अमरावती

खाद की कीमतें बढाई, किसान हलाकान

अच्छे दिनों के संकेत पर लोगों ने उठाये सवाल

चांदूर बाजार/दि.26 – फसल उत्पादन बढाने के लिए रासायनिक खाद का उपयोग किया जाता है. बदलते मौसम में विभिन्न रोगों से बचाने के लिए भी खाद उपयुक्त मानी जाती है. लेकिन केंद्र सरकार ने खाद की कीमतों में 25 प्रतिशत बढोतरी कर दी है. जिससे किसानों पर दोहरा आघात हुआ है. पहले ही आसमानी व सुलतानी संकट के कारण किसानों की आर्थिक कमर टूट चुकी है. उसमें पेट्रोल-डीजल के दाम बढने के बाद अब खाद की कीमतें भी बढा दिए जाने से किसानों पर अतिरिक्त खर्च का बोझ आन पडा है.
इंधन दरवृध्दि से पहले ही परेशान
जानकारी के अनुसार खेती के कुल उत्पादन खर्च में रासायनिक खाद पर होने वाला खर्च लगभग 20 फीसदी है. आगामी आर्थिक वर्ष से केंद्र सरकार ने खाद की कीमतों में लगभग 25 फीसदी तक बढोतरी करने का निर्णय लिया है. जिससे प्रति बैग लगभग 200 से 300 रुपए महंगी होगी. पहले ही महंगाई बढ रही है. वहीं अब खाद की कीमतें बढ जाने से किसान चिंतित है. खेती कैसे करें, यह सवाल किसानों के समाने निर्माण हुआ है. यहां बता दें कि बीते कुछ महिनों से लगातार इंधन की दरों में बढोतरी हो रही है. इस सप्ताह पेट्रोल-डीजल की दरवृध्दि ने कहर बरपा रखा है. पेट्रोल व डीजल की दरें बढने से ट्रैक्टर के जरिये किये जाने वाले खेती के विविध कार्यों का किराया भी बढ गया है.
खेती-बाडी बन रहा घाटे का सौदा
मशक्कत के लिए इस्तेमाल किये जाने वाले वाहनों के दर डीजल दरवृध्दि से 2500 से 3000 रुपए तक बढ गये है. इंधन दरवृध्दि से अत्याधुनिक पध्दति से खेती की मशक्त करने के लिए पिछले वर्ष से ज्यादा पैसे गिनने पड रहे है. खेती से मिलने वाले उत्पादन से इंधन दरवृध्दि से उत्पादन खर्च ज्यादा बढ गया है. महंगाई व कृषि माल को मिलने वाले अत्यल्प भाव, प्राकृतिक आपदाओं से किसान आर्थिक विपदाओं में घिरा हुआ है. इसलिए अब ज्यादातर किसान खेती-बाडी करने में रुचि नहीं ले रहे है, लेकिन मजबूरन किसानों को खेती-बाडी ही करनी पड रही है. इसलिए किसानों की भावनाओं का ख्याल रखते हुए उचित निर्णय लेने की मांग की गई है. मोदी सरकार ने अच्छे दिनों का सपना दिखाया है, लेकिन अच्छे दिन कब आयेंगे, इसका इंतजार बीते छह सालों से किया जा रहा है. पेट्रोलियम पदार्थों की दरवृध्दि ही अच्छे दिन है क्या, यह सवाल अब उठने लगा है.
– विकास सोनार, युवक कांग्रेस अध्यक्ष अचलपुर

प्याज पर मचता है हल्ला

प्याज के दाम बढने पर हल्लाबोल मच जाता है, लेकिन पेट्रोलियम पदार्थों की दरवृध्दि होने पर भी कोई हल्लाबोल नहीं किया जा रहा है. सभी दरवृध्दि पर चुप्पी साधे नजर आ रहे हैं. केवल अनाज की उगाई करने वाले किसानों का विचार नहीं किया जा रहा है.
– प्रीतम थोरात, प्याज उत्पादक किसान

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