अमरावतीमहाराष्ट्र

सेहत के लिए नेअमत है रोज़ा और रमजान

डॉ. मो. मुसैब का कथन

अमरावती /दि. 6– इस समय मुस्लिम समाजबंधुओं का पवित्र रमजान माह चल रहा है. जिसमें इबादत व दुआ करने के साथ ही मुस्लिम समाजबंधुओं द्वारा रोजे रखते हुए बेहद कडे उपवास किए जा रहे है. जिसे लेकर फिज़ीशीयन डॉः मोहम्मद मुसैब हुसैन का कहना है कि, रमजान के रोजे जहाँ एक तरफ रहमत व बरकत से भरे हुए है, वहीं रोजादारों को गुनाहों से निजात भी दिलाते हैं. साथ ही रोजे रुहानी ताकत पैदा करते हैं और रोजा रखना सेहत के लिए नेअमत है. ऐसे में रमजानुल मुबारक के रोज़े रोज़दारों को अनेकों बीमारियो से भी बचाते हैं.
फिज़ीशीयन डॉः मोहम्मद मुसैब हुसैन ने बताया कि रोज़ा रखने से पेट की बीमारी कम हो जाती है, आंते तंदुरुस्त हो जाती है, पेट के जहरीले किटाणु नष्ट हो जाते हैं. बलडप्रेशर यानी बीपी कंट्रोल में रहता है. जोडों का दर्द खत्म हो जाता हैं. दिमाग तेज़ और शांत रहता है. सर्दी, खांसी, बुखार, हाईपरटेंशन से रोज़े के दौरान निजात रहती है. नशीली चीजे शरीर को बहुत नुकसान पहुंचाती हैं. चूंकि रोज़े के दौरान रोजादार नशीली चीजों से दूर रहता है और दिन में रोज़ादार दातुन यानी मिस्वाक का इस्तेमाल करता है, जिससे दाँतो और मसूड़ों को ताकत मिलती है.
उन्होंने बताया कि रोजादार के पूरे दिन भूखा रहने के कारण शरीर चरबी को एनर्जी के रूप में इस्तेमाल करता हैं, इससे वसा कम होती है और मोटापा घटता है. लीवर और किडनी शरीर के ज़हरीले तत्व को बाहर निकाल देते है, जिससे रोजादार अनेकों बीमारियों से बच जाता हैं. उन्होंने बताया कि बिना रोजा के दिनों में शरीर को प्राप्त विटमिन, प्रोटीन, मिनीरल को हमारा शरीर सोख नहीं पाता हैं, जिससे आगे चलकर हमारे शरीर में कई बीमारियां पैदा हो जाती हैं. पर जब हम रोजा रखते हैं, तो हमारा शरीर ज़रूरी तत्व को सोखने के काबील हो जाता है. रोज़े के दौरान हमारा शरीर ग्लुकोज को एनर्जी में बदलने लगता है, जिससे हमारे शरीर में बढ़ा हुआ शुगर कम हो जाता है. डॉ. मुसैब ने बताया कि एक अध्ययन के मुताबिक एक महीना रोज़ा रखने वाले को कैंसर का खतरा कम हो जाता है.

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