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अंतत: अनुग्रह घोटाला मामले में अपराध दर्ज

78 निवेशकों के साथ 18.56 करोड रुपयों की धोखाधडी को लेकर

* सात आरोपियों को किया गया है नामजद, कोतवाली थाने में दर्ज हुआ मामला
* अनुग्रह घोटाले में शहर के 40 निवेशकों के भी फंसे हुए है करीब 40 से 50 करोड
* करोडों रूपये के घोटाले को लेकर 18 माह पूर्व दर्ज हुई थी शिकायत
अमरावती/ दि.29 – अमरावती शहर व जिले सहित देश के अलग अलग इलाकों से वास्ता रखने वाले 78 निवेशकों के साथ 18 करोड 56 लाख 73 हजार 634 रुपयों की धोखाधडी किये जाने को लेकर ऋषभ सिकची व्दारा दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर आज स्थानीय सिटी कोतवाली पुलिस व्दारा इस धोखाधडी को अंजाम देने वाले लोगों और वित्तिय संस्था के खिलाफ अपराधिक मामला दर्ज किया गया. जिसमें दो वित्तिय संस्थाओं सहित पांच लोगों को नामजद किया गया है. बता दे कि, अनुग्रह घोटाले में शहर के 40 निवेशकों के भी करीब 40 से 50 करोड फंसे हुए है और करोडों रूपये के इस घोटाले को लेकर करीब 18 माह पूर्व शिकायत दर्ज हुई थी. जिसमें अब कही जाकर एफआईआर दर्ज करने की कार्रवाई हुई है. जिनमें अनुग्रह स्टॉक एण्ड ब्रोकर प्रा.लि. के संचालक परेश मुलजी कारिया, तेजी-मंदी डॉट कॉम के संचालक अनिल गांधी, एडलवेस कस्टोडियल सर्विसेस, एन. एस. ई. के एमडी विक्रम लिमये व चिफ रेग्युलेटरी ऑफिसर प्रिया सुब्रमण्यम तथा सीडीएसएल कंपनी का समावेश है.
जानकारी के मुताबिक करीब 18 माह पूर्व अनुग्रह स्टॉक एण्ड ब्रोकींग प्रा. लि. सहित नैशनल स्टॉक एक्सचेंज व ईडलवेस कस्टोडियन सर्विसेस सहित विक्रम लिमये व प्रिया सुब्रमण्यम द्वारा आपसी मिलीभगत के साथ घोटाला करते हुए देशभर के हजारों निवेशकों के करीब 1400 करोड रूपये डूबो दिये गये थे. जिसके संदर्भ में अमरावती में रहनेवाले ऋषभ सिकची व परेश मेहता सहित शहर के कुछ अन्य निवेशकोें ने अमरावती शहर पुलिस आयुक्तालय में शिकायत दर्ज करायी गई थी, क्योंकि इस घोटाले में अमरावती शहर के भी करीब 40 निवेशकों के करीब 40 से 50 करोड रूपये डूब गये थे. सर्वाधिक हैरतवाली बात विगत 15 जुलाई को सामने आयी थी. जिसके मुताबिक अमरावती शहर पुलिस आयुक्त कार्यालय को राज्य के तत्कालीन पुलिस महासंचालक यानी डीजीपी संजय पांडे द्वारा इस मामले की जांच अगले आदेश तक बंद रखने के संदर्भ में बाकायदा एक ऑफिशियल पत्र जारी किया गया था. जिसके चलते अमरावती शहर पुलिस द्वारा अपने वरिष्ठाधिकारी का आदेश प्राप्त रहने की वजह से इस मामले की जांच को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था. हालांकि कालांतर में जब संजय पांडे को डीजीपी के पद से मुंबई के पुलिस आयुक्त पद पर ट्रान्सफर किया गया और उनके स्थान पर किसी अन्य आयपीएस अधिकारी की नियुक्ति की गई, तो अमरावती शहर पुलिस ने अनुग्रह पाँजी घोटाले की बंद पडी जांच को लेकर डीजीपी कार्यालय से पत्र व्यवहार किया था. लेकिन अमरावती शहर पुलिस को नये डीजीपी की ओर से भी इस बारे में कोई दिशानिर्देश प्राप्त नहीं हुए थे. जिसकी वजह से इस मामले की जांच रूकी पडी थी. लेकिन अब अमरावती शहर पुलिस ने अकस्मात ही हरकत में आते हुए इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने की कार्रवाई की है और कुल सात लोगों को इस आर्थिक जालसाजी व धोखाधडी के मामले में नामजद किया गया है. ज्ञात रहे कि, 29 अगस्त 2020 में अनुग्रह स्टॉक एन्ड ब्रोकिंग प्रा. लि. द्वारा किया गया घोटाला सामने आया था. जिसमें नैशनल स्टॉक एक्सचेंज के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों की संलिप्तता भी सामने आयी थी.

