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अंतत: अमरावती मंडल की सजगता आयी काम

फर्जी कोविड क्लेम मामले का हुआ भंडाफोड

* जागरूक पत्रकारिता की हर ओर हो रही सराहना

* इससे पहले भी कई मामलों का किया है राजफाश

अमरावती/दि.11- अमरावती शहर में फर्जी तरीके से कोविड संक्रमित मरीज दर्शाते हुए कोविड इन्शुरन्स क्लेम का फर्जीवाडा जारी रहने की खबर सबसे पहले दैनिक अमरावती मंडल द्वारा कोविड संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान ही पूरी प्रखरता व प्रमुखता के साथ प्रकाशित की गई थी तथा हमने समय-समय पर इसे लेकर खबर प्रकाशित करते हुए स्थानीय प्रशासन के समक्ष तथ्य प्रस्तुत करने का प्रयास किया था. किंतु विगत सात-आठ माह के दौरान प्रशासन द्वारा स्वसंज्ञान लेकर इसमें कुछ भी नहीं किया गया, लेकिन अमरावती मंडल के प्रयास उस समय सफल साबित हुए, जब इन प्रयासों से हौसला पाकर शहर के एक जागरूक नागरिक ने शहर पुलिस आयुक्त डॉ. आरती सिंह के पास पहुंचकर इस फर्जीवाडे को लेकर शिकायत दर्ज करायी. 10 लाख रूपये की ‘ऑफर’ ठुकराकर पूरी हिम्मत जुटाते हुए पुलिस आयुक्त के पास पहुंचनेवाला फिर्यादी व्यक्ति भी प्रशंसा का हकदार है, क्योंकि उसके द्वारा दर्ज करायी गई शिकायत के चलते अब इस पूरे फर्जीवाडे के रैकेट में शामिल लक्ष्मीकांत लढ्ढा नामक मोहरे के खिलाफ अधिकारिक तौर पर पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज की गई है.
बता दें कि, कोविड संक्रमण की लहर के दौरान ही दैनिक अमरावती मंडल के पास यह खबर आ गई थी कि, शहर के श्रीकृष्णपेठ परिसर में अस्पताल चलानेवाले डॉक्टर द्वारा फर्जी तरीके से लोगों की कोविड टेस्ट रिपोर्ट पॉजीटीव दर्शाई जा रही है और ऐसे लोगों को धडल्ले के साथ कोविड इन्शुरन्स पॉलीसी के क्लेम का लाभ दिलाया जा रहा है. इस क्लेम के तहत मिलनेवाली राशि में क्लेमधारक व्यक्ति सहित डॉक्टर, बीमा एजंट एवं बीमा कंपनियों के अधिकारियों का भी समावेश है. साथ ही सरकारी सेवा में रहनेवाले कई अधिकारियों और कर्मचारियों को भी फर्जी तरीके से कोविड संक्रमित दर्शाया गया था, ताकि उन्हेें उनके विभागों से सवैतनिक अवकाश सहित अन्य आर्थिक लाभ मिल सके. किंतु उस समय इसे लेकर एक के बाद एक खबरें सामने आने के बाद भी प्रशासन ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया और शहर के अन्य अखबार भी इसे लेकर चुप्पी साधे रहे. किंतु अमरावती मंडल द्वारा चलाई गई खबरों से हौसला पाकर शहर के बोहरा गली परिसर में रहनेवाले एक सजग व इमानदार व्यक्ति ने अपने व्यक्तिगत लाभ की चिंता को छोडकर इस फर्जीवाडे के खिलाफ आवाज उठायी तथा सीधे शहर पुलिस आयुक्त डॉ. आरती सिंह के पास पहुंचकर अपनी शिकायत दर्ज करायी. इसे लेकर भी केवल अमरावती मंडल द्वारा ही पिछले पांच दिनों से लगातार खबरें प्रकाशित की जा रही है. वहीं शहर सहित जिले के अन्य अखबारों का इस दौरान इससे कोई सरोकार नहीं था. जबकि विगत पांच दिनों के दौरान शिकायतकर्ता व्यक्ति पर अपनी शिकायत को वापिस लेने हेतु काफी बडे पैमाने पर दबाव था. साथ ही उसे इसके लिए करीब 10 लाख रूपये की ऑफर भी मिली थी, लेकिन यह दबाव और ऑफर भी उस इमानदार व्यक्ति के हौसले व जज्बे को तोड नहीं सके. जिसके चलते अब अंतत: शहर पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा द्वारा अपने स्तर पर मामले की जांच-पडताल करते हुए शहर में कोविड इन्शुरन्स क्लेम के नाम पर चल रहे फर्जीवाडे को लेकर प्राथमिकी यानी एफआईआर दर्ज की गई है.
