अमरावती

पेट्रोल-डीजल, खाद की बढी कीमतों से किसान परेशान

अच्छे दिनों के संकेत पर लोगों ने उठाये सवाल

चांदूर बाजार/प्रतिनिधि दि.२० – हालिया दौर में रासायनिक खाद को लेकर सवाल उठाये जा रहे है, बावजूद इसके प्रति एकड उत्पादन बढाने के लिए रासायनिक खाद की आवश्यकता पडती है. आज भी किसान रासायनिक खाद का इस्तेमाल कर रहे है. रासायनिक खाद यह खेती का अभिभूत अंग है. खेती के कुल उत्पादन खर्च में रासायनिक खाद पर होनेवाला खर्च लगभग 20 फीसदी है. आगामी आर्थिक वर्ष से केंद्र सरकार ने खाद की कीमतों में लगभग 25 फीसदी तक बढोत्तरी करने का निर्णय लिया है. जिससे प्रति बैग लगभग 200 से 300 रूपये खाद की कीमते बढेगी. पहले ही महंगाई बढ रही है. वहीं अब खाद की कीमते बढ जाने से किसान चिंतीत है. खेती कैसे की जाये, यह सवाल किसानोें के सामने निर्माण हुआ है.
यहां बता दें कि, बीते कुछ महिनों से लगातार इंधन की दरों में बढोत्तरी हो रही है. इस सप्ताह पेट्रोल-डीजल की दरवृध्दि ने कहर बरपाने का काम किया है. पेट्रोल व डीजल के दर बढने से ट्रैक्टर के जरिये किये जानेवाले विविध कार्यों का किराया भी बढ गया है. मशक्कत के लिए इस्तमाल किये जानेवाले वाहनों के दर डीजल दरवृध्दि से 2500 से 3000 रूपये तक बढ गये है. इंधन दरवृध्दि से अत्याधुनिक पध्दति से खेती की मशक्कत करने के लिए पिछले वर्ष से ज्यादा पैसे गिनने पड रहे है. खेती से मिलनेवाले उत्पादन से इंधन दरवृध्दि से उत्पादन खर्च ज्यादा बढ गया है. बढ गई महंगाई से व कृषि माल को मिलनेवाले अत्यल्प भाव, प्राकृतिक आपदाओं से किसान आर्थिक विपदाओं में घिरा हुआ है. इसलिए अब ज्यादातर किसान खेतीबाडी करने में रूचि निर्माण नहीं कर रहे है, लेकिन मजबूरन किसानों को खेतीबाडी ही करनी पड रही है. इसलिए किसानों की भावनाओं का ख्याल रखते हुए उचित निर्णय लेने की मांग की गई है.

मोदी सरकार ने अच्छे दिनों का सपना दिखाया है, लेकिन अच्छे दिन कब आयेंगे, इसका इंतजार बीते छह सालों से किया जा रहा है. पेट्रोलियम पदार्थों की दरवृध्दि ही अच्छे दिन है क्या, यह सवाल अब उठने लगा है.
-विकास सोनार
युवक कांग्रेस अध्यक्ष, अचलपुर विधानसभा

प्याज के भाव बढने पर हल्लाबोल मच जाता है, लेकिन पेट्रोलियम पदार्थों की दरवृध्दि होने पर भी कोई हल्लाबोल नहीं किया जा रहा है. सभी दरवृध्दि पर चुप्पी साधे नजर आ रहे है. केवल अनाज की उगाई करनेवाले किसानों का विचार नहीं किया जा रहा है.
-प्रीतम थोरात
प्याज उत्पादक किसान

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