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* 19 साल पुराना केस
अमरावती/दि.15– अमरावती की वरिष्ठ डॉक्टर के विरुद्ध वैद्यकीय असावधानी के प्रकरण में दर्ज एफआइआर को उच्च न्यायालय के न्या. विनय जोशी और न्या. वाल्मिकी मैनेजेस ने कोर्ट को सीआरपीसी की धारा 482 के तहत प्राप्त अधिकारों का उपयोग करते हुए रद्द करने का निर्णय लिया. इस डॉक्टर पर 15 अप्रैल 2004 को प्रकरण दर्ज किया गया था. जिसकी 8 मार्च 2005 को चार्जशीट दाखिल की गई थी. हाइकोर्ट ने विभिन्न प्रकरणों का उल्लेख करते हुए कहा कि चिकित्सकों पर आम जनता का भरोसा महत्वपूर्ण है. बहुत घोर लापरवाही के प्रकरण छोड़ दे तो चिकित्सक उसके सामने आये मरीज का उचित उपचार का प्रयत्न करते हैं.
इस प्रकरण में मृतक कांचन अतुल कुलकर्णी के पति के भाई ने शिकायत दी. वैद्यकीय लापरवाही का आरोप किया था. 62 साल के डॉक्टर सर्जन ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी. इन्हीं डॉक्टर ने महिला की सीजेरीयन सर्जरी की थी. उसकी हेमरेज के कारण मृत्यु हो गई थी. कोर्ट ने आदेश में कहा कि डॉक्टर्स के पैनल की रिपोर्ट स्पष्ट नहीं है. बोलाम जांच और लापरवाही दर्शाने वाली अन्य कोई जांच रिपोर्ट नहीं मिली है. विस्तृत जिरह के बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ता के विरुद्ध दर्ज एफआइआर रद्द कर दी. आरोपी की तरफ से वरिष्ठ एड. अनिल मार्डीकर तथा एड. अपूर्व डे ने पैरवी की. अतिरिक्त सरकारी अभियोक्ता नितिन डोले ने शासन और एड. एस.एच. भाटिया ने शिकायतकर्ता तुषार विजय कुलकर्णी की तरफ से पैरवी की.