अमरावती/दि.8- महाविकास आघाडी सरकार के दौरान राज्य में सर्वाधिक किसान आत्महत्याएं हुई और किसान आत्महत्याओं से संबंधित राज्य के आंकडे देश में सबसे अधिक रहे, लेकिन उस समय अपनी आंखे बंद करते हुए वसूलीबाजों को बचाने में व्यस्त रहनेवाले लोग अब हाथ से सत्ता चली जाने के बाद हडबडाकर जागे है. आज किसान आत्महत्याओं को लेकर चिंता व्यक्त करनेवाले नेता प्रतिपक्ष अजीत पवार शायद यह भुल गये है कि, जिन आंकडों को लेकर वे चिंता जता रहे है, वे उनकी ही सरकार के समय के आंकडे है और वे खुद उस समय राज्य के उपमुख्यमंत्री व वित्त मंत्री हुआ करते थे. इस आशय का प्रतिपादन करते हुए भाजपा नेता व राज्यसभा सांसद अनिल बोंडे ने आरोप लगाया कि, ठाकरे सरकार और कांग्रेस की अकर्मण्यता आज किसान आत्महत्या के रूप में सबके सामने है.
सांसद डॉ. बोंडे के मुताबिक राज्य में किसान आत्महत्याएं बढ जाने को लेकर अजीत पवार ने जो कुछ कहा, वह बिल्कुल सही है. लेकिन अजीत पवार यह बताना भूल गये कि, यह आंकडे महाविकास आघाडी सरकार के कार्यकाल से संबंधित है. वर्ष 2020-21 के दौरान देश में हुई कुल किसान आत्महत्याओं में से सर्वाधिक 2 हजार 567 किसान आत्महत्याएं अकेले महाराष्ट्र राज्य में घटित हुई थी. उस समय जनवरी से जून माह तक छह माह के दौरान अकेले मराठवाडा में 550 किसानों ने अपनी जान दी थी और उस समय उध्दव ठाकरे सरकार में खुद अजीत पवार भी उपमुख्यमंत्री थे. जिनकी सरकार ने कर्ज मुक्ति योजना की घोषणा केवल कागजों पर की थी और इसे लेकर प्रत्यक्ष में कोई काम नहीं किया गया. जिसकी वजह से किसानों के सिर पर समस्याओं का बोझ बढता गया.
सांसद डॉ. बोंडे के मूताबिक किसानों को नकद फसलों के लालच में फंसाकर परंपरागत खेती-किसानी को बर्बाद करने की नीति किसी समय कांग्रेस द्वारा शुरू की गई थी. जिससे किसान लगातार दुष्चक्र में फंसता चला गया. परंतू अब शिंदे-फडणवीस सरकार द्वारा किसानों को समस्यामुक्त करने हेतु दीर्घकालीन उपायों पर काम किया जा रहा है. जिसके तहत 25 लाख हेक्टेयर पर नैसर्गिक खेती करने और गांवों को जल समृध्द करने हेतु एक बार फिर जलयुक्त शिवार योजना को कार्यान्वित करने का निर्णय लिया गया है. जिसके लिए उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस अभिनंदन के पात्र है.