अमरावती/दि.15 – स्थानीय जयस्तंभ स्थित शिकस्त इमारत गिराने के मामले में सुनीता जुगलकिशोर गिल्डा ने मनपा के अधिकारी व भास्कर वसंतराव जावरकर ने उच्च न्यायालय में 21 अगस्त के आदेश का जानबुझकर क्रियान्वित करने में टालमटोल किया. इस मामले में उच्च न्यायालय में अवमानना की याचिका दायर की गई है.
आदेश को न मानकर इमारत में स्थित भास्कर जावरकर के दुकान के बारे में पुनर्निरिक्षण करने की नोटीस 9 सितंबर 2020 व 14 सितंबर 2020 को देेकर उच्च न्यायालय के आदेश को कचरे की टोकरी दिखाई गई. यह कार्यक्रम फौजदारी अवमानना मामले में उन्हें सजा दिलाने के लिए याचिका दायर की गई. मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ के न्यायमूर्तिव्दय हक व न्यायमूर्ति अविनाश घटोटे ने 21 अगस्त 2020 के अपने निर्णय में मनपा के अधिकारियों को उस शिकस्त इमारत गिराने के आदेश चार सप्ताह में पूरा करने के निर्देश दिये थे और यह कार्रवाई 6 से 20 सितंबर के बीच करने के निर्देश दिये गए थे.
भास्कर जावरकर कीे उच्च न्यायालय में पहुंचने के लिए 6 सप्ताह का वक्त मांगने की विनंती उच्च न्यायालय ने ठुकरा दी. वह उपरोक्त आदेश क्रियान्वित 21 सितंबर तक करने की अवधि का उल्लेख भी आदेश किया गया थाा. भास्कर जावरकर ने उनके कब्जे वाली दुकान शिकस्त नहीं है, अच्छी स्थिति में है, ऐसा प्रमाणपत्र वास्तू शिल्पकार अग्रवाल के माध्यम से दायर किया. उनकी पैरवी को ठुकराकर अदालत ने स्पष्ट किया कि 22 जून 2018 व 4 जनवरी 2019 की नोटीस पर किसी ने भी आपत्ति नहीं ली. उस नोटीस को क्रियान्वित करना, मनपा को कानुनन बंधनकारक है व ऐसा करने का हुकूम दिया. इसके बाद भी जावरकर ने 4 सितंबर 2020 को मनपा में फिर से आवेदन दिया और अग्रवाल के प्रमाण पत्र के अनुसार दुकान का निरीक्षण करें, ऐसी विनंती मनपा ने मंजूर कर पुनर्निक्षण करने की नोटीस 8 सितंबर 2020 व 14 सितंबर 2020 को जारी करने से अदालत की अवमानना हुई, ऐसा याचिका में कहा गया है.