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अंतत: डेप्यूटी आरटीओ बागडी के खिलाफ अपराध दर्ज

फर्जी दस्तावेजों के जरिए सरकार के साथ की थी जालसाजी

* सेवा ज्येष्ठता के तहत हासिल किया था 18.13 लाख का अतिरिक्त लाभ
अमरावती/दि.24 – फर्जी दस्तावेजों के जरिए दो वर्ष की सेवा ज्येष्ठता हासिल कर 18.13 लाख रुपयों का अतिरिक्त लाभ लेते हुए सरकार के साथ जालसाजी करने के मामले में अमरावती के उपप्रादेशिक परिवहन अधिकारी राजकुमार वर्धेकर (बागडी) के खिलाफ आखिरकार गत रोज गाडगे नगर पुलिस थाने में अपराधिक मामला दर्ज किया गया. इस मामले में मोटर वाहन निरीक्षक कैलास संभाजी भरकाडे द्वारा दी गई शिकायत पर डेप्यूटी आरटीओ राजकुमार आनंद वर्धेकर बागडी के खिलाफ भादंवि की धारा 120 (ब), 467, 468, 471, 420 व 34 के तहत अपराध दर्ज किया गया है.
बता दें कि, विगत मंगलवार को आरटीओ उर्मिला पवार सहित उपप्रादेशिक परिवहन अधिकारी प्रशांत देशमुख व लेखाधिकारी संजय अंबालेकर शिकायत दर्ज कराने हेतु गाडगे नगर पुलिस थाने पहुंचे थे. परंतु उस समय कुछ दस्तावेजों की कमी रहने के चलते शिकायत दर्ज नहीं हो पायी. पश्चात इस विषय को लेकर आरटीओ अधिकारियों ने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से मुलाकात कर चर्चा की. जिसके उपरान्त आवश्यक दस्तावेजों की पूर्तता करते हुए गत रोज डेप्यूटी आरटीओ राजकुमार बागडी के खिलाफ सरकार के साथ धोखाधडी व जालसाजी करने का मामला दर्ज किया गया.

* क्या था मामला?
इस संदर्भ में दर्ज शिकायत के मुताबिक डेप्यूटी आरटीओ राजकुमार बागडी ने किसी अन्य व्यक्ति के साथ मिलीभगत करते हुए अपनी जन्मतारीख के प्रमाणपत्र, टीसी व अधिवास प्रमाणपत्र को लेकर फर्जी दस्तावेज तैयार किये तथा 30 सितंबर 2022 को सेवानिवृत्त होने की बजाय राजकुमार बागडी ने दो वर्ष की अधिक सेवा का उपभोग करने हेतु इन फर्जी दस्तावेजों का प्रयोग किया तथा इन 2 वर्षों के दौरान राज्य सरकार के साथ 18 लाख 13 हजार 950 रुपयों का अतिरिक्त लाभ लेते हुए जालसाजी की. जिसकी जानकारी सामने आते ही मुंबई स्थित परिवहन कार्यालय के सहायक परिवहन आयुक्त के आदेशानुसार उपायुक्त विद्यासागर हिरमुखे की एक सदस्यीय जांच समिति नियुक्त की गई. जिसकी रिपोर्ट के आधार पर गाडगे नगर पुलिस थाने में डेप्यूटी आरटीओ बागडी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई.

* क्या थी समिति की रिपोर्ट?
इस मामले की जांच हेतु गठित जांच समिति द्वारा किये गये निरीक्षण के अनुसार राजकुमार बागडी की जन्मतारीख 22 सितंबर 1964 रहने की बात साबित हुई और इस जन्मतारीख के अनुसार राजकुमार बागडी का 30 सितंबर 2022 को सेवानिवृत्त होना अपेक्षित था. परंतु बागडी की सेवा पुस्तिका में कांटछांट करते हुए उनकी जन्मतारीख को 22 सितंबर 1966 कर दिया गया. साथ ही बागडी ने अपनी जन्मतारीख 22 सितंबर 1965 व 22 सितंबर 1966 रहने से संबंधित निवेदन सरकार के पास सौंपते हुए उसके साथ कुछ फर्जी दस्तावेज भी जोडे, जिसके चलते सरकार ने उन्हें 30 सितंबर 2022 को सेवानिवृत्त नहीं किया. परंतु जांच के दौरान यह जालसाजी उजागर हो गई. साथ ही जांच में यह भी पता चला कि, बागडी की सेवा पुस्तिका में दर्ज मूल जन्मतारीख के वर्ष में की गई कांटछांट को वर्धा की तत्कालीन सहायक प्रादेशिक परिवहन अधिकारी द्वारा साक्षांकित किया गया है. साथ ही सेवापुस्तिका के दूसरे पन्ने पर दर्ज जानकारी में बागडी की जन्मतारीख 22 सितंबर 1966 दर्शायी गई. जिसे नागपुर के आरटीओ द्वारा साक्षांकित किया गया. ऐसे में अब वे दोनों अधिकारी भी आरोपों के कटघरे में आ गये है.

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