अमरावती

थकान आती है, क्या करूं? हेल्पलाईन पर बढी कॉल

मनपा क्षेत्र के 13 व ग्रामीण के 1570 सेंटर बने आशाओं का केंद्र

अमरावती/दि.22 – कोविड पॉजीटीव पाये जानेवाले मरीजों को यदि 14-15 दिनों तक अस्पताल में भरती रखते हुए इलाज किया जाये, तो अस्पतालों में बेड की संख्या कम पड जायेगी. ऐसे में अब मरीजों को अस्पतालों में केवल छह से सात दिन भरती रखा जाता है और पश्चात उन्हें होम आयसोलेट किया जाता है. इसके साथ ही सौम्य लक्षणवाले व लक्षणविरहित मरीजों को पहले दिन से ही होम आयसोलेशन में रखा जाता है और रोजाना सुबह-शाम फोन करते हुए उनसे स्वास्थ्य संबंधी पूछताछ की जाती है. इन दिनों यद्यपि मरीजों की संख्या काफी हद तक घट रही है. किंतु होम आयसोलेटेड मरीजों को किये जानेवाले कॉल बढ गये है. ऐसे में मरीजों में काफी हद तक संताप देखा जा रहा है. वहीं दूसरी ओर कॉल सेंटर पर भी मरीजों की ओर से छोटी-मोटी बातों के लिए बडे पैमाने पर कॉल आती है. जिसमें कई मरीज केवल यह जानने के लिए फोन करते है कि, उन्हें इन दिनों थकान काफी अधिक आ रही है. ऐसे में उन्होंने क्या करना चाहिए.
बता दें कि, जिले में कोविड पॉजीटीव मरीजों को इलाज के पश्चात होम आयसोलेशन में रहने की अनुमति मनपा के स्वास्थ्य विभाग के पास आवेदन देने अथवा वेबसाईट पर ऑनलाईन फॉर्म भरने के बाद दी जाती थी. इस दौरान रोजाना फोन करते हुए मरीजों से उनके स्वास्थ्य को लेकर हालचाल और जानकारी पूछी जाती थी. इस सुविधा के तहत 16 हजार 687 लोगों ने होम आयसोलेशन का फॉर्म भरा. जिसमें में कई मरीजों ने अपने होम आयसोलेशन की अवधि सफलतापूर्वक पूर्ण कर ली और इस समय मनपा क्षेत्र में केवल 76 मरीज होम आयसोलेशन में है.

शहर में जनसंख्या निहाय 13 कॉल सेंटर

अमरावती शहर की व्याप्ती को देखते हुए एक कॉल सेंटर से सभी मरीजों को कॉल करना संभव नहीं है. इस बात के मद्देनजर मनपा क्षेत्र में 13 कॉल सेंटर स्थापित किये गये है और हर कॉल सेंटर पर 52 हजार लोगों की जनसंख्या को जोडा गया. संबंधित क्षेत्र में कोविड पॉजीटीव पाये गये मरीजों के होम आयसोलेटेड रहने की स्थिति में उनके स्वास्थ्य संबंधी पूछताछ लगातार की गई. जिसके तहत शारीरिक तापमान व ऑक्सिजन लेवल से संबंधी पूछताछ करने के साथ ही घर पर होम आयसोलेशन का बोर्ड लगा है अथवा नहीं, किस डॉक्टर का इलाज चल रहा है, कोरोना के अलावा और कौनसी बीमारी है तथा मोबाईल में आरोग्य सेतू ऍप डाउनलोड किया है अथवा नहीं, इस बारे में पूछताछ की जाती है.

कई मरीजोें के जवाब बढाते है सिरदर्द

कॉल सेंटर द्वारा मरीजों को फोन करने के बाद उनकी तबियत से संबंधित हालचाल लेने पर कई मरीजों द्वारा बडे अजीब तरीके से बात की जाती है. जिसमें कहा जाता है कि दिन में दो-तीन बार फोन करके क्या फायदा, हम अपनी तबियत का खयाल रख लेंगे, ऐसे जवाबों की वजह से कॉल सेंटर में कार्यरत कर्मचारियों का सिरदर्द बढ जाता है.

  • कोविड संक्रमण की दूसरी लहर का प्रादुर्भाव सबसे अधिक ग्रामीण क्षेत्र में हुआ. जिसकी वजह से जिला प्रशासन द्वारा प्रत्येक गांव में 1 हजार की जनसंख्या के लिए आशावर्कर्स की नियुक्ति करते हुए प्रत्यक्ष सर्वेक्षण किया गया. वहां फोन पर जानकारी लेने की बजाय घर-घर जाकर प्रत्येक व्यक्ति की प्रत्यक्ष स्वास्थ्य जांच की जाती थी और आशावर्कर्स के जरिये लोगों में पाये जानेवाले बीमारी संबंधी लक्षणों की जानकारी स्वास्थ्य विभाग तक पहुंचायी जाती थी.
    – डॉ. दिलीप रणमले
    जिला स्वास्थ्य अधिकारी

शहरी क्षेत्र से सर्वाधिक कॉल

मनपा के होम आयसोलेशन विभाग से रोजाना सैंकडों मरीजों को कॉल करते हुए उनके स्वास्थ्य के बारे में पूछताछ की गई. पहली लहर के दौरान मरीजों की संख्या कम थी, लेकिन कोविड संक्रमण को लेकर भय अधिक था. ऐसे में हर मरीज को दिनभर के दौरान करीब तीन बार फोन करते हुए उनके स्वास्थ्य संबंधी जानकारी ली जाती थी. वहीं दूसरी लहर के दौरान मरीजों की संख्या काफी अधिक बढ जाने की वजह से दिनमें केवल एक ही बार फोन किया जाता था. साथ ही 400 से 500 मरीजों का स्वास्थ्य आयसोलेशन में रहने के दौरान बिगड जाने की वजह से उन्हें इलाज के लिए अस्पताल में लाकर भरती कराने की भी व्यवस्था की गई.

  • मनपा क्षेत्र अंतर्गत स्थापित 13 कॉल सेंटरों से मई माह के दौरान 403 तथा 1 से 20 जून के दौरान 260 कॉल किये गये.

कब कितने मरीजों को कितनी कॉल

तारीख           मरीज     कॉल
1 से 15 मई      3549     2616
16 से 31 मई     2479    1440
1 से 15 जून      3144     421
16 से 20 जून     402       35

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