अमरावतीमहाराष्ट्र

कपास का भाव गिरने से जिले के किसान संकट में

जीवनयापन करने की समस्या आ रही सामने

मोर्शी/दि.22– विदर्भ में नगदी फसल के रुप में आज भी कपास का उल्लेख किया जाता है. मगर इन दिनों कपास उत्पादक किसानों पर भूखमरी की नौबत आने जैसी परिस्थिती पड रही है. खरीप हंगामा फसल का इस वर्ष कपास व सोयाबीन फसल का बडे पैमाने पर नुकसान हुआ है. जिसके कारण किसान नुकसान भरपाई की अपेक्षा कर रहे है.

किसानों व्दारा लगाई गई कपास का खर्च भी नहीं निकल रहा है. कपास, सोयाबीन, तुअर, उत्पादक किसानों का लाखो क्विंटल माल घरों पर पडा हुआ है. एक तो मौसम की मार, दुसरा अचानक हुई बारिश के कारण खराब हुई फसलों के कारण किसानों पर दोहरी मार पड रही है. दुसरी ओर किसानों की फसलों को सही दाम नहीं मिल पा रहा है. व्यापारी कम दाम में किसानों की फसल कपास, तुअर, सोयाबीन को मांग रहे है. अब किसानों के सामने विकट परिस्थिती सामने आ गयी है. कि कम दाम में फसल बेचे या फसलों को सडने के लिए छोड दें. किसानों की बदहाली को रोकने के लिए सीसीआई की कपास खरीदी केंद्र तुरंत शुरू कर शासन व्दारा कपास उत्पादक किसानों को प्रति क्विंटल 5 हजार रुपये अनुदान कपास उत्पादक किसानों के खातों में जमा करने की मांग राष्ट्रवादी कॉग्रेस पार्टी के तहसील उपाध्यक्ष रुपेश वालके ने सरकार से की है.

सरकार के गलत निर्णयों के कारण किसानों को परेशानी झेलनी पड रही है. सरकार किसानों के प्रति गंभीर दिखाई नहीं दे रही है. हमी भाव सिर्फ नाम के लिए दिखाई पड रहा है. उत्पादन खर्च बढ रहा है, मगर हमीभाव सिर्फ देढ सौ से तीन सौ रुपये ही बढे है. हर वर्ष महंगाई 5 से 7 प्रतिशत बढ रही है. उत्पादन में भी गिरावट आ रही है. यातून जिसके कारण किसानों को अब खेती का काम करना पसंद नहीं आ रहा है. जिसके कारण कपास हमीभाव 12 हजार रुपये कर सरकार खरीदी केंद्र सभी ओर शुरू की जाए.
रुपेश वालके, उपाध्यक्ष राष्ट्रवादी कॉग्रेस पार्टा मोर्शी तहसील.

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