आंखों के सामने गोलीबारी, लाशें भी देखी, पर हिम्मत नहीं छोडी
युक्रेन से सकुशल वापिस लौटे स्वराज ने बताई आपबीती
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-19 डिग्री तापमान में बिताये छह घंटे कभी नहीं भूल सकते
अमरावती/दि.4 – हम लोग युक्रेन व रोमानिया की सीमा पर पहुंच गये थे. जहां पर तापमान शून्य से 19 डिग्री सेल्सियस नीचे था. हमारे पास खाने के लिए कुछ नहीं था और पानी भी खत्म हो गया था. लेकिन हमें किसी भी हाल में रोमानिया जाकर भारत के लिए निकलने हेतु विमान पकडना था. भारतीयों की तरह अन्य देशों के नागरिक व विद्यार्थी भी अपने-अपने देश जाने हेतु सीमा पर आ गये थे. जिसमें से कुछ लोगों ने बिना अनुमति के सीमा पार करने का प्रयास किया. ऐसे में वहां काफी भीडभाड और गहमागहमी वाला माहौल हो गया था. इस समय सीमा पर तैनात सैनिकों ने शांत रहने और बिना अनुमति सीमा पार न करने का निर्देश दिया. किंतु इसके बावजूद कुछ लोगों ने इसे अनसुना करते हुए सीमा पार करने की जल्दबाजी की. जिसके चलते सैनिकों ने गोली चला दी और इस गोलीबारी में मेरी आंखों के सामने एक-दो लोगों की गोली लगने की वजह से मौत हो गई. यह सब देखकर हम सभी बहुत घबरा गये थे, लेकिन हमने हिम्मत नहीं छोडी. यह लोमहर्षक अनुभव युक्रेन से सुरक्षित अपने घर पहुंचे स्वराज पुंड ने बताया. जो गुरूवार की रात 8.30 बजे सकुशल व सुरक्षित अमरावती स्थित अपने घर लौट आया है.
अमरावती निवासी 19 वर्षीय स्वराज गणेश पुंड युक्रेन के व्हीनत्सी शहर में रहकर एमबीबीएस प्रथम वर्ष की पढाई कर रहा है. उसने बताया कि, विगत 25 फरवरी से युक्रेन में हालात बिगडने लगे और उन्हें व्हिनत्सी शहर में स्थित उनके छात्रावास के नीचे बंकर में तीन दिन रखा गया. इसी दौरान होस्टल से करीब 6 किमी की दूरी पर स्थित केमिकल फैक्टरी पर बम गिराया गया. यह पता चलने पर सभी लोग घबरा गये. हमें युक्रेन से बाहर निकलने के रोमानिया की सीमा पर जाना था. लेकिन वहां तक कैसे जाये, यह सबसे बडा सवाल था. ऐसे में करीब 50 विद्यार्थियों ने मिलकर एक बस किराये पर ली और करीब 500 किमी की दूरी पर स्थित युक्रेन-रोमानिया की सीमा पर पहुंचने हेतु लगभग दो से ढाई लाख रूपयों का किराया दिया. इस बस ने उन्हें रोमानिया की सीमा से 11 किमी पहले ही उतार दिया, क्योंकि इससे आगे काफी भीडभाड थी और बस के जरिये सीमा तक नहीं पहुंचा जा सकता था. ऐसे में वे 11 किमी तक पैदल चलते गये. उस वक्त वहां तापमान मायनस 19 डिग्री सेल्सियस था. साथ ही खाने-पीने का पूरा सामान खत्म हो चुका था. लेकिन हमारा मुख्य लक्ष्य किसी भी हालत में सीमा पार पहुंचने का था. क्योंकि इसके अलावा भारत के लिए निकलने का और कोई दूसरा रास्ता भी नहीं था. रोमानिया में बुखारेस्ट से दिल्ली के लिए भारतीय दूतावास के जरिये विमान उपलब्ध कराया गया था. लेकिन इस विमान तक पहुंचने हेतु युक्रेन व रोमानिया की सीमा को पार करना जरूरी था और सीमा पर काफी भीडभाड थी. इसी समय भीड में से कुछ लोगों ने जबरन सीमा पार करने का प्रयास किया, जिसकी वजह से उन पर गोली चलायी गई. हमने उस जगह पर पूरी रात कडाके की ठंड में निकाली. अपनी आंखों से गोलीबारी और लाशें देखी. पश्चात रोमानिया की सीमा पर आकर अपने दस्तावेजोें की जांच-पडताल करवाई और दूतावास द्वारा उपलब्ध करायी गई बस में बैठकर बुखारेस्ट विमानतल पहुंचे. जहां हमें दो दिनों तक रूकना पडा. लेकिन यहां डरने की कोई वजह नहीं थी, क्योंकि भारत सरकार की मध्यस्थता के चलते हम रोमानिया में पूरी तरह से सुरक्षित थे. पश्चात 1 मार्च की रात विमान ने दिल्ली के लिए उडान भरी, जो 2 मार्च की दोपहर दिल्ली पहुंचा. इसके साथ ही हम सभी ने राहत की सांस ली. स्वराज पुंड के मुताबिक दिल्ली पहुंचने तक वह जबर्दस्त तनाव में रहा. हालांकि इस दौरान जिला पालकमंत्री एड. यशोमति ठाकुर व भाजपा जिलाध्यक्ष निवेदिता चौधरी लगातार उसके संपर्क में थे और उसका हालचाल प्राप्त कर रहे थे.
