मोर्शी – तहसील में बडे पैमाने पर संतरा उत्पादन होता है. जिसके चलते मोर्शी-वरुड तहसील को विदर्भ का कैलिफोनिया कहा जाता है. मोर्शी तहसील में इस बार किसानों को भीषण अकाल का सामना करना पड रहा है. किसानों के लिए वर्ष २०१६ में केंद्र सरकार ने बडे ही जोर-शोर से फसल बीमा योजना की घोषणा की थी. लेकिन फसल बीमा योजना का लाभ किसानों को नहीं मिल पा रहा है. आज भी मोर्शी तहसील के किसानों को फसल बीमा का ही इंतजार करना पड रहा है.
यहां बता दें कि, वर्ष २०१६ से घोषित किये गये फसल बीमा योजना में अनेक किसान शामल हुए. राज्य सरकार ने वर्ष २०१९ में १५१ तहसीलों को अकाल घोषित किया. इनमें मोर्शी-वरुड तहसील का भी समावेश रहा. फसल बीमा का प्रिमियम भरने पर भी उसका मुआवजा मिलता नहीं है. वय २०१९-२० में मोर्शी-वरुड तहसील के हजारों संतरा उत्पादक किसानों ने अंबिया बहार संतरे का बीमा निकाला. अगस्त में मुआवजा मिलना चाहिए था. लेकिन इसकी घोषणा अब तक नहीं की गई है. मोर्शी तहसील में भीषण अकाल के चलते लाखों संतरा पेड सूख गये. जिससे मोर्शी-वरुड तहसील के संतरा उत्पादक किसान परेशानी में आ गये. सरकार को अकाल मान्य है. लेकिन कंपनी इसे मानने को तैयार नहीं है. यह सवाल अब किसान उठा रहे है. १३ जनवरी २०१६ में सरकार ने संपूर्ण देश में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लागू की. प्राकृतिक आपदा के दौर में फसलों को बीमा सुरक्षा मिले और किसानों का आर्थिक स्थैर्य बढे. यहीं योजना का मुख्य उद्देश्य है.
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों के लिए केवल सुरक्षा कवच के रुप में काम नहीं करेंगी. जबकि किसानों के परिवार में जो आर्थिक अनिश्चितता के हालात होते है उस हालातों में बदलाव लाती है. कम प्रिमियम पर यह बीमा सुविधा उपलब्ध कराई गई है. यह योजना यानि कम प्रिमियम और बडा बीमा इस योजना अंतर्गत खरीफ में फसलों के लिए दो फिसदी व रब्बी फसलों के लिए देढ फिसदी प्रिमियम भरणा पडता है. कम प्रिमियम पर बडा बीमा यह सरकार का दावा है. फिर भी फसल बीमा योजना यह किसानों की नहीं बल्कि कंपनियों के फायदे वाली होने की आपत्ति किसानों ने जताई है. जिससे सरकार की कार्य प्रणाली को लेकर किसानों का रोष बढ रहा है. फसल बीमा की जटील शर्तों को रद्द कर किसानों को फसल बीमा की सहायता मिलेगी. इस ओर मोर्शी-वरुड तहसील के किसानों की निगाहे टिकी हुई है.
- किसानों की समस्याएं सुलझाने के लिए तहसील स्तर पर कंपनी का कार्यालय नहीं बनेंगा. तब तक फसल बीमा योजना किसानों के लिए लाभदायी साबित नहीं हो सकती.
– प्रकाश विघे, संचालक, कृषिउपज मंडी, मोर्शी
- फसल बीमा योजना में केवल बीमा कंपनियों को लाभ हो रहा है. इसलिए यह योजना कार्पोरेट सेक्टर के लिए काफी बेहतरीन है, कृषि क्षेत्र के लिए नहीं. बीते वर्ष सूखे हालातो के चलते मोर्शी-वरुड तहसील में लाखों संतरा पेड सिंचाई के आभाव में सूख गये. जिससे किसानों को बडे पैमाने पर नुकसान हुआ है. भविष्य में किसानों का नुकसान टालने के लिए उपाय योजनाएं की जाए.
– नरेंद्र जिचकार, तहसील अध्यक्ष, राष्टवादी कांग्रेस
- संतरा-मोसंबी व खरीफ रब्बी फसलों का निकाला गया फसल बीमा व अमरावती जिले के संतरा उत्पादकों को करोडों रुपयों का मुआवजा शिघ्र दिया जाए. यह मांग संतरा उत्पादक किसान रुपेश वालके ने की है.