29 अगस्त 2020 को उजागर हुआ था मामला
* सबसे पहले अमरावती मंडल ने की थी खबर प्रकाशित
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, अनुग्रह स्टॉक ब्रोकर्स कंपनी में हुई जालसाजी का मामला 29 अगस्त 2020 को उजागर हुआ था और दैनिक अमरावती मंडल ने उसी दिन इस घोटाले व जालसाजी की खबर को बडी प्रमुखता के साथ प्रकाशित किया था. जिसके मुताबिक इस कंपनी में अमरावती के निवेशकों द्वारा करीब 50 करोड रूपयों का निवेश किये जाने की जानकारी सामने आयी थी. यह घोटाला किस चालाकी के साथ अंजाम दिया गया था, इसकी पूरी जानकारी भी दैनिक अमरावती मंडल ने सामने लायी थी.

तत्कालीन डीजीपी संजय पांडे ने रूकवाई थी अनुग्रह घोटाले की जांच
* सीपी डॉ. आरती सिंह को डीजीपी ऑफिस से जारी हुआ था पत्र
करीब 18 माह पूर्व अनुग्रह स्टॉक एण्ड ब्रोकींग प्रा. लि. सहित नैशनल स्टॉक एक्सचेंज व ईडलवेस कस्टोडियन सर्विसेस सहित विक्रम लिमये व प्रिया सुब्रमण्यम द्वारा आपसी मिलीभगत के साथ घोटाला करते हुए देशभर के हजारों निवेशकों के करीब 1400 करोड रूपये डूबो दिये गये थे. जिसके संदर्भ में अमरावती में रहनेवाले ऋषभ सिकची व परेश मेहता सहित शहर के कुछ अन्य निवेशकोें ने अमरावती शहर पुलिस आयुक्तालय में शिकायत दर्ज करायी गई थी, क्योंकि इस घोटाले में अमरावती शहर के भी करीब 40 निवेशकों के करीब 40 से 50 करोड रूपये डूब गये थे. लेकिन 18 माह बीत जाने के बावजूद इस मामले में अब तक कोई भी कार्रवाई नहीं हुई है और इस दौरान अमरावती शहर पुलिस द्वारा इस मामले में किसी के भी खिलाफ कोई अपराध भी दर्ज नहीं किया गया. जिसे लेकर विगत 15 जुलाई को एक बेहद सनसनीखेज जानकारी सामने आयी थी. जिसके मुताबिक अमरावती शहर पुलिस आयुक्त कार्यालय को इससे पहले राज्य के तत्कालीन पुलिस महासंचालक यानी डीजीपी संजय पांडे द्वारा इस मामले की जांच अगले आदेश तक बंद रखने के संदर्भ में बाकायदा एक ऑफिशियल पत्र जारी किया गया था. जिसके चलते अमरावती शहर पुलिस द्वारा अपने वरिष्ठाधिकारी का आदेश प्राप्त रहने की वजह से इस मामले की जांच को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया. हालांकि कालांतर में जब संजय पांडे को डीजीपी के पद से मुंबई के पुलिस आयुक्त पद पर ट्रान्सफर किया गया और उनके स्थान पर किसी अन्य आयपीएस अधिकारी की नियुक्ति की गई, तो अमरावती शहर पुलिस ने अनुग्रह पाँजी घोटाले की बंद पडी जांच को लेकर डीजीपी कार्यालय से पत्र व्यवहार किया था. लेकिन अमरावती शहर पुलिस को नये डीजीपी की ओर से भी इस बारे में कोई दिशानिर्देश प्राप्त नहीं हुए. जिसके चलते इस मामले की जांच रूकी पडी रही. लेकिन अब इस मामले की जांच ने एफआईआर दर्ज होने के चलते रफ्तार पकडी है.
आरोपों के मुताबिक राज्य के पूर्व पुलिस महासंचालक एवं मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त संजय पांडे एवं उनके परिजनों द्वारा भी सिक्युरिटी सर्विसेस का व्यवसाय किया जाता है. जिसके तहत वरिष्ठ आयपीएस अधिकारी रहनेवाले संजय पांडे ने अपने पद व अधिकार का दुरूपयोग करते हुए वर्ष 2007 से वर्ष 2015 के दौरान कई वित्तीय गडबडियां अपनी कंपनी के जरिये की. साथ ही उनकी सरपरस्ती में ही आपसी मिलीभगत के चलते कई तरह की आर्थिक अनियमितताएं भी हुई. अनुग्रह स्टॉक एन्ड ब्रोकींग प्रा. लि. में देशभर के हजारों निवेशकों की करोडों-अरबों रूपयों की रकम डूब जाने को लेकर देश में अलग-अलग स्थानोें पर निवेशकों द्वारा पुलिस में शिकायतें दर्ज करायी गई थी और कई शहरों व राज्यों में इन शिकायतों के आधार पर अपराध दर्ज करने के साथ-साथ आवश्यक कार्रवाई भी हुई, लेकिन अमरावती शहर पुलिस द्वारा अब कही जाकर इस मामले में एफआईआर दर्ज की गई है. क्योंकि इससे पहले खुद पुलिस महकमे के एक आला अधिकारी के कहने पर मामले की जांच रुकी पडी हुई थी. विशेष उल्लेखनीय है कि यह खबर भी विगत 15 जुलाई को सबसे पहले ‘दैनिक अमरावती मंडल’ ने ही प्रकाशित की थी. जिसके बाद पूरे पुलिस महकमे सहित राज्य में हडकंप मच गया था.
