अमरावती

किसानों की दीवाली गई पानी में

मिठाई तो दूर, जैसे-तैसे दो वक्त के भोजन का किया जुगाड

ऐन सीझन में हुई बारिश से किसान हुए त्रस्त                                                  खेतों में खडी फसल और सोयाबीन के ढेर भीगे
अमरावती दि.27- चाहे पर्व हो, या कोई त्यौहार, किसानों के लिए लगभग सभी दिन एक समान ही होते है. उन्हें हर दिन अपने खेत-खलिहानों में जाकर मेहनतवाले काम करने होते है, क्योंकि फसल बोने से लेकर फसल की कटाई होने तक एक-एक दिन बेहद कीमती होता है. इसी के तहत जब बीते सप्ताह सोयाबीन की फसल खेतों में पककर तैयार हो गई, तो अचानक ही मान्सून की वापसी के दौरान बारिश शुरू हो गई. जिससे पूरी तरह पककर तैयार सोयाबीन की फसल भीग गई. बाद में जैसे-तैसे मौसम खुला होने पर सोयाबीन को आठ दिनों तक सूखाया गया और दीपावलीवाले दिन थ्रेशर मिलने पर सोयाबीन निकाला गया. जिसमें प्रति एकड डेढ-दो क्विंटल का उतारा हाथ आया. ऐसे में सबसे बडी समस्या यह है कि, किसान खुद अपने परिवार को क्या खिलाये और अगले सीझन में बुआई के लिए पैसा कहां से लाये. इस स्थिति के चलते कहा जा सकता है कि, इस बार किसानों की दीपावली पानी में चली गई और दीपावली के पर्व पर स्वादिष्ट व मीठे व्यंजन तो दूर, किसानों ने जैसे-तैसे अपने दो वक्त के भोजन की व्यवस्था की.
बता दें कि, इस बार सोयाबीन की बुआई से लेकर कटाई तक लगातार बारिश का दौर चलता रहा. इस दौरान अतिवृष्टि होने से कई खेतों में जलजमाव वाली स्थिति भी बन गई. जिसकी वजह से खेतों में खडी सोयाबीन की फसल पीली पड गई थी. इसमें से जो थोडी-बहुत फसल जैसे-तैसे बच गई थी, उसके हाथ में आने की उम्मीद किसानों द्वारा की जा रही थी. लेकिन ऐन कटाई के समय एक बार फिर बारिश शुरू हो गई और खेतों से चुने गये और खेतों में ही रखे गये सोयाबीन के ढेर इस बारिश में भीग गये. जिससे सोयाबीन की प्रतवारी खराब हुई. वही इस समय नाफेड के सरकारी खरीदी केंद्र शुरू नहीं हुए है और फसल मंडी में निजी व्यापारियों ने उपज के दाम गिरा दिये है. जिसके चलते किसान अब दोहरी मार से जूझ रहे है.

* वापसी की बारिश से हुआ नुकसान
सोयाबीन की कटाई के समय एक बार फिर कई तहसील क्षेत्रों में झमाझम बारिश हुई. जिससे पूरी तरह पक कर तैयार सोयाबीन भीग गया. कुछ स्थानों पर सोयाबीन की कटाई व बिनाई भी हो चुकी थी और खेतों में ही सोयाबीन के ढेर लगाकर रखे गये थे, जो बारिश में भीग गये है. जिसके चलते फसलों का काफी बडे पैमाने पर नुकसान हुआ है. एक अनुमान के मुताबिक मान्सून की वापसी के दौरान हुई बारिश की वजह से जिले में कम से कम पांच हजार हेक्टेयर क्षेत्र में नुकसान होने की संभावना है.

* 2 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सोयाबीन गया पानी में
इस बार खरीफ के सीझन में हुई मूसलाधार बारिश और अतिवृष्टि के चलते कई खेतों में लंबे समय तक जलजमाव वाली स्थिति बनी रही. जिसके चलते करीब 2 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सोयाबीन की फसल का बडे पैमाने पर नुकसान हुआ है.

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