स्वराज की मां के छलके आंसू
गुरूवार की रात स्वराज पुंड जैसे ही दिल्ली से निकलकर नागपुर होते हुए अमरावती स्थित अपने घर पहुंचा, तो उसकी मां अर्चना पुंड के लिए अपने आंसूओं को रोक पाना मुश्किल हो गया और वे अपने कलेजे के टुकडे को सीने से लगाकर फूट-फूटकर रोयी. साथ ही अर्चना पुंड ने बताया कि, वे स्वराज के साथ लगातार संपर्क में थी और यदि स्वराज की ओर से एसएमएस, वॉटसऍप या मैसेंजर पर ‘यस-नो’ जैसा कोई संदेश भी आ जाये, तो उन्हें समाधान रहता था. किंतु 25 फरवरी की रात स्वराज ने कॉल करते हुए बताया कि, संभवत: यह उसकी आखरी कॉल हो सकती है, यह सुनकर जबर्दस्त घबराहट हो गई. क्योेंकि स्वराज ने युक्रेन में हालात बेहद अनियंत्रित व बुरे हो जाने की बात कही थी. परंतू ईश्वर की कृपा रही कि, आज उनका बेटा उनके पास सुरक्षित व सकुशल पहुंच गया है.
जिले के 11 में से 6 विद्यार्थी पहुंचे घर, 5 है यात्रा में
बता दें कि, अमरावती शहर व जिले के कुल 11 विद्यार्थी एमबीबीएस की पढाई करने हेतु युक्रेन में रह रहे थे. जिसमें से गुरूवार की रात तक 6 विद्यार्थी सकुशल व सुरक्षित ढंग से अपने-अपने घर पहुंच गये है. वहीं पांच विद्यार्थी इस समय सफर में है, जो आगामी दो से तीन दिन में अपने-अपने घर पहुंच जायेंगे. यानी इस समय अमरावती जिले का कोई भी विद्यार्थी युक्रेन में नहीं फंसा हुआ है. इस आशय की जानकारी निवासी उपजिलाधीश आशिष बिजवल द्वारा दी गई.
तीन दिन तक ठंड में जीने-मरने का संघर्ष किया
वहीं दूसरी ओर फिलहाल युक्रेन से निकलकर रोमानिया पहुंच चुके ऋषभ गजभिये की ओर से जानकारी दी गई कि, उन्हें रोमानिया की सीमा पर लगातार हो रही बर्फबारी की वजह से तीन दिनों तक नर्क यातना भुगतनी पडी. साथ ही दूतावास में भी कोई खास अच्छा व्यवहार नहीं हुआ. कडाके की ठंड की वजह से उन्हें काफी तकलीफों व दर्द का सामना करना पड रहा है. इन सबके बावजूद अपनी जान को मुठ्ठी में रखकर उन्होंने जैसे-तैसे युक्रेन से निकलते हुए रोमानिया की सीमा को पार कर लिया है और रेलवे व टैक्सी का सहारा लेते हुए वे रोमानिया पहुंच गये है. जहां से भारत पहुंचने में उन्हें कम से कम दो से तीन दिन का समय लगेगा. ऋषभ के पिता वैभव गजभिये ने मीडिया के साथ बातचीत में बताया कि, ऋषभ ने गत रोज वीडियो कॉल के जरिये उनसे संवाद साधा था. जिसमें उसने बताया कि, वह रोमानिया पहुंच चुका है और विशेष विमान उपलब्ध होने के बाद वह भारत पहुचेंगा. इसके साथ ही वैभव गजभिये ने युक्रेन में फंसे सभी विद्यार्थियों के सुरक्षित घर वापसी की मंगलकामना करते हुए कहा कि, वे अपने बेटे का बडी बेसब्री से इंतजार कर रहे है.
युक्रेन गये जिले के विद्यार्थियों की मौजूदा स्थिति
– साहिर तेलंग व अभिषेक बारब्दे पहले ही अमरावती पहुंच चुके.
– प्रणव पुनसे व स्वराज पुंड भी गत रोज अमरावती लौटे.
– कुणाल कावरे तथा नेहा लांडगे गत रोज रोमानिया से निकलकर दिल्ली पहुंचे, आज होगी घर वापसी.
– तुषार गंधे, प्रणव भारसाकले व तनिष सावंत ने बुधवार की रात वीडियो कॉल के जरिये खुद के हंगरी के बुडापेस्ट शहर में रहने की जानकारी दी.
– मोहम्मद रिजवान बुधवार की रात 10 बजे रोमानिया बॉर्डर से विमानतल की ओर रवाना हुआ.