रूपयों की जरूरत है. जिसके जरिये शकुंतला रेल्वे, अकोला-खंडवा, खामगांव-जालना तथा वाशिम-नरखेड रेल मार्ग को पूर्ण किया जाना आवश्यक है. इन रेल मार्गों के लिए बार-बार व लगातार प्रयास करने के बावजूद भी अब तक सफलता नहीं मिली है. वहीं अब अमरावती संभाग से सटे मराठवाडा संभाग के रावसाहब दानवे को रेल्वे राज्यमंत्री का पद मिलने से उम्मीद जतायी जा रही है कि, अब इन सभी रेल मार्गों का काम पूर्णत्व की ओर अग्रेसर होगा.

खामगांव-जालना

देश में ब्रिटीश राज रहते समय खामगांव-जालना व वाशिम-अदिलाबाद रेलमार्ग बनाने के लिए प्रस्ताव तैयार किया गया. पश्चात तत्कालीन रेल्वे मंत्री दिनेश त्रिवेदी ने वाशिम-अदिलाबाद रेल मार्ग के लिए बजट में निधी का प्रावधान किया और खामगांव-जालना के बीच 155 किमी के रेल्वे ट्रैक को वर्ष 2011-12 में मंजूरी मिली. इस रेलमार्ग को पूंजी निवेश कार्यक्रम अंतर्गत मान्यता दी गई. किंतु खामगांव-जालना मार्ग का काम अब भी प्रलंबित है. इस रेल मार्ग का सर्वेक्षण जनवरी 2021 में किया गया था और बात अब भी सर्वेक्षण से आगे नहीं बढ पायी है.

शकुंतला रेल्वे

अचलपुर-मुर्तिजापुर-यवतमाल रेलमार्ग पर दौडनेवाली शकुंतला ट्रेन की उपेक्षा को रोकने की दृष्टि से वाशिम की सांसद भावना गवली ने ममता बैनर्जी, लालुप्रसाद यादव व पीयूष गोयल तक सभी रेलमंत्रियों से मुलाकात करते हुए इस ट्रेन को बचाने का प्रयास किया. पश्चात 190 किमी लंबे इस नैरोगेज रेल्वे ट्रैक को ब्रॉडगेज में रूपांतरित करने हेतु रेल विभाग द्वारा प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनायी गई, लेकिन इसके बावजूद यह मसला अब तक हल नहीं हुआ है.

वाशिम-नरखेड

उत्तर व दक्षिण भारत को जोडने के लिए तीसरे पर्याय के तौर पर वाशिम-नरखेड रेलमार्ग को साकार किया जा सकता है. यह रेलमार्ग साकार होने पर दिल्ली-बेंगलोर की यात्रा में आठ घंटे तथा नांदेड-अमृतसर की यात्रा में चार घंटे का समय बचाया जा सकेगा. वहीं वाशिम-नागपुर की दूरी चार घंटे में तथा नांदेड-वाशिम-नागपुर की दूरी साढे छह घंटे में पूर्ण की जा सकेगी. चूंकि नागपुर मेट्रो का विस्तार नरखेड तक होना है. ऐसे में वाशिम-नरखेड रेल मार्ग को विशेष दर्जा प्राप्त होगा. नरखेड-बडनेरा-वाशिम में से नरखेड-बडनेरा मार्ग इस समय अस्तित्व में है. वहीं बडनेरा-धनज रेल मार्ग का खर्च उठाने की तैयारी इंडियन ऑईल कॉर्पोरेशन द्वारा दर्शायी गई है. ऐसे में अब इस 108 किमी लंबे रेलमार्ग को पूरा करने के लिए रेल मंत्रालय को केवल 67 किमी रेल्वे ट्रैक का ही काम पूरा करना है. जिसके लिए 702.8 हेक्टेयर कृषि क्षेत्र को अधिग्रहित करना होगा.

अकोला-खंडवा

दक्षिण व उत्तर भारत के आंधप्रदेश, तेलंगना, मध्यप्रदेश व राजस्थान को जोडनेवाले सबसे नजदिकी रेल्वे ट्रैक के तौर पर अकोला-खंडवा रेलमार्ग को देखा जाता है. जिसका 39 किमी रेल मार्ग मेलघाट के व्याघ्र प्रकल्प से होकर गुजरता है. इस समय महु-खंडवा, खंडवा-आमला व अकोला-अकोट रेल मार्ग बनकर तैयार है और मामला अकोला-आमला के बीच 67 किमी लंबे रेल मार्ग के विस्तारीकरण को लेकर अटका हुआ है. इसमें भी अकोट-तुकईथल इस 29 किमी लंबाईवाले रेलमार्ग को लेकर विवाद जारी है.

इन रेल मार्गों की ओर ध्यान देना जरूरी

नरखेड-बडनेरा-वाशिम
अकोला-खंडवा ब्रॉडगेज
अचलपुर-मुर्तिजापुर शकुंतला
खामगांव-जालना
नगर-बीड-परली
वर्धा-यवतमाल-नांदेड
नागपुर-नागभीड
मनमाड-औरंगाबाद-परभणी
औरंगाबाद-चालीसगांव
दौलताबाद-चालीसगांव
सोलापुर-चालीसगांव
उस्मानाबाद-तुलजापुर

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