अमरावती

मेलघाट में हुआ पहला पक्षी सर्वेक्षण

सर्वे में 10 नई प्रजातियां मिली

* 210 प्रजातियों वाले पक्षियों की जानकारी दर्ज
* 10 राज्यों के 60 पक्षी अभ्यासकों का रहा सहभाग
अमरावती/दि.31 – मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प में किए गए पहले पक्षी सर्वेक्षण में पक्षियों की 210 प्रजातियां दर्ज की गई. जिसके तहत मेलघाट में पाए जाने वाले पक्षियों की सूची में 10 नई प्रजातियों का इजाफा हुआ है. विगत 26 से 29 जनवरी के दौरान चले इस सर्वे में महाराष्ट्र सहित मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ, उडिसा, पश्चिम बंगाल, तेलंगणा, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, केरल तथा जम्मू व कश्मिर के कुल 60 पक्षी अभ्यासक शामिल हुए थे.
विगत 26 जनवरी को अकोट वन्यजीव विभाग के शहानुर से इस सर्वे का शुभारंभ हुआ. यहां से 2-2 पक्षी निरीक्षकों का समावेश रहने वाले 30 दल मेलघाट के 4 अलग-अलग विभागों के अलग-अलग स्थानों के लिए रवाना हुए इससे पहले दर्ज हुई 294 पक्षी प्रजाति में से इस बार 213 प्रजाति के पक्षी दर्ज किए गए इस अध्ययन के जरिए इन पक्षियों की संख्या और कुछ पक्षी प्रजाति की मौजूदा स्थिति पता करने में सहायता होगी. इस सर्वेक्षण के दौरान मेलघाट की सूची में इससे पहले शामिल नहीं रहने वाले करीब 10 प्रजातियों के पक्षी पहली बार मेलघाट मेें रहने की जानकारी दर्ज हुई. जिसके चलते मेलघाट में पक्षियों की प्रजातियों की संख्या 300 के आसपास जा पहुंची है.
मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प की क्षेत्र संचालक ज्योति बेनर्जी के मार्गदर्शन के तहत गुगामल वन्यजीव विभाग के उपवन संरक्षक सुमंत सोलंके, सिपना वन्यजीव विभाग की उपवन संरक्षक दिव्या भारती तथा अकोट वन्यजीव विभाग की सहायक वनसंरक्षक आर्या के सहयोग से यह सर्वेक्षण अभियान पूर्ण हुआ. इस सर्वेक्षण के लिए विभागीय वन अधिकारी मनोजकुमार खैरनाथ, वन परिक्षेत्र अधिकारी योगेश तापस, मानद वन्यजीव रक्षक डॉ. जयंत वडतकर, प्रा. डॉ. सावन देशमुख, विविध गैर सरकारी संस्था के प्रतिनिधि प्रा. डॉ. निशिकांत काले, डॉ. गजानन वाघ, अमोल सावंत, मिलिंद सावदेकर, किरण मोरे, स्वप्निल बांगरे, अतुल तिखे, ई-बर्ल्ड के तेजस पारशिवणीकर तथा शहानुर की अधिकारी हर्षाली रिठे ने विशेष परिश्रम किया.

* पहली बार पायी गई कुछ प्रजातियां
मेलघाट में पहली बार पाए गए पक्षियों में हिमालयीन रुबीथ्रोट, गुलाबी गोमेट, लंबी पूंछ वाला गोमेट, कश्मिरी माशीमार, सुनहरे सिरवाला वटवट्या, गले पर धार्या रहने वाला सुतार पक्षी, बडा राखी खाटीक व काले पंख वाला कोकिल खाटीक जैसे दुर्लभ पक्षियों के साथ ही शेंडी बदक व तरंग बदक जैसे स्थलांतरीत पक्षियों का समावेश रहा. मेलघाट से 20 वर्ष पहले पुनर्वसित हुए कुंड नामक स्थान पर पक्षी अभ्यासक मिलिंद सावदेकर व सामिश डोंगले ने गुलाबी गोमेट, लंबी पूंछ वाले गोमेट व कश्मिरी माशीमार रहने की जानकारी दर्ज की. वहीं वान अभयारण्य में बारुखेड नामक स्थान पर लेफ्टीनंट कर्नर रोहित शर्मा ने हिमालयीन रुबीथ्रोट नामक सुंदर पक्षी को देखा. इसके साथ ही केलपानी में डॉ. पवन राठोड व अमोद गवारीकर ने धारीदार गलेवाले सुतार व बडे राखी खाटीक इन दो पक्षियों की जानकारी को दर्ज किया. वहीं चैतन्य दुधालकर ने काले पंख वाले कोकिल खाटीक पक्षियों को देखा.
विशेष उल्लेखनीय है कि, करीब 10 वर्ष पहले इस क्षेत्र से बारुखेड, तलई, केलपानी, सोमठाणा, धारगड व गुल्लरघाट आदि गांवों का स्थलांतरण व पुनर्वसन किया गया है. जिसके चलते अब इन स्थानों पर वन्य प्राणियों व पक्षियों के लिए बेहद संपन्न अधिवास का निर्माण हुआ है. साथ ही यहां पर रानपिंगला, छोटे कान वाले उल्लू, नीले सिरवाले कस्तूर जैसे कई दुर्लभ पक्षियों की प्रजातियों पायी जाने लगी है. सर्वे में शामिल सहभागियों से प्राप्त जानकारी और छात्राचित्रों को देखकर कहा जा सकता है कि, मेलघाट में पक्षी विश्व काफी संपन्न हो चला है.

 

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