* मुख्याध्यापकों और शिक्षकों पर बढ रहा तनाव
अमरावती/दि.2– जिला परिषद शाला 30 जून से शुरू हो गई, किंतु चार माह बीतने के बाद भी अब तक इन शालाओं को कोई अनुदान नहीं मिलने से जिला परिषद शालाओं पर आर्थिक संकट आ गया है. स्कूल का पूरा खर्चा मुख्याध्यापकों व शिक्षकों को उठाना पड रहा है. जिसके कारण उन पर तनाव बढ गया है. उनकी अवस्था को देखते हुए सरकार ने जिला परिषद शालाओं को जल्द से जल्द अनुदान देने की मांग महाराष्ट्र राज्य प्राथमिक शिक्षक समिति ने की है.
स्कूल का खर्चा चलाने के लिए सरकार की तरफ से 4 प्रतिशत सादिल व समग्र शिक्षा अभियान से अनुदान दिया जाता था. इसके पूर्व सर्व शिक्षा अभियान द्वारा शाला अनुदान 5 से 10 हजार, शाला देखभाल दुरूस्ती के लिए 7 से 15 हजार और शिक्षक अनुदान 1 हजार रुपए दिया जाता था, इस अनुदान से पूरा खर्च चलाया जाता था. किंतु पिछले साल से यह निधि समग्र शिक्षा अभियान के तहत दी जा रही है जो केवल 5, 10, 15 हजार होकर पटसंख्या के आधार पर दी जाती है. शैक्षणिक वर्ष के चार महिने बीतने के बाद भी अब तक इन स्कूलों को अनुदान प्राप्त नहीं हुआ. हर महिने लगने वाली कार्यालयीन सामग्री, बिजली बिल, स्कूल के ऑनलाइन काम, स्कूल की मरम्मत, शालेय पोषण आहार के लिए लगने वाली सब्जियां, और पूरक आहार इसके लिए भी अनुदान नहीं मिलने से मुख्याध्यापकों और शिक्षकों को अपने जेब से खर्च करना पड रहा है.
स्कूलों को ऑनलाइन काम करने के लिए स्कूल में केंद्र शुरु कर एक डाटा ऑपरेटर की नियुक्ति करें, शालेय पोषण आहार अनुदान हर महिने दिया जाए, स्कूल की देखभाल और मरम्मत के लिए अलग से निधि दें, आदि सहित अन्य मांगे महाराष्ट्र राज्य प्राथमिक शिक्षक समिति के जिलाध्यक्ष गोकुलदास राऊत, जिला महासचिव संभाजी रेवाले, राज्य प्रसिद्धि प्रमुख राजेश सावरकर, जिला कार्याध्यक्ष प्रशांत निमकर, कोषाध्यक्ष नंदकिशोर पाटिल, महिला आघाडी प्रमुख सरीता काठोले, कार्याध्यक्ष सुषमा वानखडे, कोषाध्यक्ष भावना ठाकरे, राज्य महिला प्रतिनिधि प्रविणा कोल्हे, डीसीपीएस जिला प्रमुख अल्लाद तराल, जिला प्रसिध्दी प्रमुख शैलेन्द्र दहातोंडे सहित जिला व तहसील पदाधिकारियों ने की है.