अमरावती

कृषि विधेयक में सुधारना करने का आग्रह करें किसान

प्रा. शिल्पा चौधरी पाचघरे की जानकारी

अमरावती/दि.7 – केंद्र सरकार किसानों के हितों के लिए कटीबध्द है. केंद्र सरकार ने कृषि सुधारना विधेयक को पारित करते हुए किसानों के हितों का ख्याल रखा है. इसलिए किसानों ने तीनों बिल वापस न लेते हुए उसमें दुरुस्ती करने का आग्रह करना चाहिए.आज यदि सरकार ने कृषि विधेयक वापिस लिया तो अगले 50 वर्षों तक कोई भी राजनीतिक दल खेती व्यापार को स्वतंत्रता देने का धाडस नहीं करेगा. इस आशय की जानकारी भाजपा प्रदेश महिला उपाध्यक्ष प्रा.शिल्पा चौधरी ने दी है.
उन्होंने बताया कि किसान नए कृषि अधिनियम को केंद्र सरकार वापिस ले, यह आग्रह करते हुए पंजाब व हरियाणा के किसान आंदोलन कर रहे है. राज्य सरकार ने नया कृषि विधेयक पंजाब में लागू नहीं किया हेै फिर भी यहां के किसान आंदोलन क्यों कर रहे है. कांग्रेस किसानों को गुमराह करते हुए भडकाने का काम कर रही है. राजनैतिक हेतू साध्य करने के लिए आंदोलन को समर्थन देने का काम किया जा रहा हेै. महाराष्ट्र सरकार जबसे सत्ता में आयी है तब से किसानों की समस्याओं को लंबित रखा है. किसानों को 25 हजार हेक्टेयर मदद देने की घोषणा की गई थी वह अब तक नहीं मिल पायी है. महिला सुरक्षा को लेकर भी राज्यसरकार गंभीर नजर नहीं आ रही है. राज्य में महिला आयोग का अध्यक्ष नहीं है. दिशा अधिनियम लागू करने की बार-बार मांग करने पर भी सरकार ध्यान नहीं दे रही है. कोरोना काल में अनाप-शनाप बिजली बिल भेजकर नागरिकों को पसीजने का काम किया गया. खेती, रोजगार निर्मिती, स्वास्थ्य, सभी क्षेत्रों में महाराष्ट्र सरकार पिछड रही है. सरकार को विनती है कि पहले अपने राज्य पर ध्यान दिया जाए. विधायक बच्चू कडू लॉकडाउन के बाद आंदोलन के बहाने सैर करने के लिए निकले है. बच्चू कडू ने जनता का मनोरंजन बंद कर निर्वाचन क्षेत्र की समस्याओं का निराकरण करने पर ध्यान देना चाहिए. किसानों ने नए कृषि विधेयक के पहलुओं का समझना चाहिए. एमएसपी बिल में समर्थन मूल्य का उल्लेख अथवा अन्य बेंच मार्क मूल्य का उल्लेख उसमें किया गया है. कारपोरेटर किसानों की जमिनें जबरन हडप लेंगे, यह भ्रम फैलाया जा रहा है. किसानों की जमीने हडपना कदापी संभव नहीं है. किसानों को इस विधेयक में सुरक्षा दी गई है. किसान अब अपना उत्पादन बाजार के अलावा बाजार के बाहर कही पर भी बेच सकते है, सरकार ने हमेशा किसानों की मदद ही की.

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