अमरावती

72 साल से देश को बताया जा रहा झूठा इतिहास

सत्यमेव जयते व्याख्यानमाला में पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ का कथन

* राजनीति की बजाय देश को बडा मानने की भावना को बताया जरुरी
अमरावती/दि.03– विगत 72 वर्षों से देश को झूठा इतिहास कुछ इस तरह से बताया गया है कि, अब लोगों को सच बोलने में भी झूठ लगता है.परंतु इस बात भी इतनी ही अधिक सच है कि, यदि समाज को झूठ बोलने की आदत लग जाती है, तो वह समाज मृतप्राय हो जाता है. जिन लोगों ने हमारे इतिहास को लेकर झूठ फैलाया है, उन्हें यह देश कभी माफ नहीं करेगा, फिर चाहे वे लोग कोई भी क्यो ना हो. इस आशय का प्रतिपादन वरिष्ठ पत्रकार व विचारक डॉ. पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने किया.
गत रोज स्थानीय दशहरा मैदान पर स्व. डॉ. गजेंद्र गुलाबराव वसु मेमोरियल फाउंडेशन तथा शिव प्रतिष्ठान हिंदुस्थान की ओर से शाम 6 बजे आयोजित सत्यमेव जयते व्याख्यानमाला में डॉ. पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ अपने विचार व्यक्त कर रहे है. इस अवसर पर उन्होंने तत्कालीन सत्ताधारियों पर अपने फायदे के लिए प्रेरणादायी सत्य को सुनियोजित षडयंत्र रचते हुए छिपाने का आरोप लगाते हुए कहा कि, आज पं. लालबहादुर शास्त्री के जयंती पर उनसे जुडा एक सत्य याद आता है. वर्ष 1965 में भारत-पाक युद्ध के समय पाकिस्तानी सेवा ने आक्रामण किया था और पाकिस्तानी सैनिक कश्मिर की ओर बढ रहे है. तब रात 1 बजे सेना के एक बडे अधिकारी प्रधानमंत्री पं. लालबहादुर शास्त्री के पास पहुंचे, तो पंडितजी ने सेना को अमृतसर के पास स्थित पश्चिमी सीमा को पार कर पाकिस्तान पर हमला करने की छूट दी. जिसके बाद भारतीय सेना लाहोर तक पहुंच गई. इससे पाकिस्तान में खलबली मच गई और कश्मिर तक पहुंची पाकिस्तानी सेना ने अपने कदम पीछे खींचे. लेकिन इस बात को जानबुझकर दबाए रखा गया.
श्रोताओं की भीड से खचाखच भरे दशहरा मैदान पर आयोजित सत्यमेव जयते व्याख्यानमाला को संबोधित करते हुए डॉ. पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने कहा कि, वर्ष 1949 से इस देश को देश की संसद सहित देश के समक्ष पेश किए गए झूठे इतिहास ने भी धोखा दिया. छत्रपति शिवाजी महाराज केवल महाराष्ट्र के ही नहीं, बल्कि समूचे देश के नायक है. लेकिन उनकी महत्ता को सुनियोजित ढंग से केवल महाराष्ट्र तक सीमित कर दिया गया है. इसी तरह इस देश को नेताजी सुभाषचंद्र बोस तथा वीर दामोदर सावरकर के बारे में बहुत अधिक जानकारी इतिहास के जरिए नहीं दी गई. इस सबकुछ राजनीतिक स्वार्थ के लिए किया गया. परंतु राजनीतिक दल एक तरह की दुकानदारी है. जहां पर नौकरी मिलती है. परंतु राजनीतिक दलों और राजनीति की बजाय देश बडा है. यह भावना समाज में पैदा होना जरुरी है. लेकिन अफसोस है कि, इस देश मेें राजनीति को भी सबसे अधिक महत्व दिया गया है.
इस समय अपने संबोधन में यह भी कहा गया हैं कि, महान स्वाधिनता सेनानी मंगल पाण्डेय की असली जन्म तारीख 30 जनवरी है. परंतु इसी दिन किसी अन्य व्यक्ति की पुण्यतिथि रहने के चलते मंगल पाण्डेय की जयंती की तारीख को बदल दिया है. इसी तरह भारत पर राज करने वाले ब्रिटीश राजा जॉर्ज पंचम का पुतला वर्ष 1968 तक इंडिया गेट पर था. जिसे लेकर देश प्रेमियों द्बारा आवाज उठाए जाने पर उसे हटाया गया. इसके बाद नेताजी सुभाषचंद्र बोस से संबंधित असली दस्तावेज दिखाए जाने के अभियान ने जोर पकडा, तो इंडिया गेट पर नेताजी का गे्रनाइट से बना पुतला बिठाया गया. इसके साथ ही डॉ. पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने कहा कि, वीर सावरकर व नेताजी सुभाषचंद्र बोस जैसे प्रखर राष्ट्रवादी नेताओं के प्रेरणादायी सत्य को छिपाने का पाप और अपराध इस देश को तत्कालीन सत्ताधीशों द्बारा किया गया. परंतु सोशल मीडिया के जरिए अब सभी के सामने सच आ रहा है. नेताजी सुभाषचंद्र बोस की विमान दुर्घटना में मौत होने से संबंधित भ्रामक जानकारी व झूठ इस देश के सामने रखा गया. इसी तरह 14 नवंबर को पंडित जवाहरलाल नेहरु का जन्मदिन नामालूम वजहों के चलते बालक दिवस के तौर पर मनाया जाता है. जिसे लेकर खुद जनता सवाल पूछ रही है कि, पंडित नेहरु ने ऐसा क्या किया. जिसकी वजह से उनके जन्मदिवस को बालक दिवस के तौर पर मनाया जाता है. इसकी बजाय श्रीगुरु गोविंदसिंह के 4 साहिबजादों ने जिस दिन देश के लिए बलिदान दिया था, उस दिन को उनकी शहादत की स्मृति में बालक दिवस के तौर पर मनाया जाना चाहिए.

 

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