अमरावती

महिला की मौत से गुस्साए परिजनों ने की अस्पताल में तोडफोड

दर्यापुर के शतायु अस्पताल में हुआ जमकर हंगामा

दर्यापुर/दि.29- स्थानीय छत्रपति शिवाजी महाराज चौक स्थित शतायु अस्पताल में गत रोज इलाज के दौरान एक महिला की मौत हो गई. जिसके बाद अस्पताल के संचालक डॉ. सचिन नागे पर इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए महिला के संतप्त परिजनों ने जमकर हंगामा मचाया और अस्पताल में काफी तोडफोड भी की. पश्चात पुलिस द्वारा मध्यस्थता किये जाने के चलते मामला थोडा शांत हुआ.
इस संदर्भ में मिली जानकारी के मुताबिक धामोडी गांव निवासी आरती गजानन डिक्कर नामक 35 वर्षीय महिला की तबियत खराब होने के चलते उसे दर्यापुर स्थित शतायु हॉस्पिटल में इलाज हेतु लाया गया. जहां पर डॉ. सचिन नागे ने प्राथमिक जांच करने के बाद उसके परिजनों को बताया कि, इस महिला को कृत्रिम ऑक्सिजन की जरूरत है और उसके शरीर में ऑक्सिजन का लेवल तेजी से गिर रहा है. चूंकि शतायु हॉस्पिटल में कृत्रिम ऑक्सिजन की व्यवस्था उपलब्ध नहीं थी. ऐसे में डॉ. सचिन नागे ने प्राथमिक उपचार करने के बाद इस महिला को उपजिला अस्पताल में रेफर कर दिया. लेकिन उपजिला अस्पताल के डॉक्टरोें द्वारा इस महिला को मृत घोषित किया गया. यह जानकारी पता चलते ही महिला के रिश्तेदारों ने आरोप लगाया कि, डॉ. सचिन नागे की लापरवाही की वजह से ही महिला की मौत हुई है और संतप्त लोगों की भीड ने शतायु हॉस्पिटल पहुंचकर वहां तोडफोड करनी शुरू कर दी. चूंकि इस अस्पताल के ठीक बगले में ही पुलिस थाना स्थित है. ऐसे में तोडफोड व हंगामे की खबर मिलते ही पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची और थानेदार प्रमेश आत्राम ने तुरंत स्थिति पर काबू पाया. इस समय मृतक महिला के रिश्तेदारों ने डॉ. सचिन नागे की गिरफ्तारी होने तक महिला का शव अपने कब्जे में नहीं लेने और महिला के शव का इन कैमेरा पोस्टमार्टम कराये जाने की मांग उठाई. जिसके बाद उपजिला अस्पताल में मृतक महिला का पोस्टमार्टम इन कैमेरा कराया गया और उसके परिजनों को समझा-बुझाकर उन्हें मृतका का शव अंतिम संस्कार हेतु सौंपा गया. मृतक महिला के पति गजानन डिक्कर द्वारा इस मामले में डॉ. सचिन नागे के खिलाफ शिकायत दर्ज करायी गई.

* इलाज में कोई गलती या लापरवाही नहीं हुई
उस महिला को जब अस्पताल लाया गया, तो वह अचेत अवस्था में थी और उसकी स्थिति काफी गंभीर थी. मेरे द्वारा किये गये इलाज के चलते उसकी स्थिति में काफी सुधार भी हुआ था. ऐसे में मैने बेहतर इलाज के लिए मरीज को उपजिला अस्पताल में रेफर कर दिया था. संभवत: इसी दौरान उसे मिरगी का दूसरा दौरा आया होगा, जिसके चलते उपजिला अस्पताल पहुंचने से पहले ही उस महिला मरीज की जान चली गई. जिसके लिए मुझे जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता. क्योंकि मैने अपनी ओर से इलाज में कोई भी लापरवाही या गलती नहीं की.
– डॉ. सचिन नागे
संचालक, शतायु हॉस्पिटल, दर्यापुर

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