* कृषि विभाग से मार्गदर्शन की मांग
शेंदुरजनाघाट/दि.6- वरूड तहसील के शेंदूरजना घाट में अज्ञात बीमारी ने संतरे की फसल को अपनी चपेट में ले लिया और संतरा तडकने के साथ पेडों से गिरने लगा. साथ ही संतरा पेडों की पत्तियां भी झडने लगी. इस कारण संतरा पेड सुखते दिखाई दे रहे थे. बारिश होने के बाद पेड हरे भरे हो जाएंगे, ऐशी आशा किसानों को रहते पेड एक जैसे सूखने लगे.
यह अज्ञात बीमारी का प्रभाव ही दिखाई दे रहा है. साथ ही संतरा पेडों की टहनियां भी झुकने लगी हैं. पानी आने के बाद भी टहनियां सभी तरफ काफी सूखती दिखाई दे रही हैं. एक तरफ आंबिया बहार में किसानों का नुकसान हुआ. अब पेडों पर अज्ञात बीमारी के प्रादुर्भाव के कारण किसान काफी चिंतित हो गए है.
पिछले वर्ष मूसलाधार बारिश के कारण जुलाई से सितंबर माह की कालावधि में संतरा बगीचें में संतरे काफी गिर गए थे. इसमें करोडों रूपए का संतरा उत्पादकों सहित व्यापारियों का हुआ था. इस संकट का सामना कर शेष रहे संतरा माल पर लाखों रूपए खर्च कर विविध छिडकाव व उपाययोजना कर फलों की किसानों ने सुरक्षा कर उसे टिकाएं रखा. लेकिन संतरे को उचित दाम न मिलने से मोर्शी व वरूड तहसील के संतरा उत्पादक किसान परेशान रहते अब फिर से अज्ञात बीमारी के नए संकट में आ गए हैं.
वरूड तहसील में संतरा उत्पादन पर तहसील की आर्थिक व्यवस्था निर्भर रहती है. संतरा व संतरे की कलम पर किसानों का आर्थिक व्यवहार चलता है. निसर्ग संकट के कारण इस बार भी संतरा उत्पादक किसान परेशान दिखाई दे रहे हैं. सातनूर, पुसला, वाई, धनोडी, मालखेड, झटामझिरी, वरूड, जरूड, लोणी, चांदस वाठोडा, सुरली कुरली, तिवसाघाट, बेनोडा, हिवरखेड, मालखेड आदि परिसर में किसान आंबिया बहार भारी मात्रा में लेते हैं. लेकिन इस वर्ष भी नुकसान काफी होने से संतरा उत्पादक किसान दुविधा में है.
* कृषि विभाग के कामकाज पर सवालिया निशान
संतरे पर लगातार आते बीमारी के चलते कृषि विभाग के कामकाज पर सवालिया निशान लगे है. कायम स्वरूप में इस तहसील में कृषि अधिकारी नहीं हैं. प्रभारी अधिकारी पर ही कामकाज शुरू है. किसानों की फसलों पर आनेवाले बीमारी का निदान कर उपाययोजना, मार्गदर्शन करने का काम कृषि विभाग का रहते उनकी अभी भी अनदेखी चल रही है. इस कारण संतरे पर कोलसी, शंकूरोग, डिक्कसा रोग जैसे अज्ञात रोगों का प्रादुर्भाव है. इस संकट से बाहर निकलने किसानों को उचित मार्गदर्शन और शासन द्वारा छिडकाव के लिए नि:शुल्क दवाई की आपूर्ति करने की मांग परिसर के संतरा उत्पादक किसान कर रहे है.
* शत-प्रतिशत अनुदान की आवश्यकता
इस वर्ष संतरे के पेड सूखने लगे है. आंबिया बहार अच्छा रहते अप्रैल से मई माह के तापमान के कारण संतरा गल गया. अब अज्ञात बीमारी का प्रकोप संतरा पेडों पर है. इसलिए शत-प्रतिशत अनुदान पर शासन द्वारा दवाई उपलब्ध करानी चाहिए और कृषि विभाग द्वारा संतरा उत्पादकों को उचित मार्गदर्शन करना चाहिए.
– प्रफुल्ल कुबडे
संतरा उत्पादक, शेंदुरजनाघाट
* बीमारी नहीं एक विकृति है
संतरा पेडों पर संतरे टूटकर गिरना यह कोई बीमारी नहीं है, एक विकृति है. ग्रीष्मकाल में पानी का अभाव और मानसून में बारिश होने पर संतरे का आकार अचानक बढता है. उस समय संतरे के छिलके कडक रहते है. इस कारण संतरा फल में कुछ मात्रा में दरार आती है. इसके लिए बोरॉन, कैल्शियम नाइट्रेट, जिंक उचित प्रमाण में लेकर संतरा पेडों पर छिडकाव करना चाहिए.
– मनोज भाकरे
कृषि सहायक
* उचित उपाय योजना जरूरी
वर्तमान में अज्ञात बीमारी के कारण संतरा पेड सूखने के साथ फल गिर रहे हैं. यह वातावरण का बदलाव है, या अज्ञात बीमारी है. इस पर संतरा संशोधकों द्वारा संशोधन कर हर वर्ष आनेवाले इस संकट पर मात करने के लिए उचित उपाय करना चाहिए और किसानों को हो रहे नुकसान से बचाने के लिए शासन की ओर से आर्थिक सहायता करनी चाहिए.
– लक्ष्मीकांत देवघरे
किसान