बता दें कि, बोहरा गली परिसर में रहनेवाले एक व्यक्ति को उसी परिसर में रहनेवाली तथा बीमा एजेंट के तौर पर काम करनेवाली महिला ने कोविड संक्रमण का दौर जारी रहने के दौरान कोविड इन्शुरन्स हेल्थ पॉलीसी निकालने हेतु कहा था और उस व्यक्ति ने अपने सहित अपने परिवार को आर्थिक सुरक्षा कवच देने के लिहाज से इस हेतु हामी भरी थी. पश्चात उसे स्वास्थ्य जांच हेतु श्रीकृष्ण पेठ स्थित अस्पताल में करीब तीन-चार बार ले जाया गया. पर उसकी कोई स्वास्थ्य जांच ही नहीं हुई. ऐसे में वह वहां से वापिस चला आया. किंतु करीब चार-पांच माह बाद इस व्यक्ति को अचानक ही अलग-अलग निजी बीमा कंपनियोें से फोन कॉल आने शुरू हो गये. जिसमें उसे कोविड क्लेम की ऐवज में ढाई लाख रूपये देने की पेशकश की जाने लगी. साथ ही एक कंपनी ने तो बाकायदा उसके बैंक खाते में ढाई लाख रूपये जमा भी करा दिये, लेकिन हैरत और मजे की बात यह है कि, यह व्यक्ति न तो कभी कोविड संक्रमित हुआ था और न ही किसी कोविड अस्पताल में भरती ही हुआ था. ऐसे में उसे कोविड इन्शुरन्स का क्लेम मिलने का कोई तुक ही नहीं था. बावजूद इसके उसके खाते में ढाई लाख रूपये की भारी-भरकम राशि आकर जमा हो गई थी. किंतु इस राशि का लालच करने की बजाय उस व्यक्ति ने इसकी जानकारी शहर पुलिस आयुक्त डॉ. आरती सिंह को देने के साथ ही इस मामले को लेकर अपनी शिकायत दर्ज करायी. जहां से इस मामले का भंडाफोड होना शुरू हुआ.
इस व्यक्ति द्वारा पुलिस में शिकायत दर्ज कराये जाते ही दैनिक अमरावती मंडल ने भी अपने स्तर पर पडताल करनी शुरू की और विश्वसनीय सूत्रों के जरिये पूरे मामले को लेकर तथ्य व ब्यौरे संकलित करने शुरू किये. जिसके आधार पर हम पिछले पांच दिनों से इस मामले को लेकर तमाम जानकारियां प्रशासन व पाठकों के समक्ष पेश कर चुके है. चूंकि अब तक इस मामले में एफआईआर दर्ज नहीं हुई थी. अत: हमने सारे तथ्यों की ओर इशारों-इशारों में इंगित किया था और बताया था कि, शहर में निजी बीमा कंपनियों व वित्तीय संस्थाओं से संबंधित काम करनेवाला लक्ष्मीकांत नामक व्यक्ति इस पूरे मामले के सूत्रधारों में शामिल है. आज उसी लक्ष्मीकांत लढ्ढा नामक व्यक्ति के खिलाफ पुलिस ने कई संगीन धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज किया है. जिसमें से कुछ धाराएं ऐसी भी है, जिनमें दोषी पाये जाने पर सात वर्ष व उससे अधिक की सजा का प्रावधान है. साथ ही पुलिस द्वारा भादंवि की धारा 120 ब के तहत कॉन्स्पीरन्सी यानी कुछ लोगों द्वारा साथ मिलकर षडयंत्र रचने का अपराध भी दर्ज किया गया है. जिसका सीधा मतलब है कि, इस मामले में जितने भी लोग शामिल है, दोषी पाये जाने के बाद वे सभी इस सजा के हकदार होंगे ओर अदालत में उन्हें इतनी आसानी से जमानत भी नहीं मिलेगी.

