अमरावती

दस घंटे अनुभव किया मौत के भय को, लगा सब खत्म हो गया, लेकिन धैर्य रखा

युक्रेन से वापिस लौटे स्वराज ने बतायी आपबीती

  • सीमा की भयानक स्थिति को लेकर साझा किये अनुभव

अमरावती/दि.5 – युक्रेन की सीमा पार करते हुए रोमानिया में प्रवेश करने हेतु करीब दस घंटे का समय लगा और इस दौरान हमने हर पल साक्षात मौत को अपनी आंखों से देखा. इस समय कई बार लगा कि, अब सबकुछ खत्म हो गया है. लेकिन फिर भी धीरज रखा. युक्रेन व रोमानिया की सीमा पर काफी भीडभाड थी. अलग-अलग देशों के लोगों का जमावडा था. शून्य से 7 डिग्री सेल्सियस कम तापमान था. बैठने के लिए जगह नहीं थी. खाने-पीने का कोई सामान नहीं था. एक-दूसरे का सहारा लेकर जैसे-तैसे बैठे. इसी दौरान सीमा पर हंगामा मच गया और गोलीबारी शुरू हो गई. कुछ लोग घायल हुए, फिर लगा की मानो अब सबकुछ खत्म हो गया है. लेकिन सभी ने एक-दूसरे को संभाला. ईश्वर की कृपा रही, माता-पिता का आशिर्वाद रहा और सभी के प्रेम व आशिर्वाद के चलते हम युक्रेन से सुरक्षित वापिस लौटे. इस आशय की आपबीती युक्रेन से अमरावती स्थित अपने घर वापिस लौटे स्वराज पुंड नामक छात्र ने सुनाई.
युक्रेन के व्हिनितसिया नैशनल मेडिकल युनिर्व्हसिटी वीएनएमयू में स्वराज पुंड एमबीबीएस प्रथम वर्ष की पढाई कर रहा है. यह शहर युक्रेन की राजधानी कीव से करीब 500 किमी की दूरी पर है. युक्रेन से 24 फरवरी को पहला विमान भारतीयों को लेकर उडा. स्वराज ने बताया कि, जिस होस्टेल में वह रहता है, वह वैसे तो सुरक्षित है, लेकिन 24 तारीख को होस्टेल से पांच किमी की दूरी पर स्थित केमिकल फैक्टरी पर बम गिराया गया. जिसके बाद युक्रेन के सभी विमानतलों को बंद करा दिया गया. उनके होस्टेल की इमारत के नीचे अस्थायी बंकर तैयार किया गया था. जिसमें वे सभी लोग 26 फरवरी तक रहे. वहां पर खाने-पीने की कोई विशेष सुविधा नहीं थी. ऐसे में जो कुछ पहले से साथ था, उस पर जैसे-तैसे दो दिन निकाले गये.

सीमा पार करने के लिए 10 लोगों ने शेयर की बस

स्वराज ने बताया कि, युक्रेन से रोमानिया की सीमा पर पहुंचने हेतु दस विद्यार्थियों ने एकसाथ मिलकर एक बस किराये पर ली. इसमें दूतावास का सहयोग नहीं मिला. इस बस से आठ घंटे का सफर तय करते हुए वे रोमानिया की सीमा से आठ किमी पहले पहुंचे. जहां पर उन्हें बस से उतरना पडा. क्योंकि आगे काफी भीडभाड लगी हुई थी और बस के जरिये आगे जाना मुश्किल था. ऐसे में वे करीब 6 घंटे तक पैदल चलते हुए रोमानिया की सीमा पर बढे. इस समय आसमान से बर्फ बरस रही थी और जमीन पर भी चारों ओर बर्फ फैली हुई थी. ऐसी स्थिति में एक-दूसरे का ढांढस बंधाते हुए सभी लोग रोमानिया की सीमा पर पहुंचे. वहां पर पहले से काफी भीड रहने के चलते सीमा पार करने के लिए काफी दिक्कतों का भी सामना करना पडा.

सीमा पर गोलीबारी, नाईजेरियन घायल

युक्रेन व रोमानिया की सीमा पर अफ्रिकन देशों के भी कई नागरिक थे. जिनमें सीमा पार करने को लेकर कुछ गडबडी हुई. ऐसे में सीमा पर तैनात सैनिकों ने हवा में गोलीबारी की. इसी दौरान एक नाईजेरियन युवक के पैर में गोली लगी. जिसकी वजह से वहां पर भागमभाम की स्थिति बनी. मैं भी पीछे पलटा और भागा. जिसकी वजह से हमारा ग्रुप बिखर गया. इस भागादौडी में कई लोगों के सामान की टूट-फुट हुई और कई लोगों के कपडे भी फट गये.

तीन बार ऐसा लगा कि, अब नहीं बचेंगे

स्वराज पुंड ने बताया कि, जिस समय उनके होस्टेल के पास बम फटा और उन्हें बंकर में रहना पडा, जिस समय तूफानी बर्फबारी के बीच सीमा पार करने हेतु कडाके की ठंड में कई घंटे पैदल चलना पडा और जिस समय बॉर्डर पर गोलीबारी की वजह से भगदड मची, इन तीन मौकों पर ऐसा लगा कि, शायद अब बचना मुश्किल है. इन तीनों मौकों पर काफी रोना भी आया. लेकिन फिर खुद को संभालकर संकट से बाहर निकलने की मानसिकता बनायी और आज सुरक्षित अपने घर पर हूं.

ट्रान्झिट विजा दिखाने पर मिला प्राधान्य

स्वराज पुंड ने बताया कि, उन्हें रोमानिया में ट्रान्झिट विजा दिया गया था. वहां पर स्थानीय एनजीओ द्वारा कैम्प लगाये गये थे. जहां काफी अच्छी व्यवस्था थी. इसके पश्चात ऑपरेशन गंगा शुरू होने पर भारत का विमान उन्हें लेने पहुंचा और जो पहले पहुंचे थे, उन्हें प्रथम प्राधान्य देते हुए विमान में प्रवेश दिया गया.

Related Articles

Back to top button