अमरावती

आतिशबाजी से शहर में बढा प्रदूषण का स्तर

६ से १० प्रतिशत की वृध्दि होने की संभावना

  • शासकीय अभियांत्रिकी महाविद्यालय की प्रयोगशाला में हुई जांच

  • दो दिनों की रिपोर्ट आज मिलेगी

अमरावती/दि.१७ – दीपावली के दौरान की गई आतिशबाजी की वजह से शहर के वातावरण में प्रदूषण का स्तर अचानक बढ गया है. इस स्तर में कितनी वृध्दि हुई है, इसका अध्ययन किया जा रहा है और सटिक जानकारी आज मंगलवार १८ नवंबर को स्पष्ट हो जायेगी. लेकिन एक अनुमान के मुताबिक प्रदूषण के स्तर में अंदाजन ६ से १० प्रतिशत की वृध्दि तो निश्चित तौर पर हुई है.
बता दें कि, प्रदूषण का प्रमाण आरएसटीएम (रेस्पीरेटरी सस्पेंडेड पार्टीक्यूलेट मैटर), एसओ-२ (सोडियमडाय ऑक्साईड) तथा एनओ-२ (नाईट्रोजनडाय ऑक्साईड) इन तीन घटकों के आधार पर तय किया जाता है. इसमें से आरटीपीएस की मर्यादा साधारणत: १०० होती है. वहीं एसओ-२ व एनओ-२ का प्रमाण ८० रहता है. लेकिन आतिशबाजी की वजह से आरएसटीएम का प्रमाण ११० से १२० तक जा पहुंचता है. वहीं एसओ-२ व एनओ-२ ८० से ८६ के बीच कम-अधिक होता रहता है. दीपावली पर्व के दौरान अमरावती शहर में जमकर आतिशबाजी हुई है. जिसकी वजह से शहर के वातावरण की हवा निश्चित तौर पर प्रदूषित हुई है, क्योंकि हवा में धूल-कणों का प्रमाण बढ गया है. पटाखों से निकलनेवाले धुएं और उसकी बारूद की वजह से धुल-कण चारों ओर फैलते है. जिसके परिणाम स्वरूप हवा प्रदूषित होती है. ऐसा अब तक का अनुभव रहा है. यद्यपि इस बार अन्य वर्षों की तुलना में पटाखे कम फोडे गये, लेकिन फिर भी वातावरण में प्रदूषण का प्रमाण बढा है. जिसके स्पष्ट आंकडे आज-कल में स्पष्ट होेंगे.
इस हेतु स्थानीय सरकारी अभियांत्रिकी महाविद्यालय की प्रयोगशाला में जांच व अध्ययन की प्रक्रिया शुरू है. प्रदूषण संबंधित आंकडों को दर्ज करने के लिए सरकारी अभियांत्रिकी महाविद्यालय सहित महानगरपालिका एवं एमआयडीसी इन तीन स्थानों पर ‘हाई वाल्युम सैम्पल्स्‘ नामक विशेष तरह का यंत्र लगाया गया है. इस यंत्र में फिल्टर पेपर लगाया जाता है और यह पेपर कितनी देर में जलता है, इसके आधार पर हवा में प्रदूषण का प्रमाण कितना अधिक व कम है, यह तय किया जाता है. जिनमें तीन बार प्रति आठ घंटे के बाद फिल्टर पेपर के जलने की जानकारी दर्ज की जाती है. जिसकी आधार पर एक दिन के दौरान प्रदूषण कितना बढा या कम हुआ, इसकी मिमांसा घोषित की जाती है. प्रदूषण के स्तर को तय करनेवाले आरएसटीएम घटक की गणना ‘मिलीग्राम पर लीटर क्यूब‘ नामक मानक का प्रयोग करते हुए की जाती है, जो सामान्यत: १०० रहने पर हवा को स्वास्थ्य के लिहाज से अच्छा माना जाता है. इसी तरह एनओ-२ व एसओ-२ का प्रमाण ८० रहने पर भी हवा को प्रदूषणरहित कहा जाता है. किंतु ऐन दीपावली के दिनों में इन दोनों घटकों का हवा में प्रमाण बढ जाता है. जिसकी वजह से वातावरण में प्रदूषण का स्तर बढ जाता है.

शहर में शांतिपूर्ण ढंग से मनी दीपावली

अमरावती मनपा क्षेत्र में दीपावली वाले दिन कोई अनुचित घटना घटित नहीं हुई. प्रशासन की ओर से आतिशबाजी के लिए रात ८ से १० बजे तक दिया गया था. लेकिन इस समय से पहले और समय के बाद आतिशबाजी करने की कुछ छिटपूट घटनाएं हुई है. यदि इसे अपवाद मान लिया जाये तो अधिकांश नागरिकों ने कानून एवं नियमों का पालन किया, ऐसा निवासी उपजिलाधीश डॉ. नितीन व्यवहारे व मनपा आयुक्त प्रशांत रोडे का कहना रहा.

ऑनलाईन नहीं रहने की वजह से जानकारी दर्ज करने में दिक्कत

वातावरण में प्रदूषण के स्तर की जानकारी तत्काल पता नहीं चलती, क्योंकि यहां डिवाईस ऑनलाईन तरीके से काम नहीं करता है. तीन स्थानों से मिलनेवाली जानकारी को रोजाना सरकारी अभियांत्रिकी महाविद्यालय की प्रयोगशाला में फिजीकल पध्दति से जांचना पडता है. जिसके बाद इन आंकडोंं का पृथ्थकरण करना काफी लंबी प्रक्रिया है. ऐसे में प्रदूषण से संबंधित निश्चित आंकडों की जानकारी मिलने में थोडा विलंब होता है.
– संजय पाटिल, प्रभारी प्रादेशिक अधिकारी, महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल, अमरावती.

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