बारिश से खेती-किसानी बुरी तरह बर्बाद
उत्पादन खर्च बढा, उपज व आय घटे, मुंह तक आया निवाला छिना
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२.७० लाख में से २.३६ लाख हेक्टेयर में सोयाबीन का नुकसान, सतत बारिश व बदरीले मौसम से कीट व रोगोें का प्रमाण भी बढा
अमरावती/दि.२९ – जिले के किसान ‘कैश क्रॉप‘ कहे जाते सोयाबीन की बडे पैमाने पर बुआई करते है और क्षेत्र की कृषि अर्थव्यवस्था काफी हद तक सोयाबीन की फसल पर ही निर्भर करती है. लेकिन विगत कुछ वर्षों से प्रतिवर्ष सोयाबीन की फसल किसानों को धोखा देती आ रही है. इस बार खरीफ सीझन में सोयाबीन का बुआई क्षेत्र २ लाख ६९ हजार ६५९ हेक्टेयर रहा, लेकिन वापसी की बारिश ने २ लाख ३६ हजार ३०२ हेक्टेयर क्षेत्र में सोयाबीन की फसल का ३३ फीसदी से अधिक का नुकसान किया है. जिसकी वजह से किसानों के मुंह तक आया निवाला छिन गया है.
प्रति वर्ष सोयाबीन के उत्पादन खर्च में वृध्दि हो रही है. इस बार किसानों को प्रति एकड २० हजार से अधिक उत्पादन खर्च करना पडा, लेकिन फसल कटाई के बाद उन्हें प्रति एकड मात्र १० हजार रूपये की आय भी नहीं हुई. ऐसे में किसानों के समक्ष सबसे बडी समस्या यह है कि, वे अपने परिवार का भरनपोषण कैसे करें, और खेती-किसानी का खर्च कैसे चलाये.
वापसी की बारिश से हुआ नुकसान
- कपास – २.६१ करोड
- तुअर – १.३६ लाख
- सोयाबीन – १५४ करोड
- हल्दी – ००
- प्याज – ००
सर्वाधिक खराब हुई फसल : सोयाबीन
- – १५,००० रूपये प्रति एकड खर्च आया सोयाबीन पर
- बुआई – ३०००
- खाद – २०००
- नांगरणी – १५००
- फवारणी – ३५०० – कटाई – ३०००
- उत्पादन – ३०० किलो
- मालढुलाई – २०००
- ३५०० रूपये भाव मिला सोयाबीन को बाजार में
सर्वाधिक नुकसान हुई फसल कपास
- २०,००० रूपये प्रति एकड खर्च आया कपास पर
- बुआई – ३०००
- खाद – ५०००
- नांगरणी – २०००
- फवारणी – ५०००
- बुनाई – ३०००
- उत्पादन – बुनाई शुरू
- माल ढुलाई – २०००
- ५००० रूपये का भाव मिला कपास को बाजार में
सोयाबीन की प्रतवारी खराब
लगातार हो रही बारिश की वजह से सोयाबीन की फसल का बडे पैमाने पर नुकसान हुआ है. साथ ही बदरीले मौसम की वजह से संक्रामक रोगोें व कीटों का प्रादुर्भाव होने से भी फसलें खराब हुई है. जिसकी वजह से फल्लियां खाली रह गयी और दाने बेहद छोटे रहे. इसके साथ ही कटाई के बाद खेतों में रखे फसलों का ढेर बारिश में भीग जाने से सोयाबीन खराब हुई और प्रतवारी खराब हो जाने की वजह से सोयाबीन को मात्र दो से ढाई हजार रूपये के दाम मिल रहे है. इसी तरह बारिश की वजह से खेतों में खडी कपास की फसल भिग गयी और कपास के फुल खराब हो गये. साथ ही गुलाबी इल्लियों की वजह से कपास का दर्जा भी खराब हुआ.