अमरावतीमहाराष्ट्र

अंतत: डीएफओ अमितकुमार मिश्रा का हुआ तबादला

विधायक बच्चू कडू ने मुख्यमंत्री व वनमंत्री से की थी शिकायत

अमरावती /दि.28– अमरावती प्रादेशिक वनविभाग के उपवन संरक्षक अमितकुमार मिश्रा का गत रोज प्रशासकीय कारणों के चलते नागपुर तबादला कर दिया गया. महज 8 माह पहले अमरावती प्रादेशिक वनविभाग के उपवन संरक्षक पद पर नियुक्त हुए डीएफओ मिश्रा का कार्यकाल काफी हद तक विवादों से घीरा रहा. साथ ही विगत दिनों एक महिला आरएफओ ने उनके खिलाफ वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष सनसनीखेज आरोप लगाते हुए अपनी शिकायत भी दर्ज कराई थी और यह मामला काफी हद तक गुंजा था. जिसके चलते वनविभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने आखिरकार डीएफओ मिश्रा को अमरावती से हटाने का निर्णय लिया.
बता दें कि, विगत 10 फरवरी 2024 को एक महिला आरएफओ ने राज्य के प्रधान मुख्य वनसंरक्षक शैलेश टेंभ्रूर्णीकर के पास शिकायत भेजकर डीएफओ अमितकुमार मिश्रा के कामकाज की शिकायत की थी. साथ ही आरएफओ संगठन के प्रतिनिधि मंडल ने अमरावती की मुख्य वनसंरक्षक जयोति बैनर्जी से मुलाकात करते हुए उन्हें निवेदन सौपकर डीएफओ मिश्रा के कामकाज की जांच करने की मांग उठाई थी. जिसके चलते सीसीएफ जयोति बैनर्जी ने पहले 5 सदस्यीय और फिर 8 सदस्यीय समिति का गठन किया था. इसी बीच सोमवार 26 फरवरी को नागपुर के वन बल भवन में आरएफओ संगठन के प्रतिनिधियों ने राज्य के वन बल प्रमुख शैलेश टेंभ्रूर्णीकर से मुलाकात कर डीएफओ मिश्रा के कामकाज को लेकर प्रत्यक्ष शिकायत दर्ज कराई. इसी दौरान विधायक बच्चू कडू ने जन प्रतिनिधियों के कामों और विकास कार्यों में बाधा पैदा करने वाले डीएफओ मिश्रा को तुरंत पद से हटाने की मांग सीधे राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे एवं वनमंत्री सुधीर मुनगंटीवार से की थी. इसके अलावा वर्धा के सांसद रामदास तडस, धामणगांव रेल्वे के विधायक प्रताप अडसड एवं मोर्शी-वरुड के विधायक देवेंद्र भुयार ने डीएफओ मिश्रा की कार्य प्रणाली पर नाराजगी व्यक्त करते हुए उनके तबादले हेतु राज्य सरकार से पत्र व्यवहार किया था. जिसके चलते डीएफओ मिश्रा का नागपुर में प्रशासकीय तबादला कर दिया गया.
* बंगले पर 24 लाख का खर्च और तबादला
डीएफओ अमितकुमार मिश्रा ने अपने सरकारी बंगले पर करीब 24 लाख रुपए का खर्च करवाया था. लेकिन उन्हें इस बंगले में रहने का मौका ही नहीं मिला, बल्कि उससे पहले ही उनका तबादला हो गया. विगत 8 माह के कार्यकाल दौरान डीएफओ मिश्रा की कार्यप्रणाली काफी विवादों मेें घीरी रही तथा उन पर यह आरोप लगाये जाते रहे कि, वे वनपरिक्षेत्र अधिकारी, वनपाल, वनरंक्षक व वन मजदूर आदि पर दबावतंत्र का प्रयोग करते है.

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