परतवाड़ा/अचलपुर/ दि १० -: कोरोना संक्रमण के चलते स्थानीय बाजार हाट बंद होने से सब्जी उत्पादक किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा.कीमत नही मिलने से और माल का उठाव नही होने से किसान अपनी सब्जी-तरकारी पालतू पशुओं को खिला रहे.किसानों को आर्थिक संकट का सामना करना पड रहा.करीब पांच करोड़ रुपये का कृषि व्यवहार अचलपुर-चांदूर बाजार में ठप्प पड़ा है.तहसील के सैकड़ो किसान अपने खेतों में तीन गूंठा से 60 गूंठा तक भूमि पर सब्जी का उत्पादन कर अपना उदरनिर्वाह करते है.सब्जी तरकारी की खेती से इनका रोजमर्रा के कामकाज चलता रहता.पिछले साल लॉकडाउन के पहले फेज के पांच माह के काल मे किसानों को लाखों-करोडो रुपयों का नुकसान सहन करना पड़ा था.इस कारण किसानों का जीवन चक्र ही बाधित हो गया था.उन्हें गंभीर आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा.धीरे धीरे अनलॉक हुआ तो किसानों ने राहत की सांस ली.इस वर्ष फिर उधार लेकर व अन्य जगह से रुपयों का जुगाड़ कर किसानों ने नये जोश खरोश के साथ फिर से सब्जी की बुआई की. बुआई के लिए प्रति हेक्टेयर पचास हजार रुपये खर्च कर किसानों ने टमाटर, हरा धनिया, बैंगन, पत्ता गोभी व अन्य सब्जियों की पेरणी की.इस वर्ष उत्पादन भी अच्छा हुआ.तैयार हुई सब्जियों को एक-दो मर्तबा तोड़कर किसानों ने लागत भी निकाली.किंतु अब चार सप्ताह से आठवाड़ी बाजार बंद रहने से किसानों को सब्जी बेचने में दिक्कतें आ रही.जिला प्रशासन के निर्देश पर हर छोटे बड़े गाँवो के साप्ताहिक बाजार बंद पड़े है.
-आखिर गृहस्थी कैसे चलाये-: कृषक रूपचंद नंदेश्वर कहते है कि इस वर्ष कद्दू और हरा धनिया(संभार) की बुआई की थी.लेकिन सब्जियों के भाव एकदम औंधे मुहं गिरने से सभी समीकरण गड़बड़ा गये.सब्जी को तोड़ने का खर्च भी वसूल नही हो रहा.इस कारण पूरी सब्जी हमारे पालतू मवेशियो को खिला रहे.दो वर्षों से सब्जी की खेती नुकसानदायक साबित हो रही.किसानों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा.पालतू पशुओं को सब्जी खिलाकर किसान नुकसान से बचने का प्रयास कर रहे.दूसरी ओर महावितरण की ओर से कृषि पंप की बिजली और घरगुती बिल वसूलने की सख्ती से भी किसानों को परेशानी झेलनी पड़ रही.आखिर गृहस्थी की गाड़ी कैसे चलाई जाए यह प्रश्न सब्जी उत्पादक किसानों के सामने खड़ा है.