कोरोना के चलते भाविक भक्तों का आस्था केंद्र बहीरम बाबा मेला स्थगित
भाविक भक्तों में निराशा, दुकानदार भी परेशान
परतवाडा/दि.२६ – महाराष्ट्र व मध्यप्रदेश की सीमा पर स्थित चांदूर बाजार तहसील अंतर्गत आने वाले श्री क्षेत्र बहीरम बाबा का मेला इस साल रद्द कर दिया गया है. हर साल दिसंबर माह के पहले सप्ताह से मेले की शुरुआत हो जाती है. किंतु इस साल कोरोना की पार्श्वभूमि पर मेला स्थगित कर दिया गया है. ४० दिनों तक यह मेला चलता है. इस मेले में परिसर ही नहीं बल्कि मध्यप्रदेश से भी भाविक भक्त बहीरम बाबा के दर्शन के लिए यहां पर आते है. महाराष्ट्र व मध्यप्रदेश के श्रद्धालुओं का आस्था केंद्र बहीरम बाबा का मंदिर अत्यंत प्राचीन है. बहीरम बाबा की मूर्ति स्वयंभू बतायी गई है. इस मूर्ति पर भाविक सिंदूर व मक्खन अर्पित कर पूजा अर्चना करते है.
प्राचीन काल में बहीरम मेले में भाविक बैलगाडियों से आते थे और राहुटियों में महिना-महनिा भर रहते थे. मेले में कृषि संबधित व गृहणियों से संबंधित प्रत्येक वस्तुओं की दुकान यहां पर लगायी जाती थी. विवाह संबंध भी यहां जोडे जाते थे. किंतु कालांतर में बहीरम मेले का स्वरुप बदलता चला गया. जिसमें बडी मात्रा में तमाशे यहां आने लगे जिससे नागरिकों में एचआयवी का प्रमाण बढा. राज्यमंत्री बच्चू कडू ने तमाशे बंद करवाये और इस मेले को वापस पारंपरिक महत्व दिलवाया. यहां पर मनोकामनाएं पूर्ण होने के पश्चात मूर्गे व बकरे की बली भी दी जाती थी. किंतु इस परंपरा को संत गाडगे महाराज ने बंद करवाया था.
पिछले अनेक वर्षो से यह मेला महाराष्ट्र व मध्यप्रदेश की सीमा पर लगता है. ४० से ४५ दिनों तक यह मेला चलता है. जिसमें ५०० के लगभग दुकाने होती है जिसमें पूजा का समान, प्रसाद, बच्चो के खिलौने, गृहणियों से संबंधित वस्तुएं, कृषि से संबंधित, मिट्टी से बने बर्तन इत्यादि आकर्षक वस्तुओं की दुकाने यहां लगायी जाती है. बच्चों के लिए छोटे-बडे झूले, मनोरंजन के लिए सिनेमा टॉकीज, खाने के शौकिनोें के लिए हॉटेल भी लगायी जाती है. किंतु इस साल कोरोना की पार्श्वभूमि पर मेला स्थगित कर दिया गया. जिसमें यहां पर दुकान लगाने वाले, हॉटेलों में काम करने वाले आदि ८०० से ९०० परिवार प्रभावित होगें.
कारंजा ग्राम पंचायत संभालती है व्यवस्था
चांदूर बाजार तहसील अंतर्गत आने वाले बहीरम बाबा परिसर में मेले की व्यवस्था जिला परिषद प्रशासन के मार्गदर्शन में कारंजा ग्राम पंचायत संभालती है. इस मेले से कारंजा ग्राम पंचायत को हर साल ४ से ५ लाख रुपए की आमदनी होती थी. ४०० से ५०० दुकाने यहां लगायी जाती थी. जिसमें जगह की नीलामी से हर साल ४ से ५ लाख रुपए ग्राम पंचायत को प्राप्त होते थे. किंतु इस साल मेला रद्द किए जाने से ग्राम पंचायत को आर्थिक नुकसान हुआ है.
हांडी मटन शौकिनों पर कोरोना का ग्रहण
दिसंबर माह में बहीरम मेले की शुरुआत होती है. इस महीने में गुलाब ठंडी पडने की वजह से चूल्हे पर पके हंडी के स्वादिष्ट मटन का अस्वाद लेने के लिए आस-पास परिसर से शौकिन का तांता यहां लगा रहता था. बहीरम में जगह-जगह पर शौकिन राहुटियों में मटन पकाकर पार्टी करते थे. किंतु कोरोना के चलते इस साल बहिरम यात्रा रद्द कर दी गई है. बहीरम के साथ-साथ ऋणमोचन, कौंडण्यपुर की भी यात्रा रद्द कर दी गई है.
विधायक कडू ने कायम रखी मेले की प्राचीन परंपरा
प्राचीन काल में बहीरम मेले में आने वाले भाविक महीनों गिनती यहां पर राहुटी लगाकर रहते थे. सुबह-शाम बहीरम बाबा के दर्शन कर अपने परिवार के साथ राहुटियों में सात्विक भोजन का अस्वाद लेते थे. बहीरम मेले में कृषि से संबंधित वस्तुओ की दुकानों के अलावा पशुओं का बाजार भी यहां लगा करता था. जिसमें बडी संख्या में खरीदी के लिए लोग महाराष्ट्र ही नहीं बल्कि मध्यप्रदेश से भी आत थे. यहां पर कुश्ती, शंकर पट, धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता था. किंतु कालातंर में बहीरम मेले का स्वरुप बदलता चला गया. मेले में संगीत, तमाशे आने लगे, शराब व मटन का प्रचलन बढा. अवैध व्यवसाय भी यहां होने लगे किंतु जैसे ही प्रहार जनशक्ति के संस्थापक बच्चू कडू यहां के विधायक बने उन्होनें बहीरम मेले का प्राचीन पारंपरिक स्वरुप वापस लौटाया अब यहां पर संगीत तमाशों पर पाबंदी लगा दी गई है. विधायक बच्चू कडू के मार्गदर्शन में यहां पर कृषि मेला, शंरक पट, धार्मिक व सामाजिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है.