अमरावतीमहाराष्ट्र

सोयाबीन की कीमतें गिरने से किसान परेशान

उत्पादन लागत वसूलना भी मुश्किल, आर्थिक संकट से जूझ रहे लोग

नांदगाव खंडेश्वर/दि. 15– खाद्य तेल की बढती कीमतों के कारण सोयाबीन की कीमते 4500 रुपये प्रति क्विंटल तक गिर गई है. चूंकि इस कीमत से उत्पादन की लागत पूरी नहीं होती, इसलिए कीमतों में गिरावट किसानों के लिए बहुत मुश्किल हो रही है. विगत कुछ वर्षो में नकदी फसल के रूप में जिले में खरीप सीजन में सोयाबीन फसल का रुकबा बढ रहा है. इस वर्ष पूरे मानसून सत्र के दौरान भारी वर्षा के कारण उत्पादन प्रभावित हुआ. प्रति एकड उपज दो से तीन क्विंटल कम हो गई है. सोयाबीन की कटाई, बुआई से लेकर मडाई तक की उत्पादन लागत और मौजूदा कीमत उत्पादन लागत और आय से मेल नहीं खाती है.

कर्ज चुकाने की चिंता
भविष्य में चुनावों की पृष्ठभूमि में भी कीमत बढने की कोई संभावना नहीं है. इसलिए सरकार इस बात को लेकर चिंतित है कि, सोयाबीन को कब तक घर पर रखा जाए और सोयाबीन की बिक्री से प्राप्त आय के आधार पर रबी सीजन के लिए लिया गया पैसा कसे चुकाया जाए. किसानों की मांग है कि, किसान नेता सोयाबीन के दाम बढाने के लिए आंदोलन शुरु करे और किसानों को चिंता से मुक्ति दिलाएं. ऐसी मांग चिंतित किस कर रहे है. सोयाबीन और अन्य कृषि जिंसो की कीमत उत्पादन लागत के आधार पर नहीं मिलने से खेती और किसानों को घाटा हो रहा है. आज की स्थिति में किसानों की सुध लेनेवाला कोई नहीं बचा है. न सरकार न व्यापारी और न ही किसान नेता. किसान करे तो क्या करें. उनकी चिंता दिन-ब-दिन बढती ही जा रही है.

किसानों ने घर पर रखा है माल
सीजन की शुरूआत में 5000 रुप प्रति क्विंटल का भाव 4000 से 4500 तक रहा. दिसंबर माह के मध्य में कुछ दिनों तक सोयाबीन के भाव बढकर 5500 रुपए तक पहुंच गए. हालात के चलते कई किसानों ने सोयाबीन बेचना बंद कर दिया है. कई किसानों के पास पिछले बिक्री सीजन का सोयाबीन बचा हुआ है. हालांकि, थोक बाजार में तेल की कीमतों में गिरावट आई और परिणामास्वरुप खाद्य तेल के कच्चे माल सोयाबीन की कीमत फिर से गिर गई. जिससे कीमतें फिर से नीचे आ गई.

दिनोंदिन कम हो रहे दाम
आज की तारीख में सोयाबीन का भाव 4000 से 4500 रुपए है. जब सोयाबीन निकला तो भाव 5000 रुपए था और अब सोयाबीन सूख गया है. लेकिन किसानों को 4500 रुपए मिल रहे है. बल्कि घटता ही जा रहा है. इसी तरह कपास की कीमत भी दिन-ब-दिन गिरती जा रही है. कपास की कीमत 6500 से 6600 रुपए है. इससे किसान संकट में है. खेती की उपज में ही रखी हुई है. यह समझ में नहीं आ रहा है कि इसे बेचना है या नहीं.
– अनिकेत शिरभाते, किसान, मंगरुल चवाला.

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