Navneet-Rana-Amravati-Mandal
* सांसद नवनीत राणा ने उठाई थी सीबीआई जांच की मांग
– सीपी डॉ. आरती सिंह की भूमिका पर भी उठाये थे सवाल
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि अनुग्रह घोटाले से संबंधित जानकारी के सामने आते ही अमरावती की सांसद नवनीत राणा ने इसे लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को एक पत्र लिखते हुए मामले की जांच सीबीआई से कराये जाने की मांग की थी. अपने इस पत्र में सांसद नवनीत राणा ने कहा था कि, जिस तरह से इस मामले में पूर्व पुलिस अधिकारी संजय पांडे की सीबीआई जांच की जा रही है, उसी तरह अमरावती की शहर पुलिस आयुक्त डॉ. आरती सिंह की भी सीबीआई जांच की जानी चाहिए और इस मामले में सीपी डॉ. आरती सिंह की भूमिका को भी जांचा जाना चाहिए. सांसद नवनीत राणा ने अपने पत्र में स्पष्ट तौर पर आरोप लगाया कि, इस घोटाले की वजह से अनुग्रह स्टॉक एन्ड ब्रोकींग प्रा. लि. कंपनी ने बहुत सारे लोगों व परिवारों की जिंदगी खराब की है. जिनमें कई पेन्शनधारकों, निराधारों व विधवा महिलाओं का समावेश है. यह सभी लोग बडी आस और उम्मीद लेकर पुलिस के पास अपनी शिकायतें दर्ज कराने गये थे, लेकिन उनकी शिकायतों पर 18 माह का समय बीत जाने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई. जबकि अन्य राज्योें में वहां के पुलिस विभाग ने तुरंत कार्रवाई करते हुए निवेशकों को उनका पैसा दिलाया है. वहीं राज्य के पूर्व पुलिस महासंचालक संजय पांडे और अमरावती की पुलिस आयुक्त आरती सिंह ने अपने ही स्तर पर निर्णय लेते हुए मामले की जांच को रोक दिया. यह सीधे-सीधे आम लोगों के साथ किया गया विश्वासघात है. अत: निवेशकों को न्याय दिलाने के साथ-साथ इन दोनों अधिकारियों के खिलाफ भी कडी कार्रवाई की जानी चाहिए.
बॉक्स, फोटो संदीप के पास से आखरी लेटर का (15 जुलाई के फोल्डर में चेक करे)
* आईजी ऑफिस से जारी हुआ था डीजीपी का निर्देश
इस संदर्भ में मिली जानकारी के मुताबिक 26 सितंबर 2021 को शहर पुलिस आयुक्त के पास ऋषभ सिकची सहित अन्यों द्वारा शिकायत दी गई थी. जिसके आधार पर अमरावती शहर पुलिस ने अपनी जांच पडताल भी शुरू की थी. किंतु इस जांच को अगले आदेश तक रोकने के संदर्भ में पुलिस महासंचालक कार्यालय के विशेष पुलिस महानिरीक्षक (कानून व सुव्यवस्था) सुहास वारके के हस्ताक्षर से एक पत्र 20 जनवरी 2022 को अमरावती शहर पुलिस आयुक्त के नाम जारी किया गया था. जिसमें अगले आदेश तक इस मामले की जांच को रोकने की बात कही गई थी. उल्लेखनीय है कि, उस समय राज्य के पुलिस महासंचालक पद पर संजय पांडे ही पदस्थ थे, जो आगे चलकर मुंबई के पुलिस आयुक्त बनाये गये थे और बीते दिनों मुंबई पुलिस आयुक्त पद से सेवानिवृत्त भी हो गये है. हालांकि इसके साथ ही आर्थिक अनियमितताओं से जुडे मामलों को लेकर पूर्व पुलिस अधिकारी संजय पांडे की सीबीआई द्वारा जांच-पडताल करनी शुरू कर दी गई है.

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