प्रथम भगति संतन्ह कर संगा, दूसरी रति मम कथा प्रसंगा…
1008 संत सीतारामदास बाबा पुण्यतिथि महोत्सव निमित्त आयोजित सुश्री. मंगलाश्री का संगीतमय श्री रामचरित मानस नवान्ह पारायण
अमरावती/दि.28- ‘प्रथम भगति संतन्ह कर संगा, दूसरी रति मम कथा प्रसंगा, गुरु पद पकंज सेवा तीसरी भगति अमान, चौथि भगति मम गुन गन करई कपट तजी गान…’ के साथ सुश्री मंगलाश्री ने संगीतमय श्री रामचरित मानस नवान्ह पारायण में असंख्य भक्तगणों की मौजूदगी में नवघा भक्ति का वर्णन किया.
स्थानीय गौरक्षण के सामने एकवीरा देवी मंदिर के पीछे कथास्थल पर गुरुकृपा सतसंग समिति की ओर से 1008 संत सीतारामदास बाबा पुण्यतिथि महोत्सव निमित्त सुश्री मंगलाश्री का संगीतमय श्री रामचरित मानस नवान्ह परायण का आयोजन किया गया है. मंगलवार को सुश्री ने नवघा भक्ति का महत्व बताया. उन्होंने कहा कि, श्रवण, कीर्तन, स्मरण, पादसेवन, अर्चन, वंदन, दास्य, सख्य और आत्म निवेदन का विस्तृत विवरण किया. नवघा भक्ति का वर्णन करते हुए बताया कि, प्रभू श्रीराम जब शबरी के आश्रम में जाते है तो उनका शबरी बडी आस्था से स्वागत करती है और राम-लक्ष्मण को आसन पर बैठाकर मीठे फल लाकर देती है. इन फलों का प्रभू श्रीराम आस्वाद लेते है. तब भगवान राम शबरी के सामने नवघा भक्ति का स्वरुप प्रकट करते है.
इस नवान्ह परायण के 7वें दिन बुधवार 28 दिसंबर को दोपहर में सुंदरकांड का पाठ किया गया. इस अवसर पर बडी संख्या में भक्तगण उपस्थित थे. इस नवान्ह परायण के मुख्य यजमान प्रवीण करवा, सुनीता करवा की मौजूदगी में सुश्री मंगलाश्री, चंदूलाल राठी, घनश्याम मालानी, सत्यप्रकाश गुप्ता, जयप्रकाश सारडा, शारदा ठाकरे, मनोरमा वाकडे व्दारा संत सीतारामदास बाबा का विधिविधान से पूजन किया गया. पश्चात पारायण की शुरुआत की गई. पंडित भागीरथ पाण्डेय के मंत्रोच्चार में 1008 संत सीतारामदास बाबा की नियमित आरती की जा रही है. पारायण का समापन कागभूशुंंडी रामायण, हनुमान चालीसा, गुरुवंदना, बाबा की वंदना, रामायण व हनुमानजी की आरती से हुआ. हर दिन रामायण से पूर्व मंगलाचरण किया जाता है. साथ ही संत सीतारामदास बाबा का नामस्मरण होता है. 9 दिन तक चलने वाले इस रामचरित मानस नवान्ह पारायण में उपस्थित रहकर आस्थापूर्वक पारायण पढने वालों को प्रोत्साहन पुरस्कार प्रदान किए जाने वाले है.
कथास्थल पर शारदा ठाकरे, इंदू चौधरी, किरण मुंधडा, रेखा भूतडा, सुरेखा पांगारकर, शर्मा, निशा जाजू, पूजा जांगीड, लीला शर्मा, लीलाबाई गोधनकर, कुसुम कालमेघ, शशि रोने, सारंगा रघुवंशी, कल्पना मेश्राम, वंदना देशमुख, कांताबाई कलंत्री, सुरेखा राठी के साथ आयोजन समिति के ओमप्रकाश चांडक, राजकुमार टवाणी, उमेशकुमार टावरी, संजय शाह, कमल सोनी, घनश्याम मालानी, सरला सिकची, जी.जी. ठाकुर, संगीता टवाणी, अर्चना देवडिया, उमा जाजू, सुधा जोशी, सत्यप्रकाश गुप्ता के अलावा अशोक जाजू, राधेश्याम राठी, ओमप्रकाश लढ्ढा, बाबा राउत, रमेशचंद्र सोनी, दीपक मालू, सुरेखा राठी, पूजा सोनी, पूजा राठी, शांता लढ्ढा, अनुराधा वाडी, किरण मुंधडा, मीना अग्रवाल, पंकज मुंधडा, सुयोग भुतडा, गौरव साहु, पूर्व उपमहापौर कुसूम साहु, अदिश्री साहु, पुष्पक साहु, विक्की शर्मा, अंजली शर्मा, निकिता शर्मा, गुुरुकृपा सत्संग समिति, ब्रज गोपिका मंडल, सीतारामदास बाबा भजनी मंडल ने उपस्थिति दर्ज कर अथक परिश्रम कर रह है.