करीना थापा की माताजी निशा अशोक का अनुभव
बिटिया का सम्मान देख भावविभोर
विमान यात्रा. 5 सितारा होटल में ठहरना. राष्ट्रपति भवन तथा भारत मंडपम जैसी गौरवशाली वास्तु में जाना. राजधानी दिल्ली की विविध जगहों की सैर. इन सब से बढकर बात अर्थात पुत्री की बहादुरी के कारण बच्चों का देश का सर्वोच्च सम्मान साक्षात महामहिम राष्ट्रपति से प्राप्त करना और प्रधानमंत्री के साथ बिटिया के संवाद के चित्र प्रत्यक्ष आंखों में संजोकर रख जीवन कृतार्थ करने की भावनाएं मेरे मन में है.
पुरस्कार स्वीकार करने हेतु बिटिया के साथ दिल्ली जाना तय हुआ और मन में थोडा डर भी था. बेटी का राष्ट्रीय गौरव होने से अपार हर्ष था. जीवन में ऐसा सर्वोच्च आनंद का क्षण आया है, यह विचार करते-करते दिल्ली की ट्रिप की तैयारी में कई रंजक किस्से भी हुए. हम मां-बेटी ने उन्हें खूब इंजोय किया. विमान में विंडो सीट लेकर टेकऑफ और लैंडिंग के शानदार वीडियो, फोटो लेने का प्लानिंग किया. राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के शब्द प्रत्यक्ष सुनने मिलेंगे, इसका बडा आनंद और रोमांच था. हम दोनों के ही पैर मानो जमीन पर नहीं टिक रहे थे.
लोगों के घर बर्तन आदि साफ कर चलने वाले जीवन के बीच इस प्रकार का अद्भूत प्रसंग सचमुच अविश्वसनीय लगता है. 17 वर्ष की बेटी करीना ने हम जिस जयअंबा अपार्टमेंट में नौकरी करते हैं. वहां अग्निकांड के समय अदम्य साहस का परिचय दिया. बहादुरी से जलते फ्लैट से सिलेंडर बाहर निकाले. लोगोें की रक्षा करने की हमारे समाज की बडी परंपरा का एक अर्थ में निर्वहन पुत्री करीना ने किया.
पुत्री के साहस के किस्से पंचक्रोशी में फैले. हमारा जगह-जगह सम्मान हुआ. यह सब सपने जैसा लग रहा था. जबकि हकीकत यही थी कि बिटिया ने समय सूचकता और हिम्मत का परिचय देकर 70 फ्लैट धारकों के प्राणों की रक्षा की थी.
जिलाधिकारी कार्यालय ने आवश्यक प्रक्रिया पूर्ण की. इस बीच हमें कई जगहों से निमंत्रण मिलते रहें. सत्कार भी अनेक स्थानो पर हुए. यजमान अशोक थापा अपार्टमेंट के केयर टेकर रहने से वहां शुरू जिम्मेदारी बराबर चल रही थी. मैं और मेरी दोनों बेटियां अपार्टमेंट में ही मेड के रुप में अपना काम जारी रखे हुए थी.
ऐसे में केंद्रीय महिला व बाल विकास मंत्रालय से बाल शौर्य पुरस्कार घोषित होने और उसमें हमारी पुत्री का भी नाम आने से बडी प्रसन्नता हुई. हम तो ऐसे किसी सम्मान के विषय में सोच भी नहीं सकते थे. किंतु एक पुत्री ने आज हमारे जीवन में सभी को अभिमान लगे, इस प्रकार का प्रसंग साकार किया है. वंश चलाने के लिए बेटा होना, इस प्रकार की मानसिकता के बीच हमारी पुत्री ने हमें इतना बडा सम्मान दिलाया. पुत्री का यह योगदान अधोरेखित हुए है. पुरस्कार से हमारे जीवन में बडा फर्क नहीं आएगा. हम इसका अहंकार भी नहीं रखेगें. किंतु हमारे एक प्रयास की शासकीय स्तर पर दखल ली जा सकती है. इसका शिद्दत से अहसास हुआ. आगे भी अपने कर्तव्य जिम्मेदारी से पूर्ण करने का बल मिला है. पुत्री करीना शिक्षा और उसके पसंदीदा बॉक्सिंग में आगे बढना चाहती है. हम दोनों उसके लिए सभी प्रयत्न करेंगे. शासन और समाज से उसे सहकार्य प्राप्त हो रहा है. इसका आदर और अहसास हमें है.
– निशा अशोक थापा