* अभी तो केवल मोहरा हाथ आया, मास्टरमाइंड मिलना बाकी

पुलिस ने यद्यपि फर्जी तरीके से कोविड इन्शुरन्स पॉलीसी का क्लेम करनेवाले रैकेट में शामिल बीमा एजंट सहित लक्ष्मीकांत लढ्ढा नामक व्यक्ति के खिलाफ फिलहाल अपराध दर्ज किया है, लेकिन अब भी इस मामले के मुख्य मास्टरमाइंड पुलिस की रडार पर आना बाकी है. जिनमें बीमा कंपनी के अकोला निवासी सर्वेअर सहित अमरावती के श्रीकृष्ण पेठ स्थित अस्पताल और उसके संचालक डॉक्टर भी शामिल है. यदि पुलिस ने पांच दिनों तक अपने स्तर पर पडताल करने के बाद अपराध दर्ज करने के साथ ही यह मान्य कर लिया है कि, कोविड इन्शुरन्स क्लेम को लेकर फर्जीवाडा हुआ है, तो इसका सीधा मतलब है कि, कई लोगों को जानबूझकर फर्जी तरीके से कोविड पॉजीटीव दर्शाया गया. ऐसे में इस बात की जांच होनी चाहिए कि, आखिर इन लोगों के थ्रोट स्वैब सैम्पलों की जांच किस कोविड टेस्ट लैब में हुई थी और फर्जी तरीके से कोविड संक्रमित मरीज दर्शाये गये लोगों को किस कोविड अस्पताल में इलाज हेतु भरती किया गया था. साथ ही जिन-जिन तारीखों को इन लोगों की कोविड टेस्ट रिपोर्ट पॉजीटीव दर्शाई गई है, क्या उस दिन इनके नाम स्थानीय प्रशासन के पास बतौर कोविड संक्रमित दर्ज कराये गये अथवा नहीं. यदि इन तमाम बातों की जांच-पडताल की जाती है, तो संबंधित कोविड टेस्ट लैब सहित श्रीकृष्ण पेठ स्थित अस्पताल के साथ-साथ कोविड संक्रमण काल के दौरान निजी कोविड अस्पताल के तौर पर काम करनेवाली कुछ आस्थापनाएं भी इस रैके में शामिल दिखाई दे सकती है. अत: इस पूरे मामले की जडों को खोदा जाना बेहद जरूरी है. साथ ही फर्जी तरीके से कोविड संक्रमित दिखाये गये मरीजों को खैरात की तरह क्लेम बांटने के मामले में शामिल बीमा कंपनियों के अधिकारियों को भी जांच के दायरे में लिया जाना चाहिए.

* कहीं फर्जी मरीजों की वजह से तो नहीं बढा संक्रमितों का आंकडा

यह पूरा मामला महज कुछ लाख रूपयों के घोटाले से संबंधित नहीं है, बल्कि यह विश्वासघात और जनभावनाओं के साथ खिलवाड करने से संबंधित मामला है. जिस समय पूरी दुनिया कोविड की संक्रामक महामारी से जूझ रही थी और लोगों में जबर्दस्त भय का माहौल था. हर कोई हैरान-परेशान था, तब अमरावती में कुछ लोग इस वैश्विक महामारी के दौरान भी भ्रष्टाचार की सोच लेकर काम कर रहे थे और मौके का फायदा उठाने के लिए फर्जी तरीके से लोगों की कोविड टेस्ट रिपोर्ट पॉजीटीव दर्शाते हुए उनके कोविड इन्शुरन्स क्लेम पास किये जा रहे थे. ऐसे में सवाल उठता है कि, विगत डेढ वर्ष के दौरान अमरावती जिले में जो 96 हजार 195 कोविड संक्रमित मरीज पाये गये, क्या यह संख्या वाकई बिल्कुल सही है, या फिर इसमें से कई मरीज ऐसे थे, जिनकी रिपोर्ट को केवल कोविड इन्शुरन्स क्लेम के लिए पॉजीटीव दर्शाया गया था और इस वजह से संक्रमितों का आंकडा इतना अधिक दिखाई दे रहा. ऐसे में इसे सीधे-सीधे सरकार व प्रशासन के साथ विश्वासघात एवं जनभावनाओं के साथ खिलवाड का मामला ही माना जाना चाहिए और इस रैकेट में शामिल बीमा एजेंट व बीमा एडवाईजर पर कार्रवाई करने के साथ ही इस घोटाले को अंजाम देनेवाले डॉक्टर, निजी कोविड अस्पताल व फर्जी रिपोर्ट देनेवाली कोविड टेस्ट लैब के लाईसेन्स रद्द किये जाने चाहिए.

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