अमरावती

प्रसूति के 27 दिन बाद मिली सुख की अनुभूति

प्रीमॅच्युअर बेबी सुदृढ होकर पहुंचा अपनी मां की गोद में

  •  जिलाधीश पवनीत कौर ने भी दी ममत्व की छांव

  •  शंकरबाबा के निर्मोही कार्य रहे सफल

अमरावती/दि.6 – किसी भी नवजात बच्चे के जन्म लेते ही उसे एक घंटे के भीतर मां का स्तनपान कराया जाता है. इस दूध को बच्चे के लिए काफी स्वास्थ्य वर्धक व पौष्टिक माना जाता है. साथ ही स्तनपान के जरिये प्राप्त होनेवाला दूध ही बच्चे का सर्वोत्तम आहार भी होता है. किसी भी गर्भवती महिला के लिए दो बातेें स्वर्गसूख की तरह होती है. एक बच्चे के गर्भस्थ रहते समय की जानेवाली हलचलें और दूसरा बच्चे के जन्म लेते ही किया जानेवाला स्तनपान. किंतु यदि बच्चा समय से पूर्व ही पैदा हो गया, या जन्म लेते ही उसके साथ कोई स्वास्थ्य संबंधी दिक्कत है, तो नवप्रसूता मां प्रसूति के तुरंत बाद इस स्वर्गीक सूख के क्षण से वंचित रहती है. ऐसे ही एक मूकबधीर विवाहित महिला को प्रसूति के करीब 27 दिन बाद अपने बच्चे को दूध पिलाने का अवसर मिला और जन्म लेने के करीब 27 दिन बाद नवजात बच्चा अपने मां की गोद में पहुंचा.
डॉक्टरों के प्रयासों से 1400 ग्रामवाले बच्चे को 1700 ग्राम वजन तक पहुंचाने के दौरान कई तरह की चुनौतियां पेश आयी. जिन्हें पार करते हुए 27 दिनों के बाद इस बच्चे को उसकी मां की गोद तक पहुंचाया गया. यह क्षण किसी उत्सव से कम नहीं था और इस उत्सव में खुद अमरावती की जिलाधीश पवनीत कौर भी शामिल हुई. साथ ही उन्होंने इस नवजात बच्चे के स्वास्थ्य की जानकारी लेते हुए इस बच्चे का इलाज करते हुए उसे सुदृढ बनानेवाले सभी डॉक्टरों की प्रशंसा भी की. यह सब संभव हुआ अनाथों का नाथ कहे जाते शंकरबाबा पापलकर की निर्मोही सेवा व कार्यों की बदौलत. शंकरबाबा पापलकर की मानसपुत्री वर्षा तथा मानसपुत्र व दामाद समीर इस मूकबधिर दम्पत्ति के यहां विगत 10 अक्तूबर को एक बच्चे का जन्म हुआ. किंतु इस नवजात बच्चे का जन्म केवल 1400 ग्राम था और समयपूर्व प्रसूति की वजह से इस बच्चे में पैदा होते ही कई व्याधियां भी थी. कई अवयवों का पूर्णत: विकास नहीं होने के चलते बच्चे के शरीर में रक्त आपूर्ति की भी समस्या थी. ऐसे में इस नवजात बच्चे को तत्काल उसी दिन राधा नगर स्थित एक अस्पताल के एनआयसीयू में भरती किया गया. जहां पर डॉक्टरों ने इस बच्चे को बचाने के लिए एडी-चोटी का जोर लगाना शुरू किया. चूंकि इस बच्चे का वजन बेहद कम था. ऐसे में इस बच्चे की मां वर्षा उसे स्तनपान नहीं करा सकती थी. अत: वर्षा को वझ्झर आश्रम भेज दिया गया. वहीं करीब 25 दिन बाद जब बच्चे का वजन 1700 ग्राम पर पहुंचा, तो बच्चे के नाना शंकरबाबा पापलकर को संदेश दिया गया कि वे बच्चे की मां को लेकर अमरावती पहुंचे, ताकि वह अपने बच्चे को स्तनपान करा सके. यह संदेश मिलते ही 80 वर्ष आयुवाले युवा शंकरबाबा तुरंत अपनी मानसकन्या के साथ सुबह-सुबह अमरावती पहुंचे. साथ ही उन्होंने इसकी सूचना जिलाधीश पवनीत कौर को भी दी. इसके बाद सुबह करीब 11 बजे जिलाधीश पवनीत कौर भी अस्पताल पहुंची. जहां पर पहली बार वर्षा ने अपने नवजात बच्चे को स्तनपान कराते हुए स्वर्गीक सूख का आनंद लिया और यह क्षण उपस्थितों के लिए किसी उत्सव से कम नहीं था.

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