* संस्कार भारती और कलाकारों का संयुक्त आयोजन
अमरावती/दि.8 -अमरावती विगत शनिवार को संत ज्ञानेश्वर सांस्कृतिक भवन मेें गगन सदन तेजोमय इस लता दीदी के संगीत स्मरण समारोह में रसिको ने अनेको गीत गाए जिसमेें आएगा, आएगा आनेवाला यह गीत सुनते ही रोंगटे खडे हो जाते है, होठो पे ऐसी बात, मधली वाद्यवृंदाकी धमाल, ओ सजना बरखा बहार आयी तला टिपेला जानेवाला मधाल सूर, इस मोड से जाते है, इन्ही लोगों ने ले लिया दुपट्टा मेरा आदि गीतों से ऐसा लग रहा था जैसे कि लता युग आ गया है. जिसमें सैकडो गीतकार अगणित संगीतकार और मर्याद वादको के हक्क की मखमली स्वर यानी लता मंगेशकर के कंठ से उतरे अविस्मरणीय हिन्दी मराठी गीतो का अमरावतीवासी कलाकारों ने प्रस्तुत किया स्वर समारोह.
इस कार्यक्रम की शुरूआत लता मंगेशकर की प्रतिमा साकार कर की. जिससे लता मंगेशकर की यादों को उजाला दिया. जिसमे हिन्दी मराठी गीतों में रसिको ने उत्स्फुर्त प्रतिसाद दिया. तबले पर विशाल पांडे, स्वप्नील देशमुख और प्रसाद पांडे, सिंथसायरवर रामेश्वर काले, बासरी पर रवि खंडारे, ढोलक पर मनीष आत्राम गिटार पर अभिजीत पांडे उपथित थे.
कोरोना के कारण विगत दो वर्षो में शासकीय नियमों में शिथिलता मिलने से घर से बाहर जाकर रसिको ने संगीत तथा गीतों अस्वाद लिया. इस कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगीत से किया गया. इस अवसर पर लता मंगेशकर को मौन श्रध्दांजलि अर्पित की गई. कार्यक्रम का संचालन नीलिमा लोडम ने किया. आभार प्रदर्शन खरे ने किया. कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए संस्कार भारती तथा कलापासक के पदाधिकारी उपस्थित थे.