अमरावतीयवतमाल

स्मशान भूमि न होने पर रास्ते में ही अंत्यसंस्कार

यवतमाल जिले के किन्हाला की दर्दभरी कहानी

यवतमाल-/ दि.20   कलंब तहसील के किन्हाला गांव में स्मशान भूमि न होने के कारण गांववासियों ने रास्ते पर ही अंत्यसंस्कार किया. यह घटना शुक्रवार को उजागर हुई. गांववासियों ने स्मशान भूमि की बार-बार मांग की. इसके बाद भी इस और ध्यान नहीं दिया गया. जिसके कारण ऐसी परिस्थिति निर्माण हुई, ऐसा आरोप लगाया जाता है.
आजादी का अमृत महोत्सव पूरे देशभर में मनाया जा रहा है, ऐसे में ग्रामीण क्षेत्र में फिलहाल सुविधा का अभाव दिखाई दे रहा है. गांववासियों ने गांव में स्मशान भूमि बनाने की मांग सरकार से ज्ञापन के माध्यम से की. अपनी मांग की ओर लगातार ध्यान आकर्षित किया, परंतु किसी ने भी ध्यान नहीं दिया. गांववासी नदी के किनारे में एक खेत में अंतिम संस्कार करते थे. उस जमीन पर खेत मालिक ने इस बार बुआई की. जिससे अंतिम संस्कार करने के लिए जमीन की समस्या निर्माण हुई. कुछ माह पूर्व गांववासियों ने रास्ते का अंतिम संस्कार किया, इसके बाद भी स्मशान भूमि के लिए जगह नहीं मिली. शुक्रवार को 70 वर्षीय डुलसिंग जग्गु राठोड का निधन हो गया. उनके पार्थिव पर अंत्यविधि कहा की जाए, ऐसी समस्या निर्माण हुई. रिश्तेदारों ने पर्यायी रास्ते की मांग अधिकारी से की, मगर किसी तरह का प्रतिसाद नहीं मिला. आखिर गांववासियों ने बस स्टैंड के पास अंतिम संस्कार करने का निण्रय लिया. तैयारी भी पूर्ण हुई. वडगांव जंगल पुलिस को जानकारी मिलते ही वे घटनास्थल पर पहुंचे.सार्वजनिक स्थल पर अंत्यसंस्कार का विरोध किया. वादविवाद के बाद पहले अंत्यसंस्कार होने वाले किसान के पडोस में रास्ते पर डुलसिंग के पार्थिव पर अंत्यविधि पूर्ण की गई.

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