अमरावती/दि.10- कुछ दिनों पूर्व ही मैने ओबीसी आरक्षण को लेकर अमरावती में पत्रकार परिषद बुलाकर जो डर बतलाया था, वह आखिरकार सच साबित हुआ है. नौ माह पहले जब सुप्रीम कोर्ट में ओबीसी आरक्षण को लेकर उम्मीद से विपरित फैसला आया था, उसी समय पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सरकार से तत्काल सरकार से एम्पिरिकल डाटा संग्रहित कर कोर्ट में पेश करने कहा था. साथ ही यह भी बताया था कि, इसी इम्पेरिकल डेटा के आधार पर ओबीसी संवर्ग को आरक्षण दिया जा सकता है, किंतु राज्य की महाविकास आघाडी सरकार ने इस विषय को गंभीरतापूर्वक नहीं लिया. जिसके चलते अंतत: वहीं हुआ, जिसका डर था. इस आशय की प्रतिक्रिया चांदूर रेल्वे-धामणगांव रेल्वे निर्वाचन क्षेत्र के भाजपा विधायक प्रताप अडसड द्वारा दी गई है.
विधायक प्रताप अडसड के मुताबिक इस बारे में हमने समय रहते महाविकास आघाडी सरकार को सूचित किया था, लेकिन राज्य सरकार के जिम्मेेदार नेताओं को ओबीसी आरक्षण होने नहीं देना था. विधायक अडसड के मुताबिक राज्य की तत्कालीन फडणवीस सरकार ने मराठा आरक्षण को लेकर जो कहा था, उसे पूरा करके दिखाया. साथ ही आज यदि हमारी सत्ता होती, तो ओबीसी समाज के राजनीतिक आरक्षण को भी धक्का नहीं लगता. किंतु महाविकास आघाडी के नेताओं ने जानबुझकर ओबीसी आरक्षण को लागू नहीं होने दिया. बल्कि केवल अध्यादेश निकालकर ओबीसी को आरक्षण दिलाने की नौटंकी की. चूंकि अब ओबीसी आरक्षण के अध्यादेश को सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्थगिती दी गई है, अत: अब यदि चुनाव होते है तो और ओबीसी आरक्षित सीटों को छोड दिया जाए तो फिर से बहुमत की तकनीकी दिक्कतें आयेगी. व अध्यक्ष को बिठाने को लेकर अनेक कानूनी अडचने सामने आयेगी. इसलिए सरकार व राज्य निर्वाचन आयोग को चाहिए कि, फिलहाल स्थानीय स्वायत्त निकायों के चुनाव को रद्द कर दिया जाये. वहीं जल्द से जल्द एम्पिरिकल डाटा संकलित कर कानूनी रुप से ओबीसी आरक्षण देकर तत्काल चुनाव लिये जाए. ऐसा होने तक फिलहाल निर्वाचित रहने वाले सदस्यों के माध्यम से सभी स्थानीय स्वराज संस्था का कामकाज जारी रखा जाए.