किसान पुत्र संजय खोडके बने विधायक
मंत्रालय में काम का 35 वर्षो का प्रदीर्घ अनुभव

* कृषि क्षेत्र के जानकार, एएफओ के रूप में शुरू किया था काम
अमरावती/ दि. 17- उच्च सदन विधान परिषद के लिए नामित राकांपा अजीत पवार गट के अग्रपंक्ति के नेता संजय विनायकराव खोडके किसान पुत्र हैं. उन्हें मंत्रालय तथा विधान मंडल के कामकाज का साढे तीन दशकों का प्रदीर्घ अनुभव हैं. उल्लेखनीय है कि खोडके कृषि में बीएससी की उपाधि प्राप्त करने के साथ खेती किसानी का अच्छा नॉलेज रखते हैं. उनकी खुद की भी काफी खेतीबाडी है. उनके विधायक बनने से न केवल अमरावती बल्कि पश्चिम विदर्भ में समर्थकों में हर्ष की लहर दौड गई है. हर कोई प्रसन्न हो गया है. खोडके अमरावती की विधायक सुलभा खोडके के यजमान है.
मराठी कान्वेंट और मणिबाई के छात्र
संजय खोडके का जन्म 12 नवंबर 1959 को विनायकराव खोडके के घर हुआ. किसान परिवार में जन्में संजय खोडके ने प्राथमिक शिक्षा मराठी कान्व्हेंट और हाईस्कूल की शिक्षा मणिबाई शाला से प्राप्त की. शिवाजी विज्ञान महाविद्यालय से 1984 में बीएससी की उपाधि कृषि में प्राप्त की. अगले ही वर्ष उन्हें सरकारी महाराष्ट्र राज्य बीज निगम में एएफओ के रूप में नियुक्ति मिल गई. मेधावी संजय खोडके ने अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन प्रभावी रूप से किया. जिससे 7 वर्ष बाद वे 1992 में प्रति नियुक्ति पर मंत्रालय में मनोनीत किए गये.
मंत्रालय में 18 वर्षो तक कार्य
1992 में तत्कालीन उप मुख्यमंत्री के विशेष कार्यकारी अधिकारी ओएसडी के रूप में नियुक्त संजय खोडके अगले 18 वर्षो तक इस पद पर बखूबी कार्य करते रहे. उन्होंने प्रदेश के वरिष्ठ नेता शरदचंद्र पवार, छगन भुजबल, आरआर उर्फ आबा पाटिल, विजयसिंह मोहिते पाटिल, डॉ. राजेन्द्र गोडे, माणिकराव ठाकरे, प्रा. शरद तसरे आदि के साथ कार्य किया. अपने क्षेत्र के विकास प्रकल्पों को विशेष अधिकारी ओएसडी के रूप में खोडके ने आगे बढाया. अमरावती परिक्षेत्र में अनेक बडी परियोजनाएं साकार करने में अधिकार के रूप में भी संजय खोडके का योगदान माना जाता है.
छात्र जीवन से राजनीति
संजय खोडके को आज अमरावती और प्रदेश की राजनीति में व्यूह रचना का माहिर बताया जाता है. अनेक गणमान्य उन्हें सियासी चाणक्य की पदवी देते हैं. खोडके छात्र जीवन से ही चुनावी राजनीति में एक्टीव रहे. तत्कालीन नागपुर विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव में खोडके पर्दे के पीछे से एक्टीव रहने की जानकारी उनके एक अत्यंत करीबी ने आज दोपहर अमरावती मंडल से चर्चा करते हुए दी. उन्होंने बताया कि 1981 से 84 तक संजय खोडके छात्रसंघ पैनल के चुनाव का नेतृत्व करते रहे.
शरद पवार और अजीत दादा के खासमखास
बीज निगम की शासकीय नौकरी करते हुए वे अपनी कार्यशैली से राजनेताओं को प्रभावित किए हुए थे. तत्कालीन मुख्यमंत्री शरद पवार के करीबी हो गये थे. पवार के विश्वासपात्र बने संजय खोडके ने कालांतर में राकांपा की स्थापना के बाद भी पवार का साथ कायम रखा. इतना ही नहीं तो खोडके पार्टी के सभी वरिष्ठ नेताओं के भी अत्यंत करीबी रहे. फिर वह प्रफुल्ल पटेल हो या छगन भुजबल. दिलीप वलसे पाटिल, विजयसिंह मोहिते पाटिल, आर आर उर्फ आबा पाटिल और स्वयं उप मुख्यमंत्री अजीत पवार. खोडके ने अनेक मंत्रियों के विश्वासपात्र अधिकारी के रूप में प्रभावी कार्य किया.
अमरावती को बनाया कर्मभूमि
अमरावती में ही पले बढे खोडके ने मंत्रालय की नौकरी करते हुए भी अपनी जडों से जुडे रहने का कार्य खासतौर से किया. 1991 में उनका सुलभा खोडके के संग विवाह हुआ. अगले ही वर्ष वे मंत्रालय में प्रतिनियुक्ति पर नियुक्त हुए. उपरांत 18 वर्षो तक वे मंत्रालय में ओएसडी रहे. इस बीच अमरावती को कर्मभूमि बनाते हुए सामाजिक और राजनीतिक आयोजनों में अव्वल रहे. प्रवीण खोडके मेमोरियल ट्रस्ट के माध्यम से सामाजिक कार्यो को आगे बढाया. आगे अपनी पत्नी सुलभा खोडके को उन्होंने अपने क्षेत्र का दो बार विधायक बनाया. सुलभा खोडके आज भी विधानसभा में अमरावती का प्रतिनिधित्व कर रही है. उनका यह तीसरा कार्यकाल विधायक के रूप में हैं.
दर्जनों को बढाया आगे, बनाया नगरसेवक
संजय खोडके लोगों के छोटे बडे सभी प्रकार के कार्यो में तत्पर रहे. जिसके कारण अमरावती में उनका कार्यक्षेत्र विस्तार हुआ. उसी प्रकार उनके समर्थकों की संख्या सतत बढती गई. यह संख्या उस समय और बढी. जब उन्होंने दर्जनों कार्यकर्ताओं को महापालिका चुनाव लडवाकर मनपा सदन में नगरसेवक के रूप में भेजा. इससे खोडके का अमरावती में राजनीतिक प्रभुत्व बढता गया. अमरावती में पार्टी के मेयर, उप महापौर और स्थायी समिति सभापति पद पर सफलता में बेशक खोडके की भूमिका महत्वपूर्ण रही. रीना नंदा और किशोर शेलके महापौर बने तो वरहाडे, मार्डीकर, चेतन पवार उप महापौर और स्थायी समिति सभापति जैसे महत्वपूर्ण पदों पर पहुंचे. यही जलवा जिला परिषद अर्थात मिनी मंत्रालय में भी रहा. सहकारिता क्षेत्र में हाथ डालते ही खोडके ने बडी सफलता प्राप्त की.
सुलभा खोडके बनी महिला बैंक अध्यक्ष
सहकारिता क्षेत्र में भी संजय खोडके ने सफलता के परचम लहराए. उन्होंने धर्मपत्नी सलभा खोडके को महिला बैंक की अध्यक्ष बनवाया. खोडके ने यहां भी प्रभावी कार्य किया. उसी प्रकार राज्य सहकारी बैंक की वे निदेशक और उपाध्यक्ष चुनी गई. उनका कार्यकाल वहां भी छाप छोड गया. यजमान संजय खोडके की बदौलत सुलभा खोडके ने सहकारिता क्षेत्र के कई बडे प्रकल्प साकार किए. अमरावती में किसानों के साथ- साथ महिला बचत गटों का बडा कार्य सुलभा खोडके ने सहज संभव करवाया. आज भी हजारों महिलाएं इन बचत गटों से जुडी है. आर्थिक प्रगति कर रही है.
* शरद और अजीत दादा दोनों के खास
संजय खोडके बातचीत में बडे संयम से पेश आते हैं. बडे ओहदों को सुशोभित कर चुके हैं. ऐसे में महाराष्ट्र की राजनीति के सबसे बडे नाम शरद पवार के साथ उनका समन्वय जोरदार रहा. वे शरद पवार के खासमखास लोगों में माने जाते हैं. उसी प्रकार समय के साथ अजीत पवार का भी विश्वास खोडके ने अपनी कार्यकुशलता और मितभाषी स्वभाव की वजह से जीत लिया. पार्टी के विभाजन में भी वे अजीत दादा के साथ रहे. आज राकांपा के प्रदेश कार्याध्यक्ष और प्रदेश प्रवक्ता जैसे महत्वपूर्ण पद गरिमा से संभालते हुए संजय खोडके को विधान परिषद के लिए मनोनीत किया गया है.