* दो रोज पहले की थी नकली खवे की खेप जप्त
अमरावती/दि.22- अन्न व औषध प्रशासन एफडीए ने दिवाली के मुहाने पर तेल और मिठाईओं में मिलावट रोकने और लोगों के स्वास्थ की बात ध्यान में रखते हुए मुहिम छेड रखी है. एफडीए ने गत चार दिनों में आठ संदिग्ध नमूने तेल और मिठाईयों के लिए. उन्हें जांच के लिए प्रयोग शाला भेजा गया है. रिपोर्ट आने पर मिलावट रहने पर कार्रवाई की जानकारी अधिकारियों ने दी. साथ ही यह भी बताया कि अमरावती में यह विभाग कर्मचारियों और अधिकारियों की कमी से जूझ रहा है. अनेक पद रिक्त पडे हैं. जिसके कारण कार्यवाही में देर हो जाती है.
विभिन्न भागों से लिए सैंपल
एफडीए निरीक्षक गजानन गोरे ने बताया कि जिले के विभिन्न भागों से विभाग के दल ने प्रतिष्ठानों तथा दुकानों को प्रत्यक्ष भेट देकर नमूने संग्रहित किए है. उसमें भी जहां उन्हें संशय हुआ वहीं तेल व मिठाई के सैंपल लिए गए. उन्हें प्रयोगशाला में भेजा गया है. गोरे ने बताया कि अभी भी मुहिम शुरू है. जहां भी लगता है कि यह खवा गलत हो सकता है, वहां का तुरंत लेकर उसकी कागजी प्रक्रिया कर उसे लैब में भेजने का प्रबंध किया जाता है.
तेल में काहे की मिलावट
एफडीए अधिकारियों ने बताया कि तेल में अन्य तेलों की मिलावट का प्रमाण तय है. उससे अधिक मिलावट किए जाने पर कानून में कार्रवाई का प्रावधान है. फल्ली तेल में सरकी तेल और सोयाबीन तेल की मिलावट की जाती रही है. ऐसे ही खवे में भी मिलावट की शिकायतें रहती है. इसलिए सैंपल लेकर उचित कार्रवाई का एफडीए का प्रयत्न है. दो रोज पहले शहर में बाहर से आए खवे की बडी खेप जप्त की गई थी.
एफडीए का आवाहन
अन्न व औषध प्रशासन विभाग ने लोगों से मिठाई और तेल खरीदते समय सावधानी बरतने का आवाहन किया है. बार बार एक ही तेल का उपयोग करने की बजाए उसे बदलते रहने की सलाह चिकित्सक भी देते है. तेल में मिलावट से शरीर के मस्तिष्क, हृदय और किडनी पर बुरा असर हो सकता है. अधिकारियों ने बताया कि जहां तक हो सके बाहर का तला हुआ नहीं खाना चाहिए. खाना पडा तो उसका उचित निरीक्षण करने पर ही वह पदार्थ खाया जा सकता है.
5 लाख तक जुर्माना
अधिकारियों ने दैनिक अमरावती मंडल को बताया कि खाद्य सुरक्षा अंतर्गत कडे नियम लागू है. नियमों का उल्लंघन करने पर 2 लाख रुपये तक जुर्माना हो सकता है. मिलावट पाए जाने पर ऑनस्पॉट पांच लाख रुपये दंड और कम से कम तीन माह का कारावास भी हो सकता है. एफडीए ने अन्न सुरक्षा मानक कानून 2006 और संसोधित नियम 2011 के अनुसार खाद्य तेल कैसा होना चाहिए इस बारे में कडी नियमावली का दावा किया.