अमरावतीमहाराष्ट्र

टमाटर लगाकर पछता रहे किसान, केवल पांच रुपए का मिल रहा दाम

उत्पादन अधिक होने और आवक बढ जाने से टमाटर के दाम गिरे

अमरावती/दि.14– विश्व का अन्नदाता कहे जाते किसान द्वारा बडी मेहनत मजदूरी के साथ उगाए जाने वाले टमाटर व साग-सब्जी को बाजार में मिट्टीमोल दाम मिलने के चलते कुछ किसान के ही खाली हाथ रहकर भूखे रहने की नौबत आन पडी है और बाजार में टमाटर को महज 5 रुपए का दाम मिलने की वजह से टमाटर उगानेवाले किसान अब अपने फैसले पर पछता रहे है और उनके सामने अपने सिर पर हाथ मार लेने के अलावा अन्य कोई दूसरा पर्याय नहीं है.
बता दें कि, इस समय फुटकर बाजार में टमाटर मात्र 15 से 20 रुपए प्रति किलो के दाम पर बिक रहा है. जिसे थोक बाजार में बमुश्कील चार से पांच रुपए प्रति किलो के दाम मिल रहे है. किसानों द्वारा आधुनिक तंत्रज्ञान का सहारा लेते हुए बडी मेहनत के साथ टमाटर सहित अन्य साग-सब्जियों को अपने खेतों में उगाया जाता है. लेकिन अक्सर ही बाजारों में किसानों की उपज को योग्य दाम नहीं मिलते. जिससे किसानों का बडे पैमाने पर आर्थिक नुकसान होता है. इस समय भी बाजार में टमाटर को लगभग मिट्टीमोल दाम मिल रहे है. ऐसे में किसानों के सामने बडी मेहनत के साथ उगाए गए टमाटर को बाजार में लाने की बजाए अपने जानवरों के सामने डाल देने की नौबत आन पडी है.

* 100 रुपए किलो तक पहुंचा था टमाटर
कुछ माह पूर्व बाजार में साग-सब्जी की आवक कम हो जाने के चलते टमाटर के दाम 80 से 100 रुपए प्रति किलो तक जा पहुंचे थे. वहीं इस समय टमाटर के दामों में जबरदस्त गिरावट आई है और टमाटर बमुश्कील 15 से 20 रुपए प्रति किलो के दाम पर बिक रहा है.
– टमाटर को अब तक मिले दामों को ध्यान में रखते हुए किसानों ने बेहतर आय होने की उम्मीद से अपने खेतों में प्रति एकड 80 हजार रुपए का खर्च कर टमाटर की बुआई की थी और चार माह तक मेहनत करते हुए टमाटर की फसल उगाई थी.
– शुरुआती दौर में टमाटर को होलसेल बाजार में 20 से 30 रुपए प्रति किलो के दाम भी मिले. लेकिन अब यही दाम घटकर 180 से 200 रुपए प्रति कैरेट तक आ गए है.
– यानी टमाटर को होलसेल बाजार में बमुश्कील 5 से 7 रुपए के दाम मिल रहे है और 10 रुपए प्रति किलो की दर पर टमाटर को कोई पूछ भी नहीं रहा.

* तुडाई व मालढुलाई के भी वांदे
टमाटर के दामों में लगातार गिरावट होने के चलते टमाटर उत्पादक किसान आर्थिक दिक्कत में फंसे दिखाई दे रहे है. फसल तुडाई व मालढुलाई पर होनेवाले खर्च के बाद किसानों के पल्ले में एक ढेला भी नहीं आ रहा. जिसके चलते किसानों द्वारा अपने खेतो से खुद ही अपने हाथ से फसल तोडकर जानवरों के सामने डाल दिए जा रहे है.
– किसानों ने टमाटर की खेती के जरिए आर्थिक उन्नती साधने की दृष्टिकोन से बडी अपेक्षा के साथ टमाटर की बुआई की थी. लेकिन टमाटर के दामों में लगातार गिरावट होने के चलते बुआई, माल तुडाई व ढुलाई का खर्च निकलना भी मुश्कील हो गया है.

* क्यों घटे दाम
इस समय बाजार में टमाटर की आवक बडे पैमाने पर हो रही है. साथ ही अन्य साग-सब्जियों की आवक भी अच्छी-खासी है. जिसके परिणाम स्वरुप पहले की तुलना में अब आवक बढ जाने के चलते टमाटर के दाम घट गए है.

* वैशाली वाण की सर्वाधिक मांग
वैशाली वाण के टमाटर उत्पादन में अच्छी-खासी वृद्धि हुई है. इस वाण के टमाटर जल्दी खराब नहीं होते और ज्यादा दिनों तक बिक्री हेतु योग्य रहते है. अपेक्षित उपज होने के बावजूद योग्य दाम नहीं मिलने के चलते टमाटर उत्पादक किसानों को आर्थिक नुकसान सहन करना पड रहा है और इस समय टमाटर को मिल रहे दाम में टमाटर का लागत मूल्य निकलना भी मुश्कील हो गया है.

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