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अडसुल पिता-पुत्र में से किसी एक को मिल सकती है एमएलसी

शिंदे गुट दे सकता है विधान परिषद में जाने का मौका

* आनंदराव को मौका मिला तो अभिजीत को दर्यापुर से मिलेगी टिकट
अमरावती/दि.13- विगत जून माह के दौरान जब राज्य की राजनीति में काफी बडा उलटफेर हुआ था और शिवसेना के कद्दावर नेता एकनाथ शिंदे द्वारा अपने समर्थक शिवसेना व निर्दलीय विधायकों के साथ मिलकर शिवसेना सहित राज्य की तत्कालीन महाविकास आघाडी सरकार के खिलाफ बगावत की थी, तो शिवसेना के अग्र्रिम पंक्तिवाले नेताओं में शामिल रहनेवाले सेना नेता व पूर्व सांसद आनंदराव अडसुल ने भी अपने बेटे व पूर्व विधायक अभिजीत अडसुल के साथ मिलकर शिंदे गुट का दामन थाम लिया था. जिसकी ऐवज में अब अडसुल पिता-पुत्र में से किसी एक को शिंदे गुट की ओर से विधान परिषद में राज्यपाल नामित सदस्य के तौर पर मौका दिया जा सकता है. ऐसी संभावना राजनीतिक क्षेत्र में जताई जा रही है.
बता दें कि, राज्य में महाविकास आघाडी की सरकार रहते समय विधान परिषद में राज्यपाल नामित 12 विधायकों की नियुक्ति का मसला लंबे समय तक प्रलंबीत पडा रहा. वहीं अब राज्य में हुए सत्ता परिवर्तन के बाद राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी ने पिछली सरकार द्वारा भेजे गये 12 नामों की सूची को निरस्त कर दिया और शिंदे व फडणवीस के नेतृत्ववाली नई सरकार को 12 नामों की नई सूची भेजने हेतु कहा. ऐसे में अब शिंदे गुट व भाजपा द्वारा आपस में इन 12 सीटों का बंटवारा किया गया है. जिसमें से 5 सीटें शिंदे गुट और 7 सीटें भाजपा के हिस्से में आयी है और दोनों दलों द्वारा अपने-अपने संभावित विधायकों के नामों पर विचार-विमर्श किया जा रहा है. इसी के तहत शिंदे गुट द्वारा अपने हिस्से में रहनेवाली 5 सीटों में से 1 सीट के लिए अडसुल पिता-पुत्र की जोडी में से किसी एक का नाम फाईनल करने पर विचार-विमर्श चल रहा है.
बता दें कि, पूर्व सांसद आनंदराव अडसुल शिवसेना के वरिष्ठ नेता है, जो अमरावती से दो बार लोकसभा सदस्य चुने गये थे. वही इससे पहले उन्होंने सातारा व बुलडाणा से भी लोकसभा का चुनाव जीता था. ऐसे में वे बतौर सांसद लोकसभा में लगातार चार कार्यकाल पूर्ण कर चुके है. साथ ही उन्हें शिवसेना के राष्ट्रीय संगठन में नेता के तौर पर भी शामिल किया गया था. वही उनके बेटे अभिजीत अडसूल भी अमरावती जिले के दर्यापुर निर्वाचन क्षेत्र से एक बार विधायक चुने जा चुके है. ऐसे में अडसुल पिता-पुत्र की जोडी को शिवसेना में काफी वजनदार माना जाता रहा है. किंतु बीच में एक समय ऐसा भी आया, जब अडसुल पिता-पुत्र का नाम मुंबई की सिटी बैंक घोटाले में फंसा और उन्हें ईडी की कार्रवाई का सामना भी करना पडा. राजनीतिक सूत्र बताते है कि, उस समय उन्हें शिवसेना के पार्टी प्रमुख और तत्कालीन मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे की ओर से कोई सहायता नहीं मिली थी. ऐसे में वे पार्टी नेतृत्व को लेकर काफी नाराज चल रहे थे और जब एकनाथ शिंदे ने शिवसेना में बगावत का परचम बुलंद किया, तो सबसे पहले शिवसेना नेता रहनेवाले आनंदराव अडसुल व उनके पुत्र अभिजीत अडसुल ने ही शिंदे गुट का समर्थन किया था. साथ ही शिवसेना के कई पदाधिकारियों को शिंदे गुट में लाने की रणनीति में अपना पूरा सहयोग भी प्रदान किया गया. अडसुल पिता-पुत्र की वजह से ही अमरावती जिले की दर्यापुर तहसील के अनेकों शिवसैनिकों ने उध्दव ठाकरे के गुट को जय महाराष्ट्र कहते हुए शिंदे गुटवाली शिवसेना में प्रवेश किया. इसके अलावा अडसुल पिता-पुत्र की मुंबई में भी अच्छी-खासी राजनीतिक पकड है. जिसके चलते शिंदे गुट और भाजपा को मुंबई मनपा के चुनाव में जीत हासिल करने के लिए अडसुल पिता-पुत्र के साथ व सहारे की जरूरत है. ऐसे में शिंदे गुट द्वारा अपने हिस्से में आनेवाली विधान परिषद की सीटों में से एक सीट पर अडसुल पिता-पुत्र में से किसी एक के नाम का विचार किया जा रहा है. जिसके तहत माना जा रहा है कि, शायद पूर्व सांसद आनंदराव अडसुल को राज्यपाल नामित सदस्य के तौर पर राज्य विधानमंडल के उपरी सदन विधान परिषद में भेजा जा सकता है. वहीं आगामी विधानसभा चुनाव में अभिजीत अडसुल को दर्यापुर निर्वाचन क्षेत्र में शिंदे गुट की ओर से अपना प्रत्याशी बनाया जा सकता है. वहीं एक संभावना यह भी है कि, अगर पूर्व सांसद आनंदराव अडसुल विधान परिषद सदस्य बनने से इन्कार कर देते है, तो उनके पुत्र अभिजीत अडसुल को राज्यपाल नामित विधायक बनाया जाये और आनंदराव अडसूल के लिए राज्यसभा का रास्ता खोला जाये. बहरहाल इस मामले में आगे क्या होता है, इस ओर राजनीतिक क्षेत्र की निगाहें लगी हुई है.

 

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