डायबिटीज का पता चलते ही आंखों की जांच जरुरी
अमरावती/दि.14– लगातार बढना तणाव, खान-पान की गलत आदत व व्यायाम का अभाव आदि वजहों के चलते डायबिटीज के मरीजों का प्रमाण दिनोंदिन बढ रहा है. विशेष यह है कि, देश में प्रत्येक पांच डायबिटीज मरीजों में से एक मरीज को रेटिनोपैथी होने की संभावना रहती है. रेटिनोपैथी के लक्षण समय पर दिखाई नहीं देते. लेकिन आंखों के भीतर ही रक्तस्त्राव होता रहता है और अचानक ही अंधत्व आने की संभावना रहती है. जिसके चलते डायबिटीज का समय पर निदान होना जरुरी है.
* कौनसी सतर्कता जरुरी?
डायबिटीज के मरीजों द्वारा अपनी आंखों का विशेष ध्यान रखना बेहद जरुरी होता है. ऐसे में डायबिटीज के मरीजों में प्रत्येक 6 माह के भीतर एक बार अपनी आंखों की जांच करवानी चाहिए.
* क्या है लक्षण?
डायबिटीज रेटिनोपैथी में पहले कोई लक्षण दिखाई नहीं देते, लेकिन बाद में नजर कमजोर होने लगती है और चष्मे का नंबर बार-बार बदलने लगता है. साथ ही आंखों में इंफेक्शन भी होने लगता है.
* आंखों के पिछले पर्दे पर होता है बदलाव
डायबिटीज के मरीज में 40 वर्ष की उम्र के बाद डायबिटीक रेटिनोपैथी होने की संभावना बढ जाती है. आंखों के पिछले पर्दे पर रक्तवाहिनी में रक्त की गांठे तैयार होने लगती है और आंखों में रक्तस्त्राव होने के चलते धुंधला दिखाई देने लगता है.
* डायबिटीक रेटिनोपैथी यानि क्या?
डायबिटीज की वजह से आंखों पर परिणाम होने के चलते जो स्थिति निर्माण होती है, उसे डायबिटीक रेटिनोपैथी कहा जाता है. आंखों के पिछले हिस्से में प्रकाश संवेदनशील पेशियों में रक्तवाहिणी का नुकसान होता है.
* डायबिटीज रहने वाले मरीजों में आंखों की समस्या उत्पन्न होने की संभावना काफी अधिक प्रमाण में रहती है. जिसके चलते ऐसे मरीजों में नियमित अंतराल पर अपनी आंखों की जांच करवानी चाहिए. यदि डायबिटीज के मरीजों ने समय पर अपनी आंखों की जांच नहीं कराई, तो उन्हें मोतियाबिंदू, गनुकोमा व डायबिटीक रेटिनोपैथी की तकलीफ होने की संभावना अधिक रहती है. ऐसे में समय रहते नेत्र रोग विशेषज्ञ को दिखाकर उनकी सलाह लेना जरुरी है. साथ ही नेत्ररोग विशेषज्ञ की सलाह के बिना आंखों में किसी भी ड्रॉप का प्रयोग नहीं करना चाहिए.
– डॉ. राजेश जवादे,
नेत्र रोग विशेषज्ञ