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शिराला में पकडा गया फर्जी डॉक्टर का दवाखाना

बोगस डॉक्टर समीर बाला के खिलाफ मामला दर्ज

* वलगांव पुलिस थाने में दर्ज हुआ मामला
* स्वास्थ्य विभाग व पंस की संयुक्त कार्रवाई
अमरावती/ दि.14 – समीपस्थ शिराला गांव में पंचायत समिति के स्वास्थ्य विभाग व तहसील स्वास्थ्य विभाग व्दारा वलगांव पुलिस का सहयोग लेते हुए संयुक्त तौर पर की गई कार्रवाई में समीर भूषण बाला नामक व्यक्ति को फर्जी व बोगस दस्तावेजों के सहारे खुद को डॉक्टर बताकर दवाखाना चलाते हुए रंगेहाथ पकडा गया. जिसके बाद फर्जी डॉक्टर के दवाखाने में स्थित पूरे साजों-सामान को जब्त करते हुए इस बोगस डॉक्टर के खिलाफ वलगांव पुलिस थाने में धोखाधडी व जालसाजी के संबंधित धाराओं के तहत अपराध दर्ज किया गया.
इस संदर्भ में मिली जानकारी के मुताबिक तहसील स्वास्थ्य अधिकारी तथा बोगस डॉक्टर खोज समिति के सदस्य सचिव डॉ. आर. आर. शिरसाट ने अमरावती पंस के स्वास्थ्य विस्तार अधिकारी राम पिंजरकर को शिराला गांव में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर प्रैक्टीस करने वाले बोगस डॉक्टर की जानकारी दी थी और मामले की सघन जांच करने हेतु कहा था. पश्चात बीडीओ पिंजरकर ने शिराला की वैद्यकीय अधिकारी डॉ. सोनल खोब्रागडे व स्वास्थ्य कर्मचारी संजय रॉय व अतुल सोमवंशी के साथ 29 दिसंबर को डॉक्टर समीर बाला के दवाखाने को भेंट दी. जहां पर पाया गया कि, दो मंजिला ईमारत में समीर बाला ने उपरी मंजिल पर अपना रिहायशी घर व निचली मंजिल पर क्लिनिक बना रखा है. इस क्लिनिक में कुछ मरीज भी अपना इलाज कराने हेतु बैठे हुए थे. समीर बाला के पास महाराष्ट्र काउंसिल ऑफ एक्युपंक्चर नामक पाठ्यक्रम उत्तीर्ण रहने का 10 दिसंबर 2021 को जारी प्रमाणपत्र उपलब्ध पाया गया. वहीं डॉ. बाला के क्लिनिक में अ‍ॅलोपैथीक दवाईयों सहित सर्जिकल साहित्य पाये गए. दवाखाने के बाहरी हिस्से में क्लिनिक का बोर्ड लगा हुआ था. जहां पर डॉ. मोहीब अशहीर नसीब अहमद खान नामक डॉक्टर का भी नाम लिखा हुआ है. जिनके पास महाराष्ट्र काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसीन (मुंबई) के प्रमाणपत्र सहित महाराष्ट्र स्वास्थ्य विज्ञान विद्यापीठ (नाशिक) से उत्तीर्ण रहने का प्रमाणपत्र है. परंतु तीन बार फोन करने के बावजूद भी डॉ. मोहीब ने फोन कॉल नहीं उठाया. इसके अलावा इस क्लिनिक में इंडोस्कोपी व लेप्रोस्कोपी सर्जन डॉ. राहुल लोखंडे का रेफरर फॉर्म भी बरामद हुआ और रवि रायबोले नामक व्यक्ति की एक्सरे रिपोर्ट के साथ ही अ‍ॅलोपैथीक ड्रग्ज डिक्सनरी भी पायी गई. इन सभी के आधार पर यह स्पष्ट हो गया कि, खुद समीर बाला के पास डॉक्टर होने की कोई योग्य अहर्ता व पात्रता नहीं रहने के बावजूद उस व्यक्ति व्दारा लोगों की आँखों में धुल झोंककर खुद को डॉक्टर बताया जा रहा था और फर्जी डॉक्टर बनकर वैद्यकीय व्यवसाय किया जा रहा था. ऐसे में वलगांव पुलिस के दल ने काफी वक्त की शिकायत के आधार पर समीर भूषण बाला के खिलाफ भादंवि की धारा 420, 419, 468, 471 तथा महाराष्ट्र वैद्यकीय अधिकानिय 1961 की धारा 33, 34, 36 व 38 के तहत जालसाजी व धोखाधडी से संबंधित अपराधिक मामला दर्ज किया. साथ ही उसके क्लिनिक से बरामद अ‍ॅलोपैथिक व आयुर्वेदिक दवाईयों सहित सर्जिकल उपकरणों को जब्त किया गया. इस मामले में फिलहाल समीर बाला की गिरफ्तारी नहीं हुई है. फिलहाल वलगांव पुलिस व्दारा मामले की जांच की जा रही है.

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