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जिलाधिकारी कार्यालय पर किसानों ने फेंका संतरा

बंगलादेश भेजे जान वाले माल पर आयात शुल्क बढाने का किया विरोध

अमरावती /दि.14- किसानों पर पहले ही बेमौसम अवकाली बारिश व फसलों का सही उत्पादन न होना समस्या बनी हुई है. दुसरी ओर विदर्भ के किसानों का एक मात्र आवाक का जरिया संतरे पर बंग्लादेश सरकार व्दारा आयात शुल्क लगाने के बाद नागपुरी संतरे की मांग कम हो गयी है. जिससे किसानों को काफी नुकसान हो रहा है. संतरे पर लगे आयात शुल्क हटाने व म.ग्रा. रो.ह.यो. अंतर्गत संतरे की फसल की वायोमर्यादा नुसार फल बाग में कोई भी 2 वर्ग आंतर मशागत करने के लिए अनुदान देने, सोयाबीन व पिछले संतरा की फसल का अनुदान देने की, सोयाबीन व कपास खरीदी केंद्र शुरु करने की मांग को लेकर आज सोमवार को प्रहार जनशक्ती पार्टी के मंगेश देशमुख के नेतृत्व में किसानों ने जिलाधिकारी कार्यालय पर आंदोलन करते हुए खराब संतरों की फसलों को परिसर में फेंक कर विरोध जताया गया.
सोमवार की दोपहर जिलाधिकारी कार्यालय पर पहुंचे प्रहार संगठन व जिले के किसानों की मांग रही कि वर्तमान में सोयाबीन व कपास की फसल तोडने के बाद किसान बाजार में इसे बेचने के लिए ला रहे है. मगर ऐन त्यौहारों के सामने किसानों की फसलों को हमी भाव से कम में खरीदी शुरु करने से किसानों को नुकसान झेलना पड रहा है. पूर्व में आंधी तुफान व अवकाली बारिश के कारण भी किसानों को नुकसान हुआ है. फसलों को मिल रहे भाव के कारण किसानों को उत्पादन खर्च भी नहीं निकल पा रहा है. इसी तरह जिले मं सोयाबीन व कपास की खरीद जल्द पुरा करने, अचानक हो रही बारिश व आंधी तुफान के कारण संतरा उत्पादक किसानों को भारी नुकसान हो रहा है. इस लिए संतरा उत्पादन हेतु 2 वर्ष की अवधी में मशागत करने के लिए अनुदान दिया जाए. बांग्लादेश सरकार ने आयात शुल्क बढाने के कारण संतरे का निर्यात लगभग बंद हो चुका है. नागपुरी संतरा के लिए बांग्लादेश यह एकमेव आयात करने वाला देश है. संतरा निर्यात होने पर स्थानीक बाजार में किसानों को संतरा अच्छी किमत मिलती है. मगर अब निर्यात बंद होने पर स्थानीय बाजार में भी संतरे की किमत बडे पैमाने पर कम हो चुकी है. जिसके कारण किसान परेशानी में आ गए है. बांग्लादेश भेजे जाने वाले संतरे पर लगे आयात शुल्क हटाने की मांग सहित खराब संतरा का अनुदान किसानों को जल्द देने की मांग राज्य के मुख्यमंत्री से जिलाधिकारी के मार्फत प्रहरियों व किसानों ने की है. इस समय राज्य सरकार के खिलाफ किसानों ने जमकर नारे बाजी की. आंदोलन में प्रहार किसान जिला प्रमुख मंगेश देशमुख, संजय देशमुख, प्रफुल्ल नवघरे, प्रदीप बंड, सुभाष मेश्राम, रामदास भोजने,दिपक भोंगाले, सुनिल मोहोड, अक्षय अउतकर, महादेव सोलेंके, अविनाश काबठे, पुरुषोत्तम राऊत, भीमराव हरणे, सतीश आवारे, योगेश भुसारी, सुरेन्द्र भीवगब्ठे, अषवीन भेटालु, योगेश पाथरे, प्रफुल्ल फुले आदि उपस्थित थे.

कलेक्टर को करना चाहते थे भेंट-
आंदोलन कर रहे प्रहरियों व्दारा सतरे की खराब हालत जिलाधिकारी को बताने के लिए कई कैरेटों में संतरा भर कर लाया गया था.वह संतरा कलेक्टर को भेंट देना चाहते थे. मगर पुलिस व्दारा मुख्य व्दार पर ही रोक लेने से गुस्साए आंदोलनकारियों ने संतरे को जिलाधिकारी कार्यालय के मुख्य व्दार पर ही फेंक दिया.

शीत सत्र में सरकार के विरोध में आंदोलन-
पुरी तरह हुकुमशाही शुरु है. हमने जिलाधिकारी को अपनी समस्या बताने का प्रयास किया. मगर उन्होनें हमारी बाते नहीं सुनी. आने वाले शीत सत्र के दौरान हम सरकार के विरोध आंदोलन व आत्मदहन करेगें.
मंगेश देशमुख, किसान जिलाध्यक्ष प्रहार जनशक्ती संगठन

 

लाखों खर्च के बावजूद भी नहीं मिल रहा भाव-
प्रशासन से शांतिपूर्वक किसानों की समस्याओं को सुनना चाहिए. मगर जिला प्रशासन यह करने को तैयार नहीं है. यह ठीक नहीं है. वैसे भी किसानों को अच्छी फसल न होने तथा संतरा फसल पर लाखों रुपये खर्च करने के बाद भी भाव नहीं मिलने से नुकसान झेलना पड रहा है. उस पर मनमाने नियम से किसानों को और अधिक नुकसान होगा. आने वाले समय में हम सरकार के विरोध में आंदोलन भी करेगे.
संजय देशमुख(प्रहार संगठन)

बांग्लादेश व्दारा संतरे की फसलों पर आयात शुल्क बढाने से किसानों के संतरों की निर्यात लगभग रुक सी गयी है. यही समस्या बताने जिलाधिकारी कार्यालय पर आए थे. मगर जिलाधिकारी हमारी बात सुनने तैयार नही है. जिसके कारण
दिपक भोंगाडे (किसान)

सरकार का किसानों के तरफ नही है ध्यान-
एक तरफ आवकाली बारिश, आंधी तुफान से संतरा फसलों को नुकसान हो रहा है. दुसरी तरफ किसानों की फसलों को सरकार सही दाम में नहीं खरीद रही है. बांग्लादेश भेजे जाने वाले संतरे पर आयात शुल्क बढा दिया गया है. सोयाबीन,कपास की खरीदी रुकी हुई है. जिसके कारण किसानों को भारी नुकसान हो रहा है. सरकार का किसानों के तरफ ध्यान नहीं है. किसान परेशान है.
प्रवीण बंड (किसान)

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