अमरावती विद्यापीठ में अधिष्ठाता के 1 करोड के नियमबाह्य वेतन हेतु ‘फिल्डींग’
प्राचार्य पद का सेवाखंड प्रस्ताव निलंबीत
अमरावती/दि.20 – संत गाडगेबाबा अमरावती विद्यापीठ के विज्ञान व तंत्रज्ञान विभाग के अधिष्ठाता प्रा. डॉ. एफ. सी. रघुवंशी का 1 करोड रूपयों का नियमबाह्य वेतन अदा करने हेतु इस समय जोरदार लॉबींग व फिल्डींग शुरू होने की जानकारी है. किंतु रघुवंशी के अधिष्ठाता पद को राज्य सरकार द्वारा अब तक मंजूरी ही प्रदान नहीं की गई है. ऐसे में यह तमाम उठापटक क्यों और किसलिए की जा रही है, यह सवाल संबंधितों द्वारा उठाया जा रहा है.
बता दें कि, व्यवस्थापन परिषद ने इससे पहले प्रा. डॉ. रघुवंशी के 19 मई 2019 से 30 अप्रैल 2021 तक 24 माह के नियमबाह्य 72 लाख रूपयों के वेतन को रोकने का निर्णय लिया था. इसके पश्चात मई से अक्तूबर तक 6 माह के अटके हुए वेतन को अदा करने हेतु इन दिनों हलचलें शुरू हो गई है. संगाबा अमरावती विवि के तत्कालीन कुलगुरू डॉ. मुरलीधर चांदेकर ने वर्ष 2019 में प्रा. डॉ. एफ. सी. रघुवंशी को अधिष्ठात पद पर नियुक्त किया था, किंतु उस समय सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर अमरावती के उच्च शिक्षा सहसंचालक संजय जगताप ने रघुवंशी की नियुक्ति पर आक्षेप लेने के साथ ही राज्य सरकार को भेजी गई रिपोर्ट में जगताप की नियुक्ति को नियमबाह्य भी बताया था. ऐसे में रघुवंशी की डीन पद पर नियुक्ती का कोई औचित्य ही नहीं रहा. किंतु इसके बावजूद वे अमरावती विद्यापीठ में अब भी अधिष्ठाता पद पर कायम है. साथ ही उन्हें विद्यापीठ के सामान्य फंड से उनका बकाया वेतन देने का प्रयास भी किया जा रहा है.
सेवाखंड क्षमापित, प्रस्ताव प्रलंबित
संगाबा अमरावती विद्यापीठ द्वारा अधिष्ठाता प्रा. डॉ. एफ. सी. रघुवंशी का प्राचार्य पद पर सेवाखंड क्षमापित करने का प्रस्ताव राज्य सरकार के पास भेजा है. किंतु इसे लेकर सरकारी स्तर पर फैसला अभी प्रलंबित है. मई 2021 का वेतन जून माह में अदा किया जायेगा, ऐसा निर्णय इससे पहले व्यवस्थापन परिषद की सभा में लिया गया था. परंतू उनके वेतनबाह्य वेतन को अदा न किया जाये. इसके लिए युवा सेना के पदाधिकारी सागर देशमुख द्वारा शिकायत दर्ज करायी गई थी. साथ ही इस संदर्भ में सिनेट सदस्य मनीष गवई ने भी राज्यपाल के समक्ष अपना आक्षेप दर्ज कराया था.
वित्त व लेखा विभाग में फाईल
प्रा. डॉ. रघुवंशी का अटका हुआ वेतन अदा करने से संबंधित फाईल इन दिनों विद्यापीठ के वित्त व लेखा विभाग में घुम रही है. जिस पर विद्यापीठ के कई वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा दस्तखत भी कर दिये गये है. किंतु इसे लेकर सरकारी स्तर पर कोई भी पत्रव्यवहार नहीं रहने के चलते 1 करोड रूपये का वेतन कैसे अदा किया जाये, इसे लेकर वित्त व लेखा विभाग काफी संभ्रम में है. इस विषय को लेकर जानकारी व प्रतिक्रिया प्राप्त करने हेतु विद्यापीठ के वित्त व लेखाधिकारी भारत कर्हाड से संपर्क करने का प्रयास करने पर वे उपलब्ध नहीं हो पाये.