अमरावती प्रतिनिधि/दि.३१ – राजनीतिक हित संबंधो से किसानों की दुरावस्था हुई है ऐसा प्रतिपादन अमर हबीब ने व्यक्त किया. वे आम्ही सारे फाउंडेशन और मीडिया वॉच द्वारा ऑनलाइन संवाद कार्यक्रम में बोल रहे थे. यह कार्यक्रम अविनाश दुधे व नितिन पखाले द्वारा लिया गया था. इस समय अमर हबीब ने आगे कहा कि, महात्मा गांधी का खून नहीं हुआ होता तो लाखों किसानों की आत्महत्या नहीं होती. आत्महत्या का पाप नाथूराम गोडसे को है जो गोडसे को मानते है उन्होनेें इन सभी बातों का विचार करना चाहिए अनेकों गांधीवादी मित्र छूपे नेहरु वादी हो गए. उन्होंने कभी भी गांधी व नेहरु के १९४६-४७ के पत्र व्यवहार को पढा नहीं.
महात्मा गांधी ने इस पर स्पष्ट कहा कि ऐसा शासन मुझे मंजूर नहीं जहं नागरिकों की स्वतंत्रता संकुचित हो ऐसा राज्य मुझे मान्य नहीं है. माहत्मा गांधी जैसा स्वतंत्रवादी नेता अपने देश में नहीं हुआ है ऐसा भी अमर हबीब ने कहा. महात्मा गांधी हत्या के बाद पंडित नेहरु को खुला मैदान मिला और उन्होंने १९५१ में पहली बार संविधान की घटना में नवा परिष्ठ जोडा. जिसे न्यायालय में चैलेंज नहीं किया जा सकता ऐसी घटना की दुरुस्ती की गई थी. ऐसा प्रतिपादन अम्ही सारे फाउंडेशन की वेब संवाद में अमर हबीब ने कहा. इस वेब सत्र में स्वाभिमानी शेतकरी संगठना के नेता रविकांत तुपकर, आम्ही सारे फाउंडेशन के सचिव डॉ. गजानन नारे, मनोविकास प्रकाशन के अरविंद पाठकर, चित्रकार सुनील यावलिकर, प्रा. प्रसेनजीत तेलंग, प्रा.हमेंत खडके, हर्षल रेवणे, अतुल विडुलकर, श्रीकांत चौधरी, भूषण नाचवणकर, रोशन यादगिरे, नितिन राठोड ने सहभाग